Delhi News: भ्रष्टाचार रोकने के लिए एम्स की पहल, डिस्पोजेबल की खरीद को लेकर बनी 10 सदस्यीय कमेटी; हर महीने होगा बदलाव
3200 से अधिक बेड की क्षमता वाले एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 13 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल के वार्ड में 2500 से अधिक मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं। इसलिए एम्स में बड़े स्तर पर डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल की जरूरी होती है। इसलिए बड़े स्तर पर इसकी खरीद भी होती है। कमेटी डिस्पोजेबल की खरीद पर भ्रष्टाचार होने से रोकेगी।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एम्स में डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल जैसे चिकित्सा सामानों की खरीद में भ्रष्टाचार रोकने के लिए एम्स ने दस सदस्यीय सैंपल मूल्यांकन कमेटी गठित की है। यह कमेटी एम्स में खरीदे जाने वाले डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल की गुणवत्ता और खरीद की निगरानी करेगी।
एम्स प्रशासन का कहना है कि इस कमेटी के गठन का मकसद डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल की खरीद में होने वाली गड़बड़ी को रोकना है।
अस्पताल के वार्ड में हमेशा भर्ती रहते हैं 2500 से अधिक मरीज
3200 से अधिक बेड की क्षमता वाले एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 13 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल के वार्ड में 2500 से अधिक मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं। इसलिए एम्स में बड़े स्तर पर डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल की जरूरी होती है। इसलिए बड़े स्तर पर इसकी खरीद भी होती है।
इस दौरान खरीद में भ्रष्टाचार भी ज्यादा होता है। एम्स के अधिकारी वेंडर के साथ मिलकर खरीद में घपला करते हैं। डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल की खरीद में कई बार भ्रष्टाचार का मामला भी सामने आया है।
हर एक माह के बाद दूसरी कमेटी संभालेगी जिम्मेदारी
एम्स के मीडिया डिविजन की चेयरपर्सन डॉ. रीमा दादा ने कहा कि सैंपल मूल्यांकन कमेटी गठित होने से डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल की खरीद में भ्रष्टाचार का खेल रुकेगा।
साथ डिस्पोजेबल और कंज्यूमेबल की बेहतर गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी। यह कमेटी हर माह बदलेगी। इसलिए अगले वर्ष के हर माह के लिए अलग-अलग 12 कमेटी गठित कर दी गई है। इस कमेटी में दस सदस्य शामिल किए गए हैं। हर एक माह के बाद दूसरी कमेटी जिम्मेदारी संभालेगी।