आटा, दाल, चावल पर GST, बढ़ेगी महंगाई; नाराज व्यापारियों ने बुलाई महापंचायत
आटा दाल चावल दही लस्सी व दूध के उत्पादों को जीएसटी के दायरे में शामिल करने फैसले को लेकर व्यापारियों में नाराजगी दिख रही है। इसे लेकर चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) ने बुधवार को व्यापारियों की महापंचायत बुलाई है।
By Abhishek TiwariEdited By: Updated: Mon, 18 Jul 2022 09:58 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद द्वारा हालिया बैठक में आटा, दाल, चावल, दही, लस्सी व दूध के उत्पादों को जीएसटी के दायरे में शामिल करने का फैसला किया है। इसे लेकर दिल्ली के व्यापारियों में नाराजगी देखी जा रही है।
सितंबर में दिल्ली में बड़ी होगी राष्ट्रीय रैलीशनिवार को भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) द्वारा इसके विरोध में एक दिवसीय उद्योग बंद को दिल्ली के मिलर्स और अनाज कारोबारियों का समर्थन मिला। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठान बंद रखे। अब इसे लेकर एक अन्य कारोबारी संगठन चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) ने बुधवार को व्यापारियों की महापंचायत बुलाई। सितंबर में दिल्ली में बड़ी राष्ट्रीय रैली होगी।
सीटीआइ के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि इस महापंचायत में दिल्ली के 100 बड़े बाजारों के व्यापारी नेता शामिल होंगे और मौजूदा जीएसटी बढ़ोत्तरी के विरोध में आंदोलन की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब दाल, चावल, आटा-अनाज, दही व लस्सी समेत जरूरी खाद्य वस्तुओं पर टैक्स लगाया गया है, जबकि पहले ये कर दायरे से बाहर थीं।इससे महंगाई की मार से आम आदमी जहां और त्रस्त होगा। वहीं इसके व्यापार से जुड़े व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ेंगी। इसलिए व्यापारी वर्ग विरोध हो कर रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने यह फैसला तब लिया है, जब हर माह जीएसटी राजस्व डेढ़ लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है।
26 जुलाई से कैट शुरू करेगा राष्ट्रीय आंदोलन जीएसटी के क्रियांवयन में सुधार की मांग को लेकर कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) 26 जुलाई से राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करेगी। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पिछले पांच वर्ष से जिस प्रकार से बिना व्यापारियों से परामर्श किए जीएसटी के मूल कानून में लगातार बदलाव किया गया है, उससे कर प्रणाली सरल होने की जगह बेहद जटिल हो गई है।
इसके विरोध में आंदोलन की शुरुआत 26 जुलाई को भोपाल से होगी। इस आंदोलन में देश के 50 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठन भाग लेंगे।
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