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Delhi News: कांग्रेस का भाजपा और AAP पर हमला, बोले छह साल की देरी और 68 प्रतिशत अधिक लागत से तैयार EWS फ्लैट

Delhi News कांग्रेस मुख्यालय में एक पत्रकार वार्ता के दौरान पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस परियोजना की योजना बनाने और इसे शुरू करने का श्रेय शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को जाता है। भाजपा उनके काम का श्रेय ले रही है।

By sanjeev GuptaEdited By: Pradeep Kumar ChauhanUpdated: Wed, 02 Nov 2022 06:34 PM (IST)
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Delhi News: 3,024 फ्लैटों के साथ इसका पहला चरण 2013 में शुरू हुआ और 2016 में पूरा होने वाला था।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस ने कालकाजी में इन सीटू स्लम पुनर्वास परियोजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 3,024 फ्लैटों के निर्माण में छह साल की देरी और 68 प्रतिशत की लागत में वृद्धि का आरोप लगाया। इस परियोजना का उद्घाटन व फ्लैटों का आवंटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार शाम विज्ञान भवन में किया। कांग्रेस मुख्यालय में एक पत्रकार वार्ता के दौरान पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस परियोजना की योजना बनाने और इसे शुरू करने का श्रेय शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को जाता है। भाजपा उनके काम का श्रेय ले रही है।

परियोजना कांग्रेस और सोनिया गांधी के दिमाग की उपज

यह इन-सीटू पुनर्वास परियोजना 18 सितंबर, 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा शुरू की गई थी। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि यह परियोजना कांग्रेस और सोनिया गांधी के दिमाग की उपज है। 3,024 फ्लैटों के साथ इसका पहला चरण 2013 में शुरू हुआ और 2016 में पूरा होने वाला था।

छह साल की देरी के कारण 68 प्रतिशत बढ़ी लागत

श्रीनेत ने दावा किया, "प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किए जाने वाले पहले चरण को छह साल की देरी के बाद पूरा किया गया है और इसकी लागत 68 प्रतिशत बढ़ गई है। पहले चरण की लागत 206 करोड़ रुपये से बढ़कर 345 करोड़ रुपये हो गई है। उन्होंने कहा कि 2019 में दूसरे चरण के पूरा होने के साथ परियोजना के तहत 8,000 से अधिक फ्लैटों का निर्माण किया जाना था। लेकिन दूसरा चरण शुरू भी नहीं हुआ है। तीसरा चरण भी 2020 में खत्म होने वाला था।

मूल परियोजना में महिला एवं पुरूष दोनों के नाम से होनी थी रजिस्ट्री

पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने यह भी दावा किया कि फ्लैटों की रजिस्ट्री घर के पुरुष सदस्यों के नाम पर की जा रही है। यह मूल योजना से डायवर्जन, महिलाओं को संपत्ति के स्वामित्व से वंचित करना है। मूल योजना में इन फ्लैटों की रजिस्ट्री महिला एवं पुरूष दोनों के नाम से होनी थी।

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