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COP28 ने बढ़ाई क्लाइमेट फाइनेंस की रफ्तार, आगामी सालों के लिए तैयार किया मंच; कई वादों के साथ सम्मेलन का हुआ समापन

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP28) क्लाइमेट फाइनेंस पर एक महत्वपूर्ण फोकस के साथ संपन्न हुआ। साथ ही अगले साल के लिए कार्य प्रगति और वादों का एक मिला जुला अनुभव भी यह छोड़ गया। COP28 वैसे तो भले ही सभी मोर्चों पर उतना कारगर नहीं साबित हुआ जितनी उम्मीद थी लेकिन इसने वैश्विक स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण संकेत भेजे और एक मंच तैयार किए।

By Jagran NewsEdited By: Sonu SumanUpdated: Fri, 15 Dec 2023 04:16 PM (IST)
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COP28 क्लाइमेट फाइनेंस पर एक महत्वपूर्ण फोकस के साथ संपन्न।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। इस साल का संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP28) क्लाइमेट फाइनेंस पर एक महत्वपूर्ण फोकस के साथ संपन्न हुआ। साथ ही अगले साल के लिए कार्य प्रगति और वादों का एक मिला जुला अनुभव भी यह छोड़ गया। COP28 वैसे तो भले ही सभी मोर्चों पर उतना कारगर नहीं साबित हुआ, जितनी उम्मीद थी, लेकिन इसने वैश्विक स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण संकेत भेजे और आने वाले साल में महत्वपूर्ण चर्चाओं के लिए मंच जरूर तैयार किए।

कार्रवाई के लिए एक स्पष्ट आह्वान

इस सम्मेलन में सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष के तौर पर रहा जीवाश्म ईंधन से दूर जाने और 2050 तक नेट जीरो एमिशन प्राप्त करने का स्पष्ट उल्लेख। यह एक बड़ा कदम है, जो देशों पर इस महत्वपूर्ण बदलाव के लिए ठोस वित्तीय योजनाएं विकसित करने की जिम्मेदारी डालता है।

विकासशील देशों के लिए समर्थन

विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करते हुए इस सम्मेलन में हुआ समझौता उनके एनर्जी ट्रांजिशन, अनुकूलन प्रयासों और लॉस एंड डैमेज को संबोधित करने में वित्तीय सहायता की आवश्यकता को स्वीकार करता है। लेकिन इस प्रस्तावित समर्थन के विवरण पर अभी भी काम किया जा रहा है, जिससे इसकी प्रभावशीलता और कार्यान्वयन के बारे में सवाल उठ रहे हैं।

वित्त को बढ़ाना

यह स्पष्ट है कि जलवायु वित्त का वर्तमान स्तर वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक स्तर से कम है। COP28 ने 2025 के बाद की अवधि के लिए एक नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) के विकास का आह्वान किया। यह लक्ष्य आवश्यक धनराशि को जुटाने के लिए महत्वपूर्ण होगा, लेकिन इसके विशिष्ट विवरणों पर बातचीत 2024 में COP29 का एक प्रमुख फोकस होने की उम्मीद है।

COP29 से उम्मीदें  

• एनसीक्यूजी वार्ता: COP29 'फाइनेंस COP' होगा, जहां एनसीक्यूजी के विवरणों पर जोर दिया जाएगा। इसमें आवश्यक वित्त के स्तर का निर्धारण, इसे कैसे आवंटित किया जाएगा और इसे कैसे जुटाया जाएगा, शामिल है।

• वित्तीय प्रणाली सुधार: इस बार के समझौते में जलवायु कार्रवाई को बेहतर समर्थन देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार के निरंतर प्रयासों का आह्वान किया गया है। इसमें बहुपक्षीय विकास बैंकों में बदलाव, नवीन वित्तपोषण तंत्र का उपयोग और कराधान की बड़ी भूमिका शामिल हो सकती है।

• अनुकूलन वित्त में वृद्धि: अनुकूलन वित्त शमन प्रयासों से काफी पीछे रह गया है। COP29 को इसे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कमजोर समुदायों को जलवायु प्रभावों से निपटने के लिए आवश्यक सहायता मिले।

• लॉस एंड डेमेज: COP28 में हानि और क्षति कोष या लॉस एंड डेमेज फंड की स्थापना एक लिहाज से एक प्रगति थी, लेकिन इसकी फंडिंग अभी भी अपर्याप्त है। COP29 के लिए इस कमी को संबोधित करना और यह सुनिश्चित करना आवश्यकता होगा कि इस फंड का परिचालन प्रभावी रहे।

एक मिश्रित अनुभव  

COP28 ने वित्त के मोर्चे पर कुछ प्रगति की, लेकिन इसने कई प्रश्न अनुत्तरित भी छोड़ दिए। आने वाला वर्ष वादों को ठोस कार्रवाई में बदलने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा कि दुनिया अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के रास्ते पर है।

विशेषज्ञों के विचार  

बारबाडोस के पीएम मोटली के विशेष जलवायु दूत अविनाश पर्सौड: यह COP सबसे ऐतिहासिक में से एक रहा है। हमने एक लॉस एंड डेमेज फंड का संचालन शुरू किया है. ग्रीन क्लाइमेट फंड को पुनर्पूंजीकृत किया है और एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त प्रणाली की व्यवस्था की है जो विकास बैंकों और नए निजी क्षेत्र के वित्त प्रवाह को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ लेवी भी लगाती है।

एनआरडीसी में इंटरनेशनल क्लाइमेट फाइनेंस के वरिष्ठ अधिवक्ता जो थ्वाइट्स: वैश्विक स्टॉकटेक का परिणाम वित्त के मुद्दे को आगे बढ़ाता है। यह सरकारों को प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता को पूरी तरह से पूरा करने, अनुकूलन वित्त को बढ़ाने के लिए और अधिक करने के लिए महत्वपूर्ण संकेत भेजता है।

COP28 भले ही पूरे तौर पर सही नहीं रहा हो, लेकिन इसने वित्त के मामले में गाड़ी को आगे बढ़ाया है। वादों को प्रगति में बदलना और दुनिया को एक स्थायी भविष्य की राह पर लाना अब अगले साल 2024 में होने वाली COP पर है।

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