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दिल्‍ली के इस अस्‍पताल के अब तक नहीं हुई है किसी भी शख्‍स की कोरोना से मौत, जानें कैसे होता है इलाज

Delhi Coronavirus दिल्‍ली का यह अस्‍पताल जहां कोरोना से अभी तक किसी भी शख्‍स की मौत नहीं हुई है। यहां पर लोगों को काफी अच्‍छा और बेहतर ट्रीटमेंट दिया जाता है। लोग यहां से ठीक होने के बाद दूसरे को भी यहां इलाज के लिए कहते हैं।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Sun, 13 Dec 2020 08:39 PM (IST)
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आयुर्वेदिक की मदद से अब तक 2000 कोरोना मरीजों का हुआ सफल इलाज।
नई दिल्ली, मनीषा गर्ग। दिल्‍ली में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में हर किसी को अपनी चिंता है कि इस अनलॉक जिंदगी में कैसे खुद को सेफ रखें। अगर किसी कारणवश कोरोना संक्रमित हो भी जाते हैं तो इस बीमारी से कैसे कम पैसे में लड़ें। आइए जानते हैं उस अस्‍पताल के बारे में जहां कोरोना का इलाज काफी अच्‍छे तरीके से मिल रहा है।

खेरा डाबर स्थित चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक चरक संस्थान में अब तक दो हजार से अधिक काेरोना संक्रमितों का इलाज हो चुका है, जिसमें एक माह के बच्चे से लेकर 106 वर्षीय बुजुर्ग शामिल हैं। अच्छी बात ये है कि यहां अभी तक किसी भी कोरोना संक्रमित की मौत नहीं हुई है। फिलहाल यहां कोरोना संक्रमितों के लिए 170 बेड आरक्षित हैं।

इसमें अधिकांश 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले ऐसे मरीज भर्ती हैं, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल्ली, अस्थमा, किडनी आदि जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। स्वस्थ होकर लौटे मरीजों न सिर्फ चिकित्सकों के व्यवहार, इलाज प्रक्रिया व व्यवस्था को सराहा है बल्कि आयुर्वेद के प्रति उनका विश्वास बढ़ा है, जो संस्थान की सबसे बड़ी जीत है।

स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी अस्पताल की मेहनत को सराहा

इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जून माह में जब संक्रमण का दवाब अधिक था, उस समय 20 जून को यहां एक ही दिन में 100 मरीज भर्ती हुए थे। बेड भर जाने के बाद भी यहां कुछ अतिरिक्त बेड की व्यवस्था कर मरीजों को भर्ती किया गया था। ठीक होकर लौटने वाले मरीज अपने जानकारों को भी संक्रमण की चपेट में आने के बाद इसी अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दे रहे हैं। शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी अस्पताल की मेहनत को सराहा और ट्विटर के माध्यम से अस्पताल प्रशासन व समस्त स्वस्थ्य कर्मचारी को बधाई दी।

आयुष मंत्रालय के सुझाव के अनुसार हो रहा इलाज

अस्पताल की प्रधान निदेशक प्रो. डॉ. विदुला गुज्जरवार ने बताया कि कोरोना संक्रमण का इलाज एलोपेथी, आयुर्वेदिक, यूनानी आदि समेत सभी चिकित्सा पद्धति के लिए नया है। आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझाव के अनुरूप हमने मरीजों को दवा व इलाज दिया और अच्छी बात ये नतीजे भी सकारात्मक आए। दवाओं में विशेष रूप से संशमनी वटी, नागार्दी क्वाथ अमालकी चूर्ण का प्रयोग किया जा रहा है। अस्पताल में इलाज के लिए एक माह के बच्चे भी आए, जिन्हें दवा देना संभव नहीं था। ऐसे स्थिति मां को दवा दी गई, ताकि स्तनपान के माध्यम से बच्चे को जो प्राप्त हो सके। इसके अलावा डेढ़ व दो साल के बच्चों को हल्दी वाला दूध दिया गया।

बच्चों के लिए खिलौनों का प्रबंध

बच्चों के मामलों में हम दवाइयों पर निर्भर रहने के बजाय उनके खानपान पर विशेष ध्यान दिया। उन्हें शांत रखने के लिए उनके लिए खिलौनों का प्रबंध किया गया। अस्पताल में बड़े-बुजुर्गाें के साथ दिव्यांग व ऐसे मरीज भी भर्ती हुए जिन्हें भूलने की बीमारी है, सभी को विशेष देखभाल दी गई।

दवाओं के साथ हास्य योग, योग, ध्यान, प्रार्थना व काउंसलिंग

दवाओं के साथ हास्य योग, योग, ध्यान, प्रार्थना व काउंसलिंग के माध्यम से मरीजों को मानसिक व शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रखने की कोशिश की जा रही है। संस्थान के अतिरिक्त निदेशक (एकेडेमिक्स) डॉ. एनआर सिंह बताते हैं कि शुरुआत में काफी चुनौतियां थी, लेकिन प्रशासन से काफी सहयोग मिला। जिसके कारण स्थिति काफी साधारण बनी रही। अभी यहां कोरोना का इलाज जारी है, लेकिन अब ओपीडी सेवा को यहां शुरू कर दिया गया है।

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