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दिल्ली में कोरोना का भयावह रूप, इस इलाके में छतों पर आ रही चिता की राख, पंखा चलाने पर भी घुटता है दम

शवदाहगृह में 24 घंटे चिताएं जलने से इससे सटी सन लाइट काॅलोनी में रहने वाले कई लोग अपने घरों को छोड़कर दूर चले गए हैं ताकि कम से कम चिताओं की गर्मी और उसके धुएं से बच सकें। जो लोग अभी यहां रह रहे हैं वह भी परेशान हैं।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Thu, 06 May 2021 09:55 PM (IST)
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एक दिन में लकड़ी से हो रहे हैं हैं 80 से ज्यादा अंतिम संस्कार।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा सीमापुरी शवदाहगृह में इतनी अधिक चिताएं जलेंगी की आसपास के घर आग का गोला बन जाएंगे। शवदाहगृह में 24 घंटे चिताएं जलने से इससे सटी सन लाइट काॅलोनी में रहने वाले कई लोग अपने घरों को छोड़कर दूर चले गए हैं, ताकि कम से कम चिताओं की गर्मी और उसके धुएं से बच सकें। जो लोग अभी यहां रह रहे हैं, उन्होंने अपने परिवार के बुजुर्गों व छोटे बच्चों को अपने रिश्तेदारों के घर भेज दिया है। इस काॅलोनी में बने मकानों की छतों पर राख ही राख बिखरी हुई है। 

मकान में लगे ताले बयां कर रहे बेबसी

मकानों पर पड़े ताले लोगों की बेबसी को बयां कर रहे हैं। सिस्टम से सवाल कर रहे हैं आखिर इस शवदाहगृह को सीएनजी में तब्दील क्यों नहीं किया गया? जिस वक्त इस शवदाहगृह को कोरोना संक्रमितों के लिए आरक्षित किया जा रहा था, तब क्यों नहीं यहां के स्थानीय लोगों का ध्यान रखा गया? अंतिम संस्कार लकड़ियों से हो रहे हैं, जिस वजह से काॅलोनी गैस चैंबर बन गई है। एक चिता को जलने में 7 से 8 घंटे लग रहे हैं।

मैं पिछले 15 दिनों से अपने मायके में रह रही थी, बहू अपनी छह माह के बच्चे को लेकर अपने मायके गई हुई है। कब तक किसी दूसरे घर रहे, मैं और बेटा घर आ गए हैं। शवदाहगृह घर से सटा हुआ है, इतनी चिताएं जल रही है जिससे घर आग का गोला बना हुआ है। पंखा चलाते हैं तो चिता का धुआं अंदर आता है, सांस नहीं लिया जाता। परेशान होकर किरायेदार भी ताला लगाकर अपने गांव चले गए।

नजमा, स्थानीय निवासी।

कभी सपने में भी नहीं सोचा था शवदाहगृह में इतनी चिताएं जलेंगी की उनकी वजह से घर छोड़कर जाना पड़ेगा, दिन में कुछ देर के लिए घर की साफ सफाई के लिए आती हूं। चिता की राख उड़कर घर के अंदर आ जाती है। पूरा परिवार दूसरे इलाके में रहने वाली बहन के घर रह रहा है। चिताओं का धुआं घर में आता है, इससे आंखों में जलन होती है।

शांति, स्थानीय निवासी।

गली नंबर एक में करीब 10 से 15 लोग मकानों को छोड़कर या तो गांव चले गए या फिर दिल्ली में रहने वाले रिश्तेदारों के घरों में रह रहे हैं। कारण है, एक साथ करीब 30 चिताओं के जलने से घरों में बहुत गर्मी हो रही है। चिता की राख उड़कर आ रही है, दुर्गंध आती है। डर लगता है कही यहां के स्थानीय लोगों को शवदाहगृह की वजह से कोरोना न हो जाए।

तबस्सुम, स्थानीय निवासी।

लोग अगर इसी तरह से घरों को छोड़कर जाते रहे तो वो दिन दूर नहीं है जब काॅलोनी के सारे घर खाली हो जाएंगे। सरकार ने इस शवदाहगृह को कोरोना संक्रमितों के लिए सुरक्षित किया है, विपदा का समय है। सरकार को आम लोगों के बारे में भी तो सोचना चाहिए। सीएनजी की व्यवस्था निगम को करनी चाहिए, ताकि काॅलोनी के लोग कम से कम अपने घर में तो रह सकें।

सुनीता, स्थानीय निवासी

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