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एक्यूपंक्चर से भी हो रहा कोरोना के बाद की बीमारियों का इलाज, गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों की बंद हो गई दवाएं

गंगाराम अस्पताल के एक्यूपंक्चर विभाग के चेयरमैन व पद्मश्री से सम्मानित डा. रमन कपूर का दावा है कि वह कोरोना के बाद फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीड़ित 35 मरीजों का इलाज कर चुके हैं। एक्यूपंक्चर की मदद से करीब 70 फीसद मरीजों के फेफड़े की कार्यक्षमता दोबारा बढ़ गई।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 19 Jul 2021 03:22 PM (IST)
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कोरोना के बाद की बीमारियों का एक्यूपंक्चर से भी इलाज हो रहा है।
नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। एलोपैथी व आयुर्वेद के अलावा कोरोना के बाद की बीमारियों का एक्यूपंक्चर से भी इलाज हो रहा है। चिकित्सा की यह वैकल्पिक पद्धति कोरोना के कारण प्रभावित फेफड़े में दोबारा जान फूंकने में असरदार साबित हो रही है। गंगाराम अस्पताल के एक्यूपंक्चर विभाग के चेयरमैन व पद्मश्री से सम्मानित डा. रमन कपूर का दावा है कि वह कोरोना के बाद फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीड़ित 35 मरीजों का इलाज कर चुके हैं। एक्यूपंक्चर की मदद से करीब 70 फीसद मरीजों के फेफड़े की कार्यक्षमता दोबारा बढ़ गई। इससे नेबुलाइजर व एलोपैथी की अन्य दवाएं बंद हो गई। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद थकावट की परेशानी अधिक देखी जा रही है।

कई मरीजों में यह समस्या लंबे समय तक रहती है। इसका कारण यह है कि वायरस के प्रभाव से शरीर में ऊर्जा कम हो जाती है। शरीर में ऊर्जा बढ़ाने के लिए एक्यूपंक्चर बिंदु होते हैं। जहां सुई लगाकर इलाज करने से शरीर में ऊर्जा बढ़ जाती है। यह देखा जा रहा है कि 10 से 15 बार इस तकनीक से इलाज करने पर थकान की बीमारी दूर हो जाती है। इसके अलावा सूखी खांसी, जोड़ों में दर्द, चिंता व घबराहट से नींद नहीं आने की परेशानी, पेट की बीमारी व फेफड़े में खराबी से सांस लेने में परेशानी से पीड़ित मरीज अधिक देखे जा रहे हैं।

डाक्टर रमन अब तक ऐसे करीब 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। जिसमें करीब 35 मरीजों को फेफड़े की परेशानी थी। उनका फेफड़ा 30 से 40 फीसद कम काम कर रहा था। इस वजह से उन्हें नेबुलाइजर, इनहेलर सहित कई की दवाएं दी जा रही थीं। इससे ज्यादा सुधार नहीं होने पर वे एक्यूपंक्चर से इलाज कराने पहुंचे। दो से तीन महीने में इलाज चलने पर करीब 70 फीसद मरीज ठीक हो गए। उनकी सांस फूलने की समस्या दूर हो गई और दवाएं भी बंद हो गई। उन्होंने कहा कि शरीर में 800 ऐसे एक्यूपंक्चर बिंदु होते हैं, जहां सुई लगाकर इलाज किया जाता है। अब ऐसी तकनीक भी आ गई है, जिससे मरीज को सुई लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

अब एक्यूपंक्चर बिंदु पर लेजर व कलर थेरेपी से इलाज होने लगा है। ज्यादातर ऐसे मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं जो पहले से एक्यूपंक्चर के फायदे जानते हैं।मेलाटोनिन हार्मोन की कमी से नहीं आती नींद उन्होंने कहा कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोगों को ठीक से नींद नहीं आती। इसका कारण यह है कि मेलाटोनिन हार्मोन की कमी हो जाती है। एक्यूपंक्चर से मस्तिष्क स्टिमुलेट होता है, जिससे मस्तिष्क से बायोकेमिकल का पर्याप्त मात्रा में संचार होने लगता है। इसलिए नींद नहीं आने की परेशानी दूर हो जाती है।

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