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8 साल बाद न्याय! तेज रफ्तार Mercedes से छीन ली थीं शिद्धार्थ की सांसें, अब परिवार को मिलेंगे 1.98 करोड़ रुपये

Mercedes Car Accident राजधानी दिल्ली में आठ साल पहले नाबालिग ने Mercedes Car से एक युवक को टक्कर मार दी थी। मृतक सिद्धार्थ अपने परिवार का सहारा था। उसकी मौत के बाद माता-पिता संकट में आ गए थे। लेकिन अब आठ साल बाद कोर्ट से उन्हें न्याय मिला है। कोर्ट ने सिद्धार्थ के माता-पिता को 1.98 करोड़ रुपये देने के निर्देश दिए हैं। जानिए आखिर पूरा मामला क्या है?

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 18 Jul 2024 01:31 PM (IST)
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दिल्ली में युवक की मौत के मामले में पीड़ित परिवार को कोर्ट से न्याय मिला है। जागरण फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi दिल्ली की एक अदालत ने बीमा कंपनी को सड़क दुर्घटना में मारे गए युवक के माता-पिता को 1.98 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। एक नाबालिग ने साल 2016 में तेज रफ्तार से मर्सिडीज कार Mercedes Car से सिद्धार्थ शर्मा को टक्कर मार दी थी। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) के न्यायाधीश पीठासीन अधिकारी डॉ. पंकज शर्मा की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि सिद्धार्थ की मौत नाबालिग द्वारा लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई। यह जानलेवा दुर्घटना चार अप्रैल, 2016 को हुई थी।

Mercedes Car से मारी थी टक्कर

दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में सड़क पार कर रहे सिद्धार्थ शर्मा को तेज रफ्तार मर्सिडीज कार Mercedes Car ने टक्कर मार दी थी। अदालत ने कहा, असलियत में आरोपित के पिता मनोज अग्रवाल ने सड़क पर चलने वालों की कीमत पर अपने नाबालिग बेटे के कृत्य को जानबूझकर नजरअंदाज कर उसे कार सौंपी। वह अपने पिछले कृत्यों से भी यह महसूस करने में विफल रहा कि उसके नाबालिग बेटे को कार चलाने की अनुमति देना उसके लिए विनाशकारी हो सकता है।

कोर्ट ने कहा कि अपने नाबालिग बेटे को कार चलाने से रोकने के बजाय, इसे नजरअंदाज करने का फैसला किया, जिसका अर्थ यह है कि दुर्घटना के समय वह घर पर था और अपने बेटे को मजे के लिए घर से कार ले जाने से नहीं रोका।

25 हजार की नौकरी कर रहे थे सिद्धार्थ

अदालत ने इस तथ्य पर विचार किया कि सिद्धार्थ शर्मा अपनी मृत्यु के समय उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। वह 32 वर्ष के थे। जनवरी 2015 में 25,000 रुपये का वेतन कमा रहे थे और उन्हें मार्च 2016 में 10 लाख रुपये प्रति वर्ष के उच्च वेतन के साथ नौकरी की पेशकश मिली थी।

न्यायालय ने तय की 1.98 करोड़ रुपये की राशि

अदालत ने इन बातों के आधार पर सिद्धार्थ के माता-पिता को दी जाने वाली मुआवजे की राशि तय की। अदालत ने बीमा कंपनी को मुआवजे के रूप में लगभग 1.21 करोड़ रुपये और ब्याज के रूप में लगभग 77.61 लाख रुपये देने का निर्देश दिया। दोनों मिलाकर कुल मुआवजा 1.98 करोड़ रुपये बैठता है।

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लापरवाही से कार चला रहा था नाबालिग

पुलिस द्वारा दायर एक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट के अनुसार, नाबालिग छह दोस्तों के साथ लापरवाही से और तेज गति से कार चला रहा था। हादसा इतना जोरदार था कि सिद्धार्थ लगभग 15-20 फीट ऊपर हवा में उछले और गिरने के बाद उन्हें घातक चोटें आईं थीं।

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अदालत ने कहा कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद मामले में आईपीसी की धारा 304 (गैरइरादतन हत्या के लिए सजा) लगाई थी, जिसमें नाबालिग द्वारा खतरनाक ड्राइविंग को दिखाया गया था।

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