25 करोड़ में लाल किला को दिया गया है गोद, सरकार के इरादे हैं नेक; विपक्ष ने उठाए सवाल
पर्यटन राज्य मंत्री केजे अल्फोंस ने कहा कि इन परियोजनाओं के लिए काम करने वाली कंपनियां मुनाफा नहीं कमाएंगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पांचवें मुगल बादशाह शाहजहां का 17वीं शताब्दी में बनवाया दिल्ली का लाल किला अब डालमिया भारत ग्रुप ने पांच साल के लिए 25 करोड़ रुपये में गोद ले लिया है। डालमिया की कंपनी 23 मई से अपना काम शुरू करने जा रही है।
केंद्र सरकार ने ऐसा ‘अडॉप्ट ए हेरिटेज’ परियोजना के तहत किया है। हालांकि इस फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना है कि सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उसे देश की ऐतिहासिक धरोहर को एक निजी कंपनी को सौंपना पड़ा।
माकपा का कहना है कि डालमिया समूह अपने प्रचार के लिए धरोहर का इस्तेमाल करेगा। संसदीय समिति ने भी इसके विरुद्ध फैसला दिया था। इस पर पर्यटन मंत्रालय ने कहा है कि इस ऐतिहासिक धरोहर में डालमिया समूह का दखल सीमित होगा। वह मुख्य स्थल से अलग रखरखाव का काम देखेंगे।
बता दें कि डालमिया भारत समूह ने पिछले दिनों पर्यटन मंत्रालय के साथ एक एमओयू पर दस्तखत किए। इसके तहत कंपनी पांच साल तक लाल किले का रखरखाव करेगी। कंपनी छह महीने के अंदर ही लाल किले में पीने के पानी के बूथ, बेंचें आदि और पर्यटकों के लिए मार्गदर्शक साइनेज लगाएगी।
एक साल में यह कंपनी टेक्टाइल मैप लगाएगी, शौचालयों को बेहतर बनाएगी, रास्तों पर लैंप पोस्ट व रास्ते बंद करने के लिए बोलार्ड लगाएगी। भारतीय पुरातत्व विभाग के सुझाव पर मरम्मत और सौंदर्यीकरण के लिए लैंड स्केपिंग का भी काम होगा। एक हजार फुट का आगंतुक सुविधा केंद्र, 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग होगी। बैटरी चालित वाहन भी होंगे। परिसर में एक कैफेटेरिया होगा। हालांकि वाहन और कैफे के लिए जेब ढीली करनी होगी।
स्मारक मित्र
सरकार ने पर्यटन मंत्रलय और एएसआइ की भागीदारी वाली कमेटी की मदद से मार्च में 31 स्मारक मित्र छांटे। इनमें लाल किला, कुतुबमीनार (दिल्ली), हम्पी (कर्नाटक) सूर्य मंदिर (ओडिशा),अजंता गुफा (महाराष्ट्र), चार मीनार (तेलंगाना) और काजीरंगा नेशनल पार्क (असम) समेत 95 ऐतिहासिक धरोहरों को टूरिस्ट फ्रेंडली बनाएंगे।
कंपनी मुनाफा नहीं कमाएगी
पर्यटन राज्य मंत्री केजे अल्फोंस ने कहा कि इन परियोजनाओं के लिए काम करने वाली कंपनियां मुनाफा नहीं कमाएंगी। वह स्मारकों में मूलभूत सुविधाएं देने और पर्यटकों का आना बढ़ाने के लिए अपना धन लगाएंगी। इसके बदले में वह स्मारक के बाहर यह बोर्ड लगा सकती हैं कि उन्होंने इसे विकसित किया है। इसमें हर्ज नहीं है।
वहीं, केजे अल्फोंस (पर्यटन राज्य मंत्री) का कहना है कि पिछले 70 सालों में कांग्रेस ने इन स्मारकों का कितना विकास किया। कुछ भी नहीं। बल्कि बहुत से स्मारक बदहाली की कगार पर हैं।