LG और दिल्ली सरकार के बीच टकराव या काम की अधिकता... आखिर परिवहन विभाग के अधिकारी क्यों छोड़ रहे नौकरी?
दिल्ली परिवहन विभाग में जहां पहले ही तकनीकी अधिकारियों की काफी कमी है और उसको पूरा कराने के लिए इससे पहले रहे परिवहन आयुक्त ने तकनीकी पदों पर कार्य करने के लिए दिल्ली सरकार से गैर तकनीकी अधिकारी लेकर उन्हें लगाया था। जबकि विभाग के लोग इसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन मानकर इसका विरोध कर रहते रहे हैं।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। परिवहन विभाग में वर्षों के इंतजार के बाद पदोन्नति पाकर जो अधिकारी विभाग के उपायुक्त और प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी बने हैं तो अब उन्हें नौकरी रास नहीं आ रही। एक साल में दो उपायुक्तों और एक प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। कुछ लाेग अधिकारियों के नौकरी छोड़ने को राजनिवास और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे तनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं।
मगर सूत्रों का कहना है कि नौकरी छोड़ने का कारण काम की अधिकता है। विभाग में उपायुक्तों की कमी है और करीब आधे पद रिक्त हैं। इस पद पर बाहर से अधिकारी नहीं आ रहे हैं और विभाग के जो अधिकारी तैनात हैं, उनकी संख्या 10 की जगह पांच है। तमाम कोर्ट केस चल रहे हैं। सभी अधिकारियों को इस बारे में जानकरी नहीं है जिसे ऐसे काम दिए जाते हैं, वही अधिकारी परेशान हो जाता है।
परिवहन विभाग के अधिकारी क्यों ले रहे हैं वीआरएस?
दिल्ली परिवहन विभाग में जहां पहले ही तकनीकी अधिकारियों की काफी कमी है और उसको पूरा कराने के लिए इससे पहले रहे परिवहन आयुक्त ने तकनीकी पदों पर कार्य करने के लिए दिल्ली सरकार से गैर तकनीकी अधिकारी लेकर उन्हें लगाया था। जबकि विभाग के लोग इसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन मानकर इसका विरोध कर रहते रहे हैं।
अजय शामल से आवेदन का कारण तक नहीं पूछा गया
विभागीय जानकारों की मानें तो एक तरफ तकनीकी अधिकारियों की कमी और उसके ऊपर सोने पर सुहागा यह है कि आला अधिकारी वीआरएस मागने वाले के अनुरोध को खारिज करने की जगह उन्हें अनुमति दे रहे हैं। बताया जाता है कि उपायुक्त रहे अजय शामल को विभाग ने बीआरएस लेने के लिए आवेदन का कारण तक नहीं पूछा। इसके बाद दिल्ली के परिवहन उपायुक्त संजय अलावादी ने भी बीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है।इनके तीन माह 15 सितंबर को पूरे हो रहे हैं। यानी 15 सितंबर को वह विभाग से बाहर हो जाएंगे।
प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी महेश वर्मा भी ले चुके बीआरएस
इससे कुछ माह पहले प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी महेश वर्मा भी बीआरएस ले चुके हैं। वहीं विभाग में डीटीओ यानी एमएलओ के पद भी रिक्त हैं। इसके लिए तकनीकी अधिकारी नहीं बचे हैं। ऐसे में दूसरे विभागों से भी अधिकारी लिए जा रहे हैं, फिर भी यह कमी पूरी नहीं हाे रही है। परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि अधिकारी क्यों बीआरएस ले रहे हैं यह समझ से परे हैं।
उन्होंने कहा कि विभाग में अधिकारियों की भारी कमी है उपायुक्त ही नहीं डीटीओ भी पूरे नहीं हैं।एक एक अधिकारी को दो दो कार्यालयों का काम दिया हुआ है।उन्होंने बताया कि पिछले कई सालों से परिवहन विभाग के लिए भर्ती नहीं हुई है, सरकार से अधिकारी मांगे गए हैं।