Coronavirus : क्या शाहीन बाग के धरने में भी शामिल हुए थे तब्लीगी जमात के लोग?
Coronavirus शाहीन बाग धरने में आने वाले तीन लोग कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं इसलिए यह आशंका और प्रबल हो जाती है। इसके अलावा जांच में ऐसे भी कई पहलू सामने आए हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 02 Apr 2020 08:15 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Coronavirus: निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात में शामिल हजारों लोगों को शाहीन बाग धरने से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, सीएए व एनआरसी के विरोध में 15 दिसंबर से शुरू होकर तीन माह से अधिक समय तक चले शाहीन बाग धरने में देश के विभिन्न राज्यों के अलग-अलग विश्वविद्यालयों, मुस्लिम संगठनों व इलाकों से प्रदर्शनकारी आते थे। ऐसे में पुलिस व स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि इस धरने में जमात के लोग भी जरूर शामिल हुए होंगे।
बता दें कि शाहीन बाग धरने में आने वाले तीन लोग कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं, इसलिए यह आशंका और प्रबल हो जाती है। इसके अलावा जांच में ऐसे भी कई पहलू सामने आए हैं जिससे यह पता चल रहा है कि जमात में शामिल लोग जानबूझकर कोरोना वायरस को अन्य कॉलोनियों व लोगों के बीच फैलाना चाह रहे हैं। ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ये लोग शाहीन बाग, हौजरानी, निजामुद्दीन बस्ती, जामिया मिल्लिया इस्लामिया समेत दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में चल रहे सीएए विरोधी धरनों में गए हों और वहां जानबूझकर लोगों को कोराना का संक्रमण दिया हो।
कहा था- तुम धरना दो, हम यहीं से दुआ करेंगे
सीएए के विरोध में निजामुद्दीन बस्ती में किए गए धरने के एक आयोजक ने बताया कि उन लोगों ने मरकज में रहने वाले परिवारों व जमातियों से अनुरोध किया था कि वे लोग भी सीएए विरोधी धरने में शामिल हों। लेकिन, उन लोगों ने यह कहकर मना कर दिया था कि तुम लोग धरना दो, हम लोग यहीं बैठकर दुआ करेंगे कि सीएए व एनआरसी वापस हो जाए। स्थानीय लोगों के शामिल होने से बढ़ा खतरातब्लीगी जमात में यहां के स्थानीय लोग भी शामिल हुए थे। बाहर से आए लोग तो जमात के बाद भी मरकज में ही रह रहे थे, लेकिन स्थानीय लोग जमात में शामिल होने के बाद अपने घर परिवार के साथ रहते हैं।
स्थानीय लोगों के चपेट में आने का खतरा
दरअसल, जमात की इंतजामिया कमेटी के सदस्य व यहां के कर्मचारी आदि भी इसी परिसर के पीछे बने घरों में रहते हैं। इन लोगों की कुल संख्या करीब 50 है। ऐसे में अब इस बात का खतरा भी बढ़ गया है कि कहीं स्थानीय लोगों में भी कोरोना का संक्रमण न फैल जाए। हालांकि जब इस खतरे की बात जमात के लोगों से की गई तो वे भड़क उठे। उन्होंने उल्टे सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने लॉकडाउन किया ही क्यों।
वहीं, जमात के सदस्य मुशर्रफ अली ने कहा कि जो हुआ सो हुआ, अब आगे सावधानी बरती जाएगी। दरअसल, जमात के कई इंतजामिया सदस्य व पदाधिकारी यहां की आसपास की निजामुद्दीन बस्ती में रहते हैं। इन लोगों का मरकज में बराबर आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी आशंका है कि बस्ती में कोरोना पॉजिटिव या कोरोना संदिग्ध लोग हो सकते हैं। जमात की इंतजामिया कमेटी के उन स्थानीय सदस्यों के परिवार के लोगों को भी जांच की जाएगी जो लोग जमात में शामिल होने के बाद रोजाना अपने घर आ-जा रहे थे।
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