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MCD Election 2022: दलित और मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंच बढ़ाएगी कांंग्रेस, 2 अक्टूबर को महापंचायत की तैयारी

कांग्रेस दलित और मुस्लिम वर्गों से संबंद्ध लोगों की पंचायत जिला और विधानसभा स्तर पर करने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि अनुसूचित जाति के मतदाताओं के लिए आरक्षित विस क्षेत्रों में भी वार्डों की संख्या कम की गई है।

By sanjeev GuptaEdited By: JP YadavUpdated: Mon, 26 Sep 2022 08:32 AM (IST)
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दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 की तैयारी में कांग्रेस भी जुट गई है। फाइल फोटो
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 को लेकर राजनीतिक दलों में सक्रियता बढ़ने लगी है। इसी कड़ी में एमसीडी वार्ड परिसीमन ड्राफ्ट की खामियों के बहाने दिल्ली कांग्रेस ने दलित एवं मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति तैयार की है। कांग्रेस पार्टी हर स्तर पर जाकर इन दोनों वर्गों को बताएगी कि किस तरह से केंद्र शासित भाजपा सरकार ने उनके हितों पर कुठाराघात किया है।

परिसीमन में भाजपा की मदद की कोशिश

इसके साथ ही इस मामले में आम आदमी पार्टी सरकार की चुप्पी पर भी सवाल खड़े करेगी। कांग्रेस को लग रहा है कि यह परिसीमन ड्राफ्ट उसके खोए हुए वोट बैंक को कुछ तक लौटाने में सहायक साबित हो सकता है। दरअसल, कांग्रेस का कहना है कि परिसीमन समिति ने नगर निगम चुनावों में भाजपा की मदद करने की कोशिश की है। कई निगम वार्डों में प्रतिद्वंद्वी दलों का समर्थन करने वाले क्षेत्रों को हटाकर भाजपा समर्थक वोट बैंक को मजबूत किया गया है। यहां तक कि अनुसूचित जाति के मतदाताओं के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में भी वार्डों की संख्या कम कर दी गई है।

बकौल कांग्रेस, परिसीमन समिति की अपनी गणना के अनुसार, मंगोलपुरी, कोंडली, त्रिलोकपुरी व सीमापुरी के आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में चार वार्ड होने चाहिए, लेकिन समिति ने उनमें से प्रत्येक में तीन ही वार्ड बनाए हैं। कई विधानसभा क्षेत्र, जहां पर भाजपा व आप को मजबूत समर्थन प्राप्त है, जैसे-पटपड़गंज, विश्वास नगर, चांदनी चौक, जंगपुरा और मालवीय नगर विस क्षेत्रों में वार्डों की संख्या बढ़ाई गई है।

परिसीमन में खामियों को मुद्दा बनाएगी

इस बाबत कांग्रेस का यह भी कहना है कि परिसीमन समिति के सहयोगी सदस्यों में पांच विधायक और तीन एमपी पैनल में नहीं थे। अगर होते तो वे ड्राफ्ट तैयार करते वक्त विसंगतियों की ओर जरूर इंगित करते। परिसीमन ड्राफ्ट की इन्हीं सब खामियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने दो दिन पहले अपने सभी 14 जिलाध्यक्षों और अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक की। बैठक में तय किया गया है कि पार्टी इसे मुद्दा बनाएगी।

निशाने पर होगी भाजपा और AAP

आगामी नगर निगम चुनावों को ध्यान में रख कांग्रेस इस सप्ताह हर जिले और विधानसभा स्तर पर एक पंचायत का आयोजन करेगी, जिसमें दलित और मुस्लिम वर्ग के मतदाताओं को एकत्रित करके उन्हें बताया जाएगा जहां भाजपा और आप को उनके हितों की कोई चिंता नहीं है, वहीं कांग्रेस अकेली ऐसी पार्टी है जो उनकी खातिर लड़ रही है।

2 अक्टूबर को महापंचायत बुला सकती है कांग्रेस

इसके बाद गांधी जयंती यानी दो अक्टूबर के दिन कांग्रेस दिल्ली में ही कहीं प्रदेश स्तर पर इस मुद्दे को लेकर महापंचायत करने पर विचार कर रही है। इसमें जहां एक ओर अधिकाधिक संख्या में राजधानी दिल्ली के दलित और मुस्लिम मतदाताओं को बुलाया जाएगा, वहीं कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उन्हें संबोधित करेंगे।

दलित और मुस्लिम वोटों पर रहेगी नजर

कांग्रेस पार्टी के सूत्रों की मानें तो राजधानी दिल्ली के वोट बैंक में दलित और मुस्लिम दोनों ही वर्गों की हिस्सेदारी 30 से 34 प्रतिशत तक है। अगर पार्टी इनमें से आधा वोट भी अपने पक्ष में कर पाई तो एमसीडी चुनाव में यह खासा मददगार हो सकता है।

कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकती है कांग्रेस

अनिल भारद्वाज (अध्यक्ष, मीडिया कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट, प्रदेश कांग्रेस) का कहना है कि परिसीमन ड्राफ्ट की खामियों पर दलित और मुस्लिम मतदाताओं के बीच जाने की प्रदेश कांग्रेस की रणनीति तैयार है। इस पर अमल शुरू कर दिया गया है। परिसीमन समिति के पास आपत्ति दर्ज कराने के बाद अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में भी पीछे नहीं हटेगी।

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