साइबर ठगों ने 6 महीने में दिल्लीवासियों से ठगे डेढ़ अरब रुपये, पुलिस के लिए चुनौती बना रकम वापस दिलाना
दिल्ली में साइबर अपराध के मामले मात्र दो वर्ष में ही चार गुना तक बढ़ गए हैं। इस वर्ष के शुरुआती छह माह में ही लगभग 1.68 अरब रुपये की ठगी के मामले सामने आ चुके हैं। पिछले वर्ष इसी अवधि में दिल्लीवासी लगभग 42 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार हुए थे। पुलिस इस छह माह में सिर्फ 5.6 लाख रुपये ही पीड़ितों को वापस दिला पाई है।
धनंजय मिश्रा, नई दिल्ली। सख्ती के तमाम दावे और जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में साइबर अपराध के मामले मात्र दो वर्ष में ही चार गुना तक बढ़ गए हैं। इस वर्ष के शुरुआती छह माह में ही लगभग 1.68 अरब रुपये की ठगी के मामले सामने आ चुके हैं। पिछले वर्ष इसी अवधि में दिल्लीवासी लगभग 42 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार हुए थे।
विशेष बात यह है कि ठगी की रकम को पीड़ितों तक पहुंचाने की दर बेहद कम है। पुलिस ने इस वर्ष के छह माह में सिर्फ 5.6 लाख रुपये ही साइबर अपराध के पीड़ितों को वापस दिला पाई है। साइबर अपराध से जुड़ी शिकायतों पर गौर करें तो इस वर्ष शिकायतें भी पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक दर्ज की गई हैं। गत वर्ष उक्त समय अवधि के दौरान विभिन्न प्रकार की साइबर अपराध से जुड़ी लगभग साढ़े सात हजार शिकायतें दर्ज की गई थीं। इस वर्ष 25 हजार शिकायतें दर्ज की गई हैं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में फेक कॉल स्कैम, क्रिप्टोकरंसी में निवेश और वर्क फ्रॉम होम के नाम पर अधिक ठगी हो रही है। फेक कॉल स्कैम में ठग पीड़ितों को खुद को बैंक अधिकारी, निवेश कंपनी का अधिकारी या तकनीकी अधिकारी बताते हैं।
एक बार जब उन्हें पीड़ित का डाटा, जैसे- क्रेडिट कार्ड विवरण, ओटीपी, नेट बैंकिंग पासवर्ड या अन्य विवरण मिल जाते हैं, तो वे पैसे उड़ा लेते हैं। क्रिप्टो करंसी में निवेश के नाम पर ठग नकली वेबसाइट बनाते हैं और लोगों को स्टाक ट्रेडिंग या बिटकाइन में निवेश करने का लालच देते हैं।
टेलीग्राम और वाट्सएप ग्रुप का उपयोग करके गिरोह के सदस्य लोगों को पैसा निवेश करने के लिए बड़े पैमाने पर मैसेज भेजते हैं। जैसे ही कोई झांसे में आता है, फिर उसे ठगी का शिकार बनाते हैं।
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ठगी की रकम वापस लाना आसान नहीं इस वर्ष एक जनवरी से 30 जून तक सिर्फ 5.6 लाख रुपये ही पीड़ितों को पुलिस वापस दिला पाई है। ठगी के तुरंत बाद ठग बैंक से रकम निकाल लेते हैं। जो रकम बैंक में होती है, उसे सीज कर दिया जाता है। उसके बाद कोर्ट के आदेश पर जांच अधिकारी बैंक से सीज की गई रकम की जानकारी लेता है। पीड़ित को भी संबंधित कोर्ट में जाना होता है।
इन के जरिए लोगों को बनाया निशाना
ठगों के बैंक खातों के पते और नाम भी फर्जी होने की वजह से रकम का विवरण निकालने में समय लगता है। इनके जरिये बनाया निशाना ईमेल, डेबिट और क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, सिम स्वैप धोखाधड़ी, डीमैट धोखाधड़ी, इंटरनेट बैंकिंग, यूपीआइ और ई-वालेट से संबंधित धोखाधड़ी कर बनाया निशाना।
- 4 गुना बढ़े दो वर्ष में साइबर ठगी के मामले
- 3 गुना बढ़ी इस वर्ष शिकायतों की संख्या भी
दो वर्ष में कितने की ठगी
साल | ठगी की रकम |
2022 | 42,63,282 |
2023 | 1,68,50,12,126 |
नोट- यह आंकड़े जनवरी से जून तक के हैं।
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खाते सीज कर पीड़ितों को दिलाई गई रकम
साल | बैंक में सीज रकम | पीड़ितों को लौटाए |
2022 | 2,62,5175 | 00 |
2023 | 13,24,03,313 | 5,79,841 |
नोट- दोनों वर्ष के आंकड़े जनवरी से जून तक के हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- इंटरनेट मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती करने से बचें l
- ऑनलाइन लिंक और इंटरनेट मीडिया पर किसी भी तरह के आफर और लालच में न आएं l
- अनजान व्यक्ति से फोन पर बात कर उसके बहकावे में न आएं l
- अच्छी तरह जांच करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें l
- फेसबुक, एक्स आइडी का पासवर्ड सरल पासवर्ड न रखें l
- कोई रुपयों की मांग करता है, तो पहले जांच लें या मैसेज करने वाले से फोन पर संपर्क करें l
- बैंक कर्मचारी फोन पर बैंक खातों से संबंधित जानकारी नहीं मांगते हैं।
- खाते सीज कर पीड़ितों को दिलाई गई रकम
इतनी एफआइआर हुईं दर्ज
साल | FIR |
2022 | 179 |
2023 | 152 |
25 हजार शिकायतें साइबर अपराधों से संबंधित इस साल सितंबर तक दर्ज कराई गई।
7.5 हजार साइबर अपराधों की शिकायतें गत साल दर्ज की गई थीं, ठगी से परेशन हैं लोग।
ठगी की रकम की बरामदगी दर कम, 5.6 लाख रुपये ही साइबर अपराध के पीड़ितों को मिलीदिल्ली पुलिस के स्पेशल डीसीपी आईएफएसओ, प्रशांत गौतम ने कहा कि कोरोना काल से साइबर अपराध के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। दिल्ली पुलिस भी साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए लगातार अभियान चला रही है। लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस साइबर अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए गंभीर हैं।