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Corona Fighter: इलाज के दौरान डॉक्टर की हर बात मानी, 14 दिन में दे दिया कोरोना को मात

Corona Fighter राघव ने बताया कि अपने आप को व्यस्त रखने के लिए मैंने किताबें पढ़ना शुरू कर दिया लैपटॉप पर काम करता रहता था। साथ ही हमेशा सकारात्मक सोचने लगा।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Wed, 22 Apr 2020 11:01 AM (IST)
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Corona Fighter: इलाज के दौरान डॉक्टर की हर बात मानी, 14 दिन में दे दिया कोरोना को मात
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मैं भारत के उन लोगों में से एक था, जिन्हें शुरुआत के दिनों में कोरोना हुआ था। अब मैं बिल्कुल ठीक हूं। 14 दिन तक इलाज चला। अब मैं घर वापस लौट चुका हूं। मैं लोगों को संदेश देना चाहता हूं कि वे लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं। डॉक्टर के पास जाएं। उन पर भरोसा करें और सकारात्मक सोच रखें। यह कहना है उत्तरी-पश्चिमी जिले के अशोक विहार के रहने वाले राघव गुप्ता का।

22 वर्षीय राघव लंदन में फैशन रिटेलर का कोर्स कर रहे हैं। 14 मार्च को वह लंदन से घर आए थे। अगले दिन उन्हें हल्का सा बुखार महसूस हुआ तो बिना देर किये वह खुद से टेस्ट कराने आरएलएम अस्पताल पहुंच गए। टेस्ट होने के बाद उन्हें वहां से दिलशाद गार्डन स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भेज दिया गया। 16 मार्च से 18 मार्च तक राघव राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के ओब्जर्वेशन वार्ड में भर्ती रहे।

19 मार्च को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद राघव को आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। राघव और उनका परिवार घबरा गया। उन्हें सिर्फ यही लग रहा था कि उनके साथ ही ये क्यों हुआ। इसके बाद राघव का 14 दिनों तक इलाज चला। इलाज के दौरान अपना अनुभव साझा करते हुआ राघव ने बताया, शुरुआत में तो थोड़ा डर लगा, मुझे किसी से मिलने नहीं दिया जाता था। समय काटना मुश्किल हो जाता था। लेकिन तीन-चार दिन बीतने के बाद मैं सेटल होने लगा।

राघव ने बताया कि अपने आप को व्यस्त रखने के लिए मैंने किताबें पढ़ना शुरू कर दिया, लैपटॉप पर काम करता रहता था। साथ ही हमेशा सकारात्मक सोचने लगा। इलाज के दौरान मैंने डॉक्टरों की हर बात मानी। इसका परिणाम यह हुआ कि मैं धीरे-धीरे ठीक होने लगा। दो बाद टेस्ट हुआ। दोनों में नेगेटिव रिपोर्ट आई। एक अप्रैल को मुझे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। राघव अब पूरी तरह से ठीक हैं और एक स्वस्थ्य जिंदगी जी रहे हैं। उनका कहना है कि सकारात्मक सोच रखें, क्योंकि जंग तो सकारात्मक होकर ही लड़ी जाती है।

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