सास को जलाकर मारने का प्रयास करने के आरोप से बहू बरी
सास ने प्राथमिकी में लगाए आरोपों से उलट बयान कोर्ट में दिया था। कपड़ों की जांच में भी कुछ पुष्ट नहीं हो सका था। इन तथ्यों पर गौर करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रीतेश सिंह के कोर्ट ने आदेश में कहा कि अभियोजन आरोप साबित नहीं कर पाया है।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Fri, 08 Oct 2021 09:26 PM (IST)
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। आठ साल पहले सास को जला कर मारने का प्रयास करने के आरोप से कड़कड़डूमा कोर्ट ने बहू को बरी कर दिया। इस मामले में सास ने प्राथमिकी में लगाए आरोपों से उलट बयान कोर्ट में दिया था। कपड़ों की जांच से उन पर तेल या अन्य पदार्थ डाले जाने की पुष्टि भी नहीं हो पाई थी। इन तथ्यों पर गौर करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रीतेश सिंह के कोर्ट ने आदेश में कहा कि अभियोजन आरोप साबित नहीं कर पाया है।
मंडावली में कृष्णपुरी गली नंबर-एक में 25 अप्रैल 2013 को बुजुर्ग नजमा के कपड़ों में आग लग गई थी, जिससे उनका बायां हाथ जल गया था। प्राथमिकी में उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी बड़ी बहू शबाना ने उन पर तरल पदार्थ डाल कर आग लगाई थी। साथ ही आरोप लगाया था कि शबाना मकान का तीसरा तल अपने नाम करवाने के लिए उन पर दबाव बना रही थी। उस वक्त क्राइम टीम ने नजमा के जले हुए कपड़ों को जब्त कर जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा था। प्रयोगशाला की जांच में कपड़ों पर किसी तरह का तेल या अन्य तरल पदार्थ नहीं पाया गया था।
आरोपित शबाना ने कोर्ट में पक्ष रखा था कि उस पर झूठा आरोप लगाया गया है। उधर, पीड़िता नजमा ने कोर्ट में बयान दिया था कि मकान के तीसरे तल पर वजू करते वक्त उन्हें आग लगी महसूस हुई थी, जिस पर उन्होंने शोर मचाया था। उस वक्त वह और बड़ी बहू शबाना ही वहां पर थे। शोर सुन कर उनकी छोटी बहू और कुछ पड़ोसियों ने आकर आग बुझाई थी और वही उन्हें अस्पताल लेकर गए थे। साथ ही कोर्ट को यह भी बताया था कि उन्हें नहीं मालूम आग कैसे लगी। सभी पक्ष और गवाहों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अभियोजन शबाना पर लगे आरोप साबित नहीं कर पाया है, इस कारण उसे आरोपों से बरी किया जाता है।
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