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Delhi: दिल्ली में लगाया गया देश का पहला जल संग्रहालय, शोधन और संरक्षण सहित प्रबंधन की दे रहा जानकारी

आज भी भारत के कई ऐसे राज्य हैं जहां पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण वहां लोग तरह-तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। सुलभ इंटरनेशनल ने सालों पहले पश्चिम बंगाल में ऐसे ही कुछ स्थानों पर जल शोधन संयंत्र लगाए थे।

By GeetarjunEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 08:38 PM (IST)
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दिल्ली में लगाया गया देश का पहला जल संग्रहालय।
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। आज भी भारत के कई ऐसे राज्य हैं, जहां पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण वहां लोग तरह-तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। सुलभ इंटरनेशनल ने सालों पहले पश्चिम बंगाल में ऐसे ही कुछ स्थानों पर जल शोधन संयंत्र लगाए थे। जिससे वहां लोगों को न सिर्फ पीने के लिए स्वच्छ जल मिला बल्कि रोजगार का भी सृजन हुआ। उन्हीं संयंत्र के माडल को सुलभ इंटरनेशनल जल संग्रहालय में रखा गया है।

महावीर एन्क्लेव स्थित सुलभ इंटरनेशनल परिसर में स्थापित यह जल संग्रहालय देश में अपनी तरह का पहला संग्रहालय है। जिसका उद्देश्य पानी को लेकर लोगों को जागरूक करना।

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कुएं और तालाब के पानी का शोधन

हालांकि अभी यहां तीन माडल ही प्रदर्शित किए गए हैं, जिसमें कुएं व तालाब के पानी को शोधित करने का माडल शामिल है। आगामी दिनों यहां और भी माडल व रोचक जानकारी को भी प्रदर्शित किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में लगा है प्लांट

अधिकारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल में हरिदासपुर गांव है, जहां कुएं के पानी को शुद्ध कर पीने योग्य बनाने के लिए प्लांट लगाया गया है। उसी संयंत्र पर माडल तैयार किया गया है। जिसमें पंप के माध्यम से पानी को कुएं से खींचा जाता है और उसके बाद वह पानी केमिकल प्रक्रिया से गुजरता है। फिर पानी रेत फिल्टर से गुजरते हुए कार्बन फिल्टर से गुजरता है और इसके बाद कर्टिरेज फिल्टर में पानी को बारीकी से छाना जाता है।

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बीमारियों पर लगी रोक

इसके बाद पानी अल्ट्रावायलेट किरणों से गुजरता और उसके बाद स्वच्छ पानी को बोतलों में एकत्रित कर घर-घर तक पहुंचाया जाता है। यह संयंत्र लगने के बाद हरिदासपुर गांव में बीमारियों पर विराम लगा है और लोग स्वस्थ हुए हैं।

एक घंटे में दो लीटर पानी का शोधन

ठीक इसी प्रकार मधुसूदन चाक गांव में तालाब के पानी को शोधित करने के लिए यह संयंत्र लगाया गया है। इस संयंत्र से एक घंटे में दो हजार लीटर पानी शोधित होता है। एक दिन में करीब आठ घंटे यह संयंत्र चलाया जाता है। फिलहाल स्थानीय संस्था इन संयंत्रों का संचालन कर रही है। लोगों को जल शोधित करने की तकनीक के बारे में जानकारी देने के लिए उन संयंत्रों का माडल जल संग्रहालय में लगाया गया है।

साथ ही मुंबई स्थित भांडुप वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की भी कई महत्वपूर्ण जानकारी यहां पर लोगों को मिलेगी। 10 सबसे बड़े जल शोधन संयंत्र में मुंबई का भांडुप प्लांट शामिल है। पानी से जुड़ी इसी तरह की कई रोचक जानकारियां लोगों के लिए जल संग्रहालय में शामिल की गई हैं।

इसके अलावा संग्रहालय में जल संरक्षण के लिए डा. बिंदेश्वर पाठक द्वारा किए गए प्रयोग की भी जानकारी मिलती है। वर्ष 2009 में डा. बिंदेश्वर पाठक को मिले स्टाकहोम वाटर प्राइज को भी संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। पानी को शोधित करने, जल प्रबंधन के लिए प्रयोग की जा रही नई तकनीकों, सतत विकास लक्ष्य छह, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पानी का इस्तेमाल, डकवीड्स के माध्यम से दूषित पानी को शोधित करने के बारे में भी यहां जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

साथ ही संग्रहालय में दिखाया गया है कि आबादी बढ़ने के साथ प्रति व्यक्ति पानी की होने वाली उपलब्धता कम हो रही है। 2001 में हर व्यक्ति के लिए देश में पानी की उपलब्धता 1816 क्यूबिक मीटर थी जो 2011 में कम होकर 1545 क्यूबिक मीटर रह गई। 2031 तक यह कम होकर 1367 क्यूबिक मीटर रह जाने का अनुमान है।

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