ऐसा अस्पताल जहां खतरे में है मरीज व कर्मचारियों की जान, कभी भी गिर सकती है छत
अस्पताल के भवन को जर्जर और असुरक्षित बताते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने कॉलेज प्रबंधन को आगाह किया है और मरीजों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है।
By Amit MishraEdited By: Updated: Sun, 29 Jul 2018 10:11 PM (IST)
नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। देश के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में शुमार केंद्र सरकार के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के सुचेता कृपलानी अस्पताल का भवन सुरक्षित नहीं है। सौ साल पुराने इस अस्पताल के भवन को जर्जर और असुरक्षित बताते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने कॉलेज प्रबंधन को आगाह किया है और मरीजों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है।
कॉलेज प्रबंधन ने साध रखी है चुप्पी
सीपीडब्ल्यूडी के अनुसार, भवन में लगे गार्डर अब इतने मजबूत नहीं रहे कि छत का भार भी सहन कर सकें। इस वजह से यह कभी भी भरभरा कर गिर सकता है। सीपीडब्ल्यूडी ने कॉलेज प्रबंधन को लिखे पत्र में कहा है कि पहले भी इस बारे में चेतावनी दी जा चुकी है फिर भी कॉलेज प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। ऐसे में भविष्य में कोई बड़ा हादसा होता है तो घटना के लिए विभाग जिम्मेदार नहीं होगा। वहीं इस मामले पर कॉलेज प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है।छत कभी भी अचानक गिर सकती है
सीपीडब्ल्यूडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विभाग के इंजीनियरों की टीम ने पिछले 24 मई को अस्पताल के भवन का निरीक्षण किया था। भवन बहुत पुराना होने के कारण उसकी छत के निर्माण में आरसीसी (रेनफोर्सड सीमेंट कंक्रीट) का इस्तेमाल नहीं किया गया है। छत आर्च विधि से बनी है और वह लोहे के गार्डर से टिकी है। ये गार्डर जंग लगने के कारण पूरी तरह गल चुके हैं। इस कारण भवन की छत कभी भी अचानक गिर सकती है। इस हाल में वहां मरीज व कर्मचारी सुरक्षित नहीं हैं। इससे पहले फरवरी 2017 में भी सीपीडब्ल्यूडी कॉलेज प्रबंधन को यह चेतावनी जारी कर चुका है।
सीपीडब्ल्यूडी के अनुसार, भवन में लगे गार्डर अब इतने मजबूत नहीं रहे कि छत का भार भी सहन कर सकें। इस वजह से यह कभी भी भरभरा कर गिर सकता है। सीपीडब्ल्यूडी ने कॉलेज प्रबंधन को लिखे पत्र में कहा है कि पहले भी इस बारे में चेतावनी दी जा चुकी है फिर भी कॉलेज प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। ऐसे में भविष्य में कोई बड़ा हादसा होता है तो घटना के लिए विभाग जिम्मेदार नहीं होगा। वहीं इस मामले पर कॉलेज प्रबंधन ने चुप्पी साध रखी है।छत कभी भी अचानक गिर सकती है
सीपीडब्ल्यूडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विभाग के इंजीनियरों की टीम ने पिछले 24 मई को अस्पताल के भवन का निरीक्षण किया था। भवन बहुत पुराना होने के कारण उसकी छत के निर्माण में आरसीसी (रेनफोर्सड सीमेंट कंक्रीट) का इस्तेमाल नहीं किया गया है। छत आर्च विधि से बनी है और वह लोहे के गार्डर से टिकी है। ये गार्डर जंग लगने के कारण पूरी तरह गल चुके हैं। इस कारण भवन की छत कभी भी अचानक गिर सकती है। इस हाल में वहां मरीज व कर्मचारी सुरक्षित नहीं हैं। इससे पहले फरवरी 2017 में भी सीपीडब्ल्यूडी कॉलेज प्रबंधन को यह चेतावनी जारी कर चुका है।
बड़े पैमाने पर हो सकता है जानमाल का नुकसान
उल्लेखनीय है कि सुचेता कृपलानी अस्पताल के भवन का निर्माण 1916 में हुआ था। तब 80 बेड के साथ यह अस्पताल शुरू हुआ था। वर्तमान समय में इस अस्पताल में 877 बेड हैं। इतने मरीज हमेशा अस्पताल में भर्ती रहते हैं। इसके अलावा सुबह ओपीडी में हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यदि कोई हादसा हुआ तो बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि सुचेता कृपलानी अस्पताल के भवन का निर्माण 1916 में हुआ था। तब 80 बेड के साथ यह अस्पताल शुरू हुआ था। वर्तमान समय में इस अस्पताल में 877 बेड हैं। इतने मरीज हमेशा अस्पताल में भर्ती रहते हैं। इसके अलावा सुबह ओपीडी में हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यदि कोई हादसा हुआ तो बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हो सकता है।
मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है
सीपीडब्ल्यूडी ने अपनी रिपोर्ट में भी कहा है कि अस्पताल भवन को खाली न कराकर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। इस मामले पर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. राजीव गर्ग ने कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। उधर, अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी सहमे हुए हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा कि सीपीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी भेज दी गई है लेकिन वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।सीपीडब्ल्यूडी ने अपनी रिपोर्ट में भी कहा है कि अस्पताल भवन को खाली न कराकर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। इस मामले पर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. राजीव गर्ग ने कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। उधर, अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी सहमे हुए हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा कि सीपीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी भेज दी गई है लेकिन वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।