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Beauty Cream: चेहरा बिगाड़ भी सकती हैं काली त्वचा को ‘गोरा’ करने वाली क्रीम, रिसर्च में चौंकाने वाले तथ्‍य आए सामने

जीरो मर्करी वर्किंग ग्रुप (जेडएमडब्ल्यूजी) द्वारा जारी की गई एक नई वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक खतरनाक सौंदर्य प्रसाधन वैश्विक बाजार में व्यापक रूप से अब भी उपलब्ध हैं। भारत में सौंदर्य प्रसाधनों में मर्करी मिलाए जाने को रोकने के लिए औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम 2020 के तहत एक सख्त नियमन है। मर्करी कम्पाउंड वाले सौंदर्य प्रसाधनों का निर्माण और आयात पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

By sanjeev GuptaEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sun, 10 Dec 2023 12:38 PM (IST)
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Beauty Cream: चेहरा बिगाड़ भी सकती हैं काली त्वचा को ‘गोरा’ करने वाली क्रीम (प्रतीकात्मक तस्वीर)
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। मर्करी (पारा) का इस्तेमाल नियंत्रित करने के लिए हुई वैश्विक संधि ‘मिनामाटा कन्वेंशन’ द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद कुछ बड़े ऑनलाइन खुदरा विक्रेता, काली त्वचा को गोरा करने वाले मर्करी युक्त उत्पाद अभी भी बिना सोचे-समझे उपभोक्ताओं को धड़ल्ले से बेच रहे हैं।

ऑनलाइन प्लेटफार्म से खरीदारी में बरतें सावधानी

जीरो मर्करी वर्किंग ग्रुप (जेडएमडब्ल्यूजी) द्वारा जारी की गई एक नई वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक, खतरनाक सौंदर्य प्रसाधन वैश्विक बाजार में व्यापक रूप से अब भी उपलब्ध हैं। इस अध्ययन के लिए 12 देशों में एनजीओ साझीदारों ने 23 ऑनलाइन प्लेटफार्म से 213 संदिग्ध सौंदर्य प्रसाधन खरीदे। इनमें से 191 (90 प्रतिशत) में मर्करी की सांद्रता 1.18 से 74,800.00 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) तक थी।

यह विभिन्न सरकारों के साथ-साथ मिनामाटा कन्वेंशन द्वारा सौंदर्य प्रसाधनों के लिए अनिवार्य एक पीपीएम की सीमा से अधिक थी। भारत की ओर से इस अध्ययन में टाक्सिक्स लिंक ने भाग लिया। विभिन्न ई-कामर्स प्लेटफार्म से 21 स्किन लाइटनिंग उत्पाद खरीदे गए। परीक्षण किए गए सभी उत्पादों में पारे की सांद्रता 1.7 से 73200 पीपीएम मिली।

भारत में सौंदर्य प्रसाधनों में मर्करी मिलाए जाने को रोकने के लिए औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम 2020 के तहत एक सख्त नियमन है। मर्करी कम्पाउंड वाले सौंदर्य प्रसाधनों का निर्माण और आयात पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन गैर-इरादतन एक पीपीएम तक मर्करी की अनुमति है।

यह अध्ययन इस बात का संकेत देता है कि पारा युक्त उत्पाद अभी भी भारतीय बाजार में उपलब्ध हैं। इस रिपोर्ट में पारा युक्त सौंदर्य प्रसाधन बनाने व इसकी ऑनलाइन बिक्री को लेकर प्रभावी नियंत्रण की कमी पर भी प्रकाश डाला गया है। ऑनलाइन प्लेटफार्म, धोखाधड़ी करने वाले व्यापारियों को विज्ञापन, विपणन, और अवैध पारा-युक्त उत्पाद बेचने से रोकने की अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए नजर आते हैं।

क्या चेहरे के धब्बे और झुर्रियां दूर हो सकती हैं?

मालूम हो कि पारा एक ऐसा रासायनिक तत्व है जो त्वचा में मेलेनिन की मात्रा को कम करने में सक्षम है। इससे न सिर्फ डार्क टोन हल्का होता है, बल्कि यह उम्र के साथ चेहरे पर आने वाले धब्बे, झाइयों और झुर्रियों को भी दूर कर सकता है, लेकिन इसके बहुत से दुष्प्रभाव भी हैं, जैसे इसके इस्तेमाल से चेहरे पर चकते पड़ सकते हैं, त्वचा का रंग खराब हो सकता है और उस पर दाग तक हो सकते हैं। इसके अलावा, यह त्वचा व सांस के जरिये या मौखिक रूप से अवशोषण क्रिया को प्रभावित करके शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

पारा युक्त उत्पादों के लंबे समय तक इस्तेमाल से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। इसलिए उपभोक्ताओं की भलाई सुनिश्चित करने को नियामक अधिकारियों के लिए यह आवश्यक है कि वे त्वचा का रंग साफ करने वाली पारा युक्त आयातित क्रीम की नियमित तौर पर निगरानी करें। साथ ही, भारत में उच्च स्तर के पारा युक्त त्वचा को गोरा करने वाली क्रीम के आयात को रोकने के लिए एक प्रभावी निगरानी प्रणाली स्थापित करें।

-सतीश सिन्हा, एसोसिएट निदेशक, टाक्सिक्स लिंक

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