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कहीं आपने तो नहीं खरीदी यहां जमीन, कोर्ट ने वसूली मामले में ठहराया दोषी; पीड़ित को ब्याज सहित वापस मिलेंगे रुपये

Delhi Crime News मेसर्स अंसल हाईटेक टाउनशिप लिमिटेड के पास जमीन नहीं थी इसके बावजूद उसने भूखंड बेच दिए। मामला कोर्ट में पहुंचा तो वसूली का मामला सामने आया। अदालत ने वसूली और मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के बेचने वालों को दोषी ठहराया है। कोर्ट ब्याज सहित पीड़ित को रुपये वापस करने का आदेश दिया है। अगर कोई भी जमीन खरीदता है तो उसके लिए यह सुझाव जरूरी है।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 29 Aug 2024 11:34 AM (IST)
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दिल्ली में वसूली के मामले में अदालत ने दोषी ठहराया है। फाइल फोटो
रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। Delhi Fraud Case जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग नई दिल्ली ने मेसर्स अंसल हाईटेक टाउनशिप लिमिटेड को दादरी में आवासीय भूखंड के नाम पर शिकायतकर्ता से वसूली करने, मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए सेवाओं में कमी का दोषी ठहराया। Delhi Plot उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष पूनम चौधरी, सदस्य शेखर चंद्रा की पीठ ने अंसल हाईटेक को शिकायतकर्ता से वसूले गए 14.81 लाख रुपये 9 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश दिया।

कैसे हुई थी वसूली

पीठ ने कहा कि कंपनी शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये की राशि का भुगतान करेगी। वहीं, मुकदमे के खर्च के लिए भी 25 हजार रुपये देने होंगे। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कंपनी के खिलाफ सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि अंसल हाईटेक ने वर्ष 2012 में गौतमबुद्धनगर जिले के दादरी (Dadri Plot) गांव के पास सुशांत मेगापालिस नाम से आवासीय भूखंडों के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। वो कंपनी के झूठे वादों पर विश्वास करते हुए इस परियोजना में 200 वर्गमीटर का प्लाट खरीदने के लिए तैयार हो गया।

शिकायतकर्ता ने बताया कि सुशांत मेगापालिस में आवासीय भूखंड खरीदने के लिए एक आवेदन पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत अंसल ने उसे प्रस्तावित सुशांत मेगापालिस में सेक्टर 12ए में प्लाट नंबर 52 आवंटित किया था।

धोखाधड़ी का लगा था आरोप

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अंसल हाईटेक ने खरीददारों के साथ धोखाधड़ी की। खुद जमीन खरीदने से पहले ही कंपनी ने उक्त जमीन पर विकसित किए जाने वाले भूखंडों को शिकायतकर्ता और विभिन्न अन्य आवंटियों को बेच दिया था। शिकायतकर्ता को जब इस हकीकत का पता चला तो उसने तुरंत अंसल हाईटेक के अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने स्वीकार किया कि उक्त भूमि उनके पास उपलब्ध नहीं है।

शिकायतकर्ता ने बताया कि अंसल ने उसे किसी अन्य वैकल्पिक स्थान पर एक प्लाट की पेशकश की। इसे ठुकराने के बाद कंपनी एक ओर आश्वासन देती रही कि वे ब्याज सहित उनकी राशि वापस कर देगी, जबकि दूसरी तरफ वे किसी न किसी बहाने से इसमें देरी करती रही।

अंसल हाईटेक की ओर से पेश अधिवक्ता ने आवेदन को खारिज करने का अनुरोध करने हुए दलील दी कि आयोग के पास इस विवाद पर विचार करने के लिए अपेक्षित क्षेत्राधिकार नहीं है। फोरम ने कंपनी के तर्कों को ठुकराते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर कंपनी यह तर्क नहीं दे।

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जागरण विचार

किसी भी तरह की टाउनशिप योजना में फ्लैट या घर लेने से पहले उसे रियल स्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की वेबसाइट पर अवश्य जांच लें। वेबसाइट पर संबंधित टाउनशिप की स्वीकृति की स्थिति को देखा जा सकता है। संबंधित प्राधिकरण में भी इसकी जानकारी की जा सकती है। वर्ष 2016 में रेरा इसीलिए अस्तित्व में आया ताकि धोखाधड़ी से लोगों को बचाया जा सके।

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