रुपहले पर्दे से दूर हो रहे दिल्ली के सिनेप्रेमी, लगातार घट रही दर्शकों की संख्या
डिलाइट सिनेमा के प्रबंधक राज मल्होत्रा ने बताया कि दर्शक संख्या और फिल्म शो कम होने की कई वजह हो सकती है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 20 Sep 2020 01:48 PM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखना महंगा हो जाना कहें या ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफार्म का विकल्प मिलना..। कारण जो भी हों, लेकिन यह सच है कि रुपहले पर्दे पर फिल्म देखने वाले दर्शकों की संख्या साल दर साल घट रही है। यह गिरावट 60 फीसद तक पहुंच चुकी है। हालांकि सिनेमाघरों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं आया, अलबत्ता फिल्मों के शो अवश्य कम हुए हैं।
दिल्ली सरकार के अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय द्वारा जारी की गई दिल्ली सांख्यिकीय पुस्तिका में इस बाबत आंकड़ों सहित विस्तृत जानकारी मिलती है। इस रिपोर्ट में 2010-11 से 2018-19 तक के आंकड़े दिए गए हैं। रिपोर्ट बताती है कि 2010-11 में राजधानी में सिनेमाघर केवल 129 और मल्टीप्लेक्स 21 ही थे, तब भी रोजाना औसतन 450 शो होते थे। दर्शक संख्या लगभग 90 हजार रोजाना थी। इसके बाद अगले कई साल तक इस संख्या में इजाफा हुआ।सिनेमाघर एवं मल्टीप्लेक्स भी बढ़े तो फिल्मों के शो व दर्शकों की संख्या में भी वृद्धि देखने को मिली। 2015-16 में यह आंकड़ा अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया। इस साल दिल्ली में सिनेमाघर 135 हो गए और मल्टीप्लेक्स 28 बन गए। फिल्मों के शो 675 तक होने लगे एवं दर्शकों की संख्या सवा लाख तक पहुंच गई। लेकिन, इसके बाद जैसे सिनेमा के पर्दे पर फिल्म देखने के शौक को ग्रहण सा लग गया। बाद के वर्षों में सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स की संख्या में तो आंशिक बदलाव ही नजर आया, लेकिन शो और दर्शक संख्या में खासी गिरावट आने लगी। आलम यह है कि 2018-19 में दर्शकों की संख्या घटकर करीब 50 हजार ही रह गई
डिलाइट सिनेमा के प्रबंधक राज मल्होत्रा ने बताया कि दर्शक संख्या और फिल्म शो कम होने की कई वजह हो सकती है। एक कारण सिनेमाघरों का बंद होना है तो एक अन्य कारण नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, मैक्स प्लेयर जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म का आना भी कहा जा सकता है। हालांकि फिल्म देखने की रुचि दिल्लीवासियों में आज भी बरकरार है।
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