लॉकडाउन में फसलों के स्वरूप व खेतीबाड़ी में भी होगा बदलाव, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
Coronavirus Lockdown किसान अब ऐसी फसलें उगाने में ही दिलचस्पी लेंगे जिनकी बुवाई और कटाई में ज्यादा श्रम की आवश्यकता न पड़े।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कोरोना संकट के इस दौर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं रहेगी। इससे फसलों का स्वरूप भी बदलेगा व खेतीबाड़ी के तौर तरीकों में भी नयापन आएगा। बदलाव का यह दौर कोरोना के साथ ही नहीं बल्कि इसके बाद भी बना रह सकता है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय में सचिव पद से सेवानिवृत हुए सिराज हुसैन कहते हैं कि किसान अब ऐसी फसलें उगाने में ही दिलचस्पी लेंगे, जिनकी बुवाई और कटाई में ज्यादा श्रम की आवश्यकता न पड़े। चूंकि कामगार अपने-अपने प्रदेश लौट रहे हैं तो फसल कटाई के समय समस्या होगी। इसके मद्देनजर खेतीबाड़ी में मशीनों का प्रयोग भी बढ़ सकता है। यह एक ऐसा बदलाव होगा, जिसकी सफलता भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी। मतलब, मशीनों का इस्तेमाल भविष्य में भी बरकरार रह सकता है।
मंडियों के तौर तरीके भी बदल सकते हैं
सिराज हुसैन के मुताबिक फसल कटाई के बाद मंडियों के तौर तरीके भी बदल सकते हैं। चूंकि शारीरिक दूरी के मानकों का भी ध्यान रखना है तो भविष्य में सभी किसानों को एक ही साथ मंडियों में माल लाने की इजाजत नहीं होगी। इसके लिए एक सिस्टम बनाया जाएगा। तय संख्या में ही एक दिन में किसान मंडी आएंगे। मास्क का प्रयोग खेतों व मंडियों में भी देखने को मिल सकता है।
डिजिटल लेन देने पर देना होगा जोर
वहीं घर बैठे ऑनलाइन मार्केटिंग के गुर सिखा रहे डिजिटल विशेषज्ञ उपेंद्र राणा का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के मद्देनजर किसानों को डिजिटल लेन देने पर ज्यादा जोर देना होगा। अनाज व कृषि मंडियों में भी कोरोना के मद्देनजर निकट भविष्य में नकद लेनदेन से ज्यादा बढ़ावा डिजिटल भुगतान को ही मिलने वाला है। फसल का पैसा सीधे किसान के खाते में डालने की व्यवस्था की जा सकती है।