Move to Jagran APP

'वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष होती हैं 33 हजार मौतें', CPCB ने लैंसेट अध्ययन पर उठाए सवाल

सीपीसीबी ने एनजीटी में लैंसेट अध्ययन के निष्कर्षों का विरोध किया है जिसमें दावा किया गया था कि खराब वायु गुणवत्ता ने 10 प्रमुख भारतीय शहरों में मृत्यु दर को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। सीपीसीबी ने अध्ययन के आंकड़ों को सटीक न बताते हुए कहा कि मौतों के लिए अकेले प्रदूषण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Fri, 08 Nov 2024 07:35 AM (IST)
Hero Image
सीपीसीबी ने एनजीटी में लेंसेट अध्ययन के निष्कर्षों का विरोध किया है। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एनजीटी में लेंसेट अध्ययन के निष्कर्षों का विरोध किया है। इस अध्ययन में दावा किया गया था कि खराब वायु गुणवत्ता ने 10 प्रमुख भारतीय शहरों में मृत्यु दर को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

सीपीसीबी ने और क्या कहा...

अध्ययन के आंकड़ों को सटीक न बताते हुए सीपीसीबी ने कहा कि मौतों के लिए अकेले प्रदूषण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है और इसमें प्रयुक्त आंकड़े ठीक नहीं है। एनजीटी ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित अध्ययन का स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों से अधिक वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष लगभग 33,000 मौतें होती हैं।

इन शहरों को किया गया शामिल

अध्ययन में दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी शहरों को शामिल किया गया था। सीपीसीबी ने चार नवंबर को दिए अपने जवाब में कहा कि अध्ययन में 2008 से 2020 के बीच देश भर में एक वर्ग किलोमीटर स्थानिक (स्पेटिकल) सूक्ष्मकणों पर दैनिक औसत पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 सांद्रता का विश्लेषण किया गया है।

इसमें 10 शहरों के प्रत्येक नगर निगम से प्राप्त मृत्यु दर के ब्यौरे का भी उपयोग किया गया है। सीपीसीबी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि अध्ययन का निष्कर्ष है कि भारत में पीएम 2.5 के संपर्क से मृत्यु का उच्च जोखिम जुड़ा हुआ है। स्थानीय स्तर पर उत्पन्न वायु प्रदूषकों के लिए ये संबंध अधिक मजबूत थे।

हालांकि, अध्ययन की अपनी सीमाएं हैंज। उसने दावा किया कि मृत्यु के कारण संबंधी आंकड़ों के अभाव में कई बार अनुमान लगाया जाता है। इसलिए, मौतों को केवल वायु प्रदूषण के कारण नहीं माना जा सकता और इससे सही तुलना नहीं हो सकती है।

छठ पर फिर बढ़ा दिल्ली का वायु प्रदूषण

दिल्ली में बृहस्पतिवार को छठ पूजा के दौरान एक बार फिर से वायु गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिली। एनसीआर के शहरों में एक्यूआइ के स्तर में इजाफा देखने को मिला। सुबह और रात के समय हल्के कोहरे एवं स्माग की परत भी देखी गई।

यह भी पढ़ें- Chhath Puja: छठ का अंतिम दिन आज, देश-दुनिया में उगते सूरज को दिया जा रहा अर्घ्य; देखें तस्वीरें

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार (सीपीसीबी) राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार का औसत एक्यूआइ 377 रहा। एक दिन पहले यह 352 रहा था। छठ पूजा के दौरान शाम को प्रदूषण स्तर में और वृद्धि देखी गई। शाम छह बजे यह एक्यूआइ 382 तक पहुंच गया।

वहीं, चिंताजनक स्थिती यह कि शाम छह बजे दिल्ली के 16 इलाकों का एक्यूआइ 400 से ऊपर यानी वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। इनमें आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, मुंडका, जहांगीरपुरी, वजीरपुर, ओखला फेज दो, पंजाबी बाग, रोहिणी, सोनिया विहार और पटपड़गंज समेत कई अन्य इलाके भी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें- Maharashtra Election: आज से महाराष्ट्र के रण में गरजेंगे पीएम मोदी, एक हफ्ते में ताबड़तोड़ नौ रैलियों को करेंगे संबोधित

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।