Indian Railway News: कोरोना की दूसरी लहर से धूमिल हुई नियमित ट्रेनों की आस
कुछ माह बाद नियमित ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से इन उम्मीदों को झटका लगा है। हाल फिलहाल में नियमित ट्रेनों के शुरू होने की उम्मीद नहीं है। कुछ माह पहले पटरी पर वापस लौटीं कई विशेष ट्रेनें भी यार्ड में खड़ी हैं।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। कोरोना संक्रमण ने रेल परिचालन को बुरी तरह से बाधित किया है। लगभग एक वर्ष से सीमित संख्या में विशेष ट्रेनें चल रही हैं। संक्रमण का प्रकोप कम होने के बाद आहिस्ता-आहिस्ता इनकी संख्या बढ़ने लगी थी। रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ भी बढ़ रही थी। इसे देखते हुए अप्रैल तक 90 फीसद ट्रेनों को पटरी पर लाने की तैयारी थी। माना जा रहा था कि कुछ माह बाद नियमित ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से इन उम्मीदों को झटका लगा है। हाल फिलहाल में नियमित ट्रेनों के शुरू होने की उम्मीद नहीं है। कुछ माह पहले पटरी पर वापस लौटीं कई विशेष ट्रेनें भी यार्ड में खड़ी हैं।
लाॅकडाउन के कारण लगभग डेढ़ माह तक ट्रेनों पर सन्नाटा पसरा रहा
पिछले वर्ष कोरोना महामारी व लाकडाउन शुरू होने के साथ ही मार्च के अंतिम सप्ताह में यात्री ट्रेनों की आवाजाही बंद कर दी गई थी। लगभग डेढ़ माह तक ट्रेनों पर सन्नाटा पसरा रहा। इसके बाद में राजधानी व लंबी दूरी की कुछ अन्य ट्रेनों को विशेष ट्रेन का दर्जा देकर पटरी पर उतारा गया। अनलाॅक के साथ ही यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी और इसे ध्यान में रखकर विशेष ट्रेनों की संख्या भी बढ़ती गई। इन ट्रेनों में सिर्फ आरक्षित टिकट वाले यात्री सफर कर सकते हैं। इस वर्ष फरवरी से लोकल ट्रेनों का परिचालन भी शुरू किया गया जिससे दैनिक यात्री अनारक्षित टिकट लेकर यात्रा कर सकें। इनकी संख्या भी बढ़ रही थी, लेकिन अप्रैल के अंतिम सप्ताह से लगभग सभी लोकल ट्रेनें एक बार फिर से बंद हैं।
यात्रियों की संख्या कम होने से यार्ड में खडी हैं कई ट्रेनें
दिल्ली सहित कई राज्यों में संक्रमण के मामले ज्यादा बढ़ने और लाकडाउन लगने से यात्रियों की संख्या कम होने लगी। इस वजह से अधिकांश शताब्दी सहित कई राजधानी व अन्य विशेष ट्रेनों को अगले आदेश तक निरस्त करना पड़ा है। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल से पहले चलने वाली ट्रेनों की तुलना में लगभग 70 फीसद वापस पटरी पर आ गईं थीं, लेकिन अब इनमें से कई यार्ड में खड़ी हो गई हैं।
अधिकांश शताब्दी ट्रेनें हैं निरस्त
लखनऊ शताब्दी छोड़कर नई दिल्ली से चलने वाली सभी शताब्दी ट्रेनें व तेजस एक्सप्रेस निरस्त हैं। कुछ दिनों में कानपुर शताब्दी के शुरू होने की उम्मीद है। यहां से कटड़ा व वाराणसी के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस भी चलती हैं, लेकिन कटड़ा वाली ट्रेन फिलहाल बंद है।
दिल्ली मंडल में चल रही हैं 260 ट्रेनें
सामान्य दिनों में दिल्ली मंडल में एक्सप्रेस व लोकल ट्रेनें मिलाकर रोजाना लगभग छह सौ ट्रेनों का परिचालन होता था। अब 260 ट्रेनें चल ही हैं। सबसे बड़े रेलवे स्टेशन नई दिल्ली से 355 ट्रेनें रवाना होती थीं। दूसरी लहर से पहले करीब दो सौ ट्रेनें रवाना होने लगी थीं लेकिन अब इनकी संख्या कम होकर 155 रह गई है।