Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

गर्लफ्रेंड के पति को चलती ट्रेन के सामने दिया था धक्का, शख्स ने की अब जमानत की मांग; कोर्ट ने किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है जिस पर अपनी प्रेमिका के पति को चलती ट्रेन के सामने धक्का देकर मारने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि अपराध की जघन्यता एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है जिसे आरोपित को जमानत देने या न देने का फैसला करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए।

By Ritika Mishra Edited By: Sonu Suman Updated: Sat, 27 Jul 2024 03:03 PM (IST)
Hero Image
चलती ट्रेन के सामने प्रेमिका के पति को फेंकने के आरोप में कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिस पर अपनी प्रेमिका के पति को चलती ट्रेन के सामने धक्का देकर मारने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि अपराध की जघन्यता एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है, जिसे आरोपित को जमानत देने या न देने का फैसला करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि यह मानने के लिए उचित आधार है कि याचिकाकर्ता ने अपराध किया है। न्यायाधीश ने कहा कि भले ही आरोपित 2019 से हिरासत में है, लेकिन मुकदमे में पर्याप्त प्रगति हुई है और अधिकांश गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है।

अदालत इस समय उसे जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं

न्यायाधीश ने कहा कि अपराध की प्रकृति और जिस तरह से आरोपित ने इसे अंजाम दिया है, उसे देखते हुए अदालत इस समय उसे जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित पर बहुत गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया है और मामले के तथ्य तथा गवाहों के बयान उसकी मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं।

आरोपी ने इसे दुर्घटना का रंग देने की कोशिश की

अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपित वर्ष 2019 में पीड़ित को जखीरा में रेलवे लाइन के पास एक सुनसान सड़क पर ले गया और उसके सिर पर कई बार ईंट से वार किया। इसके बाद, उसने पीड़ित को एक गुजरती ट्रेन के सामने धकेल दिया, जिसने उसे घसीटा और उसके शरीर को दो टुकड़ों में काट दिया। आरोपित ने पीड़ित के परिवार को घटना के बारे में सूचित किया था और इसे दुर्घटना का रंग देने की कोशिश की थी। पुलिस ने कहा कि आरोपित पीड़ित की पत्नी का दोस्त था और उसे पसंद करता था।

अधिकांश गवाहों से पूछताछ की जा चुकी

आरोपित की ओर से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया कि चूंकि अधिकांश गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है, इसलिए उसे अब और हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है। अधिवक्ता ने दावा किया कि उसके मुवक्किल के खिलाफ मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है और उसे इसमें झूठा फंसाया गया है। आरोपित पर उस महिला के पति की हत्या का आरोप है, जिससे वह प्यार करता था।

यह भी पढ़ेंः Mahua Moitra: महुआ मोइत्रा पर होगी कार्रवाई! अब जल्द TMC सांसद से होगी पूछताछ