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दिल्ली में अब नालों से गाद निकालने में भ्रष्टाचार, LG सक्सेना ने ACB को दिए जांच के आदेश

दिल्ली में नालों की सफाई में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। एलजी वीके सक्सेना ने पालम इलाके में नालों की सफाई में कथित भ्रष्टाचार की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से कराने के आदेश दिए हैं। आरोप है कि पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों और अधिकारियों की मिलीभगत से चार साल में एक ही ठेकेदार को करीब 80 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया।

By sanjeev Gupta Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 09 Sep 2024 08:36 PM (IST)
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दिल्ली में नालों से गाद निकालने में भ्रष्टाचार की एलजी सक्सेना ने दिए जांच के आदेश।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एलजी वीके सक्सेना ने पालम इलाके में नालों की सफाई में कथित भ्रष्टाचार की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से कराने के आदेश दिए हैं। नजफगढ़ के वार्ड 127 के पार्षद और अधिवक्ता अमित खरखरी की ओर से एलजी को शिकायत दी गई थी।

इसमें आरोप लगाया गया था कि पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों और अधिकारियों की मिलीभगत से चार साल यानी 2021-22 से 2024-25 के दौरान पीडब्ल्यूडी के महज दो डिवीजनों में एक ही ठेकेदार को करीब 80 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया। खरखरी ने अपनी शिकायत में दिल्ली सरकार द्वारा कथित फर्जी भुगतान (टेंडर दरों में बढ़ोतरी, नालों की सफाई में कथित फर्जी बिलिंग) का आरोप लगाया गया था।

ठेकेदारों ने हाथ से सफाई करनेवालों को काम पर रखा

खरखरी का यह भी आरोप था कि सुपर-सकर मशीनों की कमी के कारण ठेकेदार ने हाथ से सफाई करने वालों को काम पर रखा है। एलजी ने मुख्य सचिव को इन आरोपों की एसीबी से गहन जांच कराने के साथ ही जल्द एक्शन टेकन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। मामला पालम क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के साउथवेस्ट रोड-एक और साउथवेस्ट रोड-दो डिवीजनों में गाद हटाने के काम से जुड़ा है। एलजी के प्रधान सचिव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर एसीबी जांच के बारे में उपराज्यपाल के आदेशों से अवगत कराया है।

पीडब्ल्यू के दूसरे कर्मचारी भी रहे हैं शामिल

शिकायतकर्ता ने जिन अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं, उनमें कार्यकारी अभियंता आशीष गुप्ता, कनिष्ठ अभियंता अजय कुमार मीणा, सहायक अभियंता धरम सिंह मीणा, के साथ ठेकेदार सुरेंद्र सिंह और पीडब्ल्यूडी के दूसरे कर्मचारी भी इस गलत काम में प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहे हैं।

शिकायत में यह भी कहा गया है, क्योंकि दोनों डिवीजन उच्च पदस्थ पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अधीन थे, जिनमें अधीक्षण अभियंता राजपाल शिवरेन और शैलेंद्र मिश्रा और मुख्य अभियंता दक्षिण (एम) मनोज कुमार अग्रवाल के शामिल थे, इसलिए इस बात की संभावना है कि इन्हें इन भ्रष्ट गतिविधियों की जानकारी थी और उन्होंने जांच से बचने के लिए उपर्युक्त पूर्व अभियंता और सहायक अभियंता के साथ मिलीभगत की होगी।

शिकायत में लगाए गए अनियमितता के ये आरोप

(1) 2022 के मानसून के दौरान नालों की सफाई में भ्रष्टाचार।

(2) जाफरपुर में विभिन्न संवेदनशील स्थानों पर सीवरेज पंपों को लगाने में अनियमितता बरती गई।

(3) कार्य मापन में अनियमितता, एक ही कार्य के लिए दोहरा भुगतान किया गया।

(4) केवल कागजों पर किया गया काम।

(5) सब-डिवीजन निविदाओं का दुरुपयोग।

(6) निविदा नियमों का उल्लंघन और नालों की सफाई का काम मैनुअल तरीके से सफाईकर्मियों द्वारा कराया गया।

(7) निविदा दरों में अत्यधिक वृद्धि और धन का दुरुपयोग।

(8) लगातार चार वर्षों तक फर्जी बिलिंग।

(9) आरटीआई में बाधा डाली गई और आरोपों को दबाने का प्रयास किया गया।

(10) एनआईटी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और हेरफेर।

(11) वित्तीय कदाचार और अधिक बिलिंग।

(12) धन का दुरुपयोग और धोखाधड़ी से भुगतान।

(13) ठेकेदार सुरेंद्र सिंह को ठेका देने में पक्षपात, भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग।

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