Lockdown: रोते-बिलखते लोगों को देखकर पिघली दिल्ली, लोग बोले- 'हम सब एक हैं'
ट्विटर पर दिल्लीवाले यही संदेश दे रहे थे कि किसी को दिल्ली से जाने की जरूरत नहीं। हम सब एक हैं और मिलकर कोरोना को हराएंगे।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। रेशमा सात महीने की गर्भवती है। पति सामान से भरा दो बैग सिर और हाथ में लिए है। जबकि वह पैदल चल रही है। इनके पीछे दो बच्चे भी हैं। थके हैं, परेशान हैं। भूख और प्यास भी लगी है, लेकिन यह सिर्फ रेशमा की कहानी नहीं थी। रेशमा के पीछे सैकड़ों, हजारों लोगों का हुजूम चल रहा था। जिन्हें ये भी नहीं पता कि जिस उम्मीद में आनंद विहार बस अड्डा, कौशांबी या फिर गाजियाबाद के लाल कुआं की तरफ जा रहे हैं वो पूरी भी होगी या नहीं?
शनिवार को ऐसे लोगों की कहानियों से सोशल मीडिया पटा रहा। ट्विटर, फेसबुक समेत वाट्सएप पर दिल्ली के लोग इनसे जुड़ी कहानियां साझा कर रहे थे। इन मजदूरों के भोजन, पानी का इंतजाम कर रहे थे। उनकी कहानियों को सुनकर दिल्लीवालों का दिल भी द्रवित हो गया।
लांघ दी लक्ष्मण रेखा
पटपड़गंज निवासी अंकित लॉकडाउन का पालन कर रहे थे। लेकिन, शनिवार को जब दक्षिणी दिल्ली, पुरानी दिल्ली से पलायन करते मजदूरों का वीडियो सोशल मीडिया पर देखा और यह पता चला कि लोग भूखे प्यासे आनंद विहार की तरफ जा रहे हैं तो मुख्य मार्ग पर आ धमके। घर से खिचड़ी बनाकर लाए थे। ट्विटर पर पोस्ट किया, मुङो पता है कि मैं सभी का पेट नहीं भर सकता। लेकिन कम से कम कुछ लोगों की मदद तो कर ही सकता हूं।
हम सब एक हैं
ट्विटर पर दिल्लीवाले यही संदेश दे रहे थे कि किसी को दिल्ली से जाने की जरूरत नहीं। हम सब एक हैं और मिलकर कोरोना को हराएंगे। दरअसल, सड़कों पर उमड़ते हुजूम को देखकर यह चिंता है कि कहीं गांव देहात तक कोरोना न पहुंच जाए। प्रतीक ने ट्वीट किया, सरकार को तत्काल राहत भरे कदम उठाने चाहिए।
लोगों की भीड़ बढ़ा सकती है आफत
दिल्ली-एनसीआर से हजारों की भीड़ में पलायन कर रही है। इसे लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ काफी चिंतित हैं। वरिष्ठ चिकित्सकों का मानना है कि यह भीड़ आफत का कारण भी बन सकती है। हम इटली जैसी गलती दोहराने की तैयारी कर रहे हैं, जहां इस बीमारी से विश्व में सबसे ज्यादा मौत हो चुकी हैं। उनका कहना है कि इसे रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। इस पर पहले से तैयारी भी होनी चाहिए थी।