कांग्रेस-AAP के गठबंधन से किस पार्टी को नुकसान और किसको फायदा? लोकसभा के छह माह बाद हैं दिल्ली में विधानसभा चुनाव
राजधानी में लोकसभा की सात सीटों के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन भले कर रखा हो लेकिन भविष्य में यह उसके लिए फायदे का कम और घाटे का सौदा ही ज्यादा होने वाला है। कारण अभी कांग्रेस जिन चार लोकसभा क्षेत्रों के 40 विधानसभा क्षेत्रों में आप उम्मीदवार के लिए वोट मांग रही है महज छह-सात माह बाद उसी के खिलाफ और अपने लिए वोट मांगने होंगे।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राजधानी में लोकसभा की सात सीटों के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (AAP Congress Alliance) से गठबंधन भले कर रखा हो, लेकिन भविष्य में यह उसके लिए फायदे का कम और घाटे का सौदा ही ज्यादा होने वाला है। कारण, अभी कांग्रेस जिन चार लोकसभा क्षेत्रों के 40 विधानसभा क्षेत्रों में आप उम्मीदवार के लिए वोट मांग रही है, महज छह सात माह बाद उसी के खिलाफ और अपने लिए वोट मांगने होंगे। यह इतना आसान न होगा।
इसीलिए इस गठबंधन को लेकर कांग्रेस के भीतर अभी भी असंतोष और आशंकाओं का माहौल बना हुआ है। कांग्रेस और आप कार्यकर्ता अब तक परस्पर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और उनके बीच एकता का अभाव भी साफ दिखाई दे रहा है।
'घाटे का सौदा' है गठबंधन
कांग्रेस के अनेकों कार्यकर्ता इस गठबंधन को लेकर असमंजस में हैं और इसे ''घाटे का सौदा'' मान रहे हैं। उनका कहना है कि एक लोकसभा क्षेत्र में 10 विधानसभा क्षेत्र सम्मिलित हैं। मतलब, कांग्रेस ने 40 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी जमीन छोड़ दी है। विधानसभा चुनाव में इस जमीन को वापस पाना कठिन हो सकता है। वहीं, आप के कार्यकर्ता भी कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन देने में जरा हिचकिचा रहे हैं।
एक-दूसरे के कार्यकर्ता...
एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने दबी जुबान में स्वीकारा कि आप समर्थकों को कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिए समझाना कठिन हो रहा है। इस स्थिति से स्पष्ट है कि गठबंधन के बावजूद दोनों दलों के कार्यकर्ता एक-दूसरे के समर्थन में पूरी तरह से तैयार नहीं हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर कार्यकर्ताओं के बीच यह दूरी बनी रही, तो इसका सीधा असर कांग्रेस के वोट बैंक पर पड़ सकता है। ऐसे में गठबंधन का लाभ उठाने की बजाय, कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
क्या है कांग्रेस के लिए चुनौती
आगामी चुनावों में इस गठबंधन का परिणाम क्या होगा, यह देखना भी दिलचस्प होगा। लेकिन फिलहाल, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस और आपसी तालमेल की कमी को देखते हुए, पार्टी के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय साबित हो सकता है।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव इस तर्क से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि इन 40 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ता घर घर जाकर पार्टी का घोषणा पत्र भी बांट रहे हैं। मतलब अपनी जमीन नहीं छोड़ रहे, बल्कि उसे और मजबूत कर रहे हैं।