खेल के मैदान में बज रहा गाजियाबाद की बेटियों का डंका, पढ़े चार बच्चियों की कहानी
गाजिबाद की चार लड़कियों के स्ट्रगल की कहानी पढ़ कर आप भी चौंक जाएंगे। कैसे इतनी कम उम्र में ही इतने बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर ले रही हैं। पढ़े पॉजिटिव स्टोरी।
By Edited By: Updated: Tue, 25 Dec 2018 03:35 PM (IST)
गाजियाबाद, [शाहनवाज अली]। जिले की बेटियां खेल के क्षेत्र में बेटों से कहीं कम नहीं हैं। शूटिंग, क्रिकेट, पेंटेथलॉन व जूडो समेत कई खेलों में वह अपनी चमक बिखेरने में कहीं पीछे नहीं हैं। हालात बदलने में अब ज्यादा वक्त नहीं है, क्योंकि गाजियाबाद में ऐसी बेटियों की फेहरिस्त दिनों-दिन लंबी होती जा रही है, जो न केवल अपने दम पर सफलता हासिल की है, बल्कि माता-पिता व प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं।
महिमा का पांच खेलों में जलवा
महिमा आत्रेय, पेंटेथलॉन- बात करतें हैं पेंटेथलॉन गेम की, जिसमें एक या दो नहीं बल्कि पूरे पांच खेलों में पारंगत होना जरूरी है। इसमें शूटिंग, तैराकी, दौड़, तलवारबाजी और घुड़सवारी शामिल है। शहर की बेटी महिमा ने विदेशी धरती पर लोहा मनवाया है। बीबीए फाइनल इयर की स्टूडेंट महिमा ने कुछ दिन पूर्व किर्गिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल पेंटेथलॉन चैंपियनिशप में ब्रांज मेडल जीता है। जनवरी में वह खेल मंत्रालय की ओर से ओलंपिक तैयारी के लिए छह माह की ट्रेनिंग लेने के लिए हंगरी जा रही हैं। जूडो में रिया का जोड़ नहीं
रिया कश्यप, जूडो - दो भाइयों की अकेली बहन है रिया। 11 वर्षीय रिया ने पिता के कहने पर महामाया स्पोर्ट्स स्टेडियम में कोच परवेज अली से जूडो का ककहरा सीखा। जूडो को ही अपना लक्ष्य बनाते हुए इस पर मेहनत की और एक के बाद एक तीन नेशनल स्कूल गेम्स मे उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2016 में तेलांगाना में ब्रांज, 2017 के दिल्ली में आयोजित नेशनल स्कूल गेम्स में सिल्वर व 2018 में हिमाचल प्रदेश के ऊना में आयोजित अंडर-14 फेडरेशन गेम्स में रिया ने ब्रांज मेडल हासिल किया। इसके लिए वह अपने पिता को श्रेय देते हुए कहती हैं कि सीमित संसाधनों में उनके दो भाइयों के साथ उन्हें भी खेल से दूर नहीं रखा। पिता को पूरे माह में सिर्फ नौ हजार वेतन मिलता है। पिताजी इसे लेकर उत्साहित रहते हैं कि मेरे दो बेटे और एक बेटी जूडो के नेशनल खिलाड़ी हैं।
महिमा आत्रेय, पेंटेथलॉन- बात करतें हैं पेंटेथलॉन गेम की, जिसमें एक या दो नहीं बल्कि पूरे पांच खेलों में पारंगत होना जरूरी है। इसमें शूटिंग, तैराकी, दौड़, तलवारबाजी और घुड़सवारी शामिल है। शहर की बेटी महिमा ने विदेशी धरती पर लोहा मनवाया है। बीबीए फाइनल इयर की स्टूडेंट महिमा ने कुछ दिन पूर्व किर्गिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल पेंटेथलॉन चैंपियनिशप में ब्रांज मेडल जीता है। जनवरी में वह खेल मंत्रालय की ओर से ओलंपिक तैयारी के लिए छह माह की ट्रेनिंग लेने के लिए हंगरी जा रही हैं। जूडो में रिया का जोड़ नहीं
रिया कश्यप, जूडो - दो भाइयों की अकेली बहन है रिया। 11 वर्षीय रिया ने पिता के कहने पर महामाया स्पोर्ट्स स्टेडियम में कोच परवेज अली से जूडो का ककहरा सीखा। जूडो को ही अपना लक्ष्य बनाते हुए इस पर मेहनत की और एक के बाद एक तीन नेशनल स्कूल गेम्स मे उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2016 में तेलांगाना में ब्रांज, 2017 के दिल्ली में आयोजित नेशनल स्कूल गेम्स में सिल्वर व 2018 में हिमाचल प्रदेश के ऊना में आयोजित अंडर-14 फेडरेशन गेम्स में रिया ने ब्रांज मेडल हासिल किया। इसके लिए वह अपने पिता को श्रेय देते हुए कहती हैं कि सीमित संसाधनों में उनके दो भाइयों के साथ उन्हें भी खेल से दूर नहीं रखा। पिता को पूरे माह में सिर्फ नौ हजार वेतन मिलता है। पिताजी इसे लेकर उत्साहित रहते हैं कि मेरे दो बेटे और एक बेटी जूडो के नेशनल खिलाड़ी हैं।
हर कोई है अंतिमा के छक्के का दीवाना
अंतिमा तेवतिया, क्रिकेट - शहर के नंदग्राम की अंतिमा तेवतिया ने घर की छत और गलियारे से क्रिकेट का ककहरा सीखा, जिसमें रुचि को देखते हुए परिवार का साथ मिला और महामाया स्पोर्ट्स स्टेडियम में क्रिकेट कोच मनीष गिरी से विकेट कीपिंग और बल्लेबाजी की बारीकियां सीखी। यूपी में मौका नहीं मिला तो उन्हें नगालेंड क्रिकेट एसोसिएशन ने उनकी प्रतिभा को भांपते हुए अपनी अंडर-19 प्रदेशीय क्रिकेट टीम में शामिल किया। जिले की अंतिमा भले ही यूपी टीम का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन नगालैंड में विकेट कीपिंग और बल्लेबाजी में जिले का नाम रशन कर रही हैं। स्नेहा का निशाना है अचूक
स्नेहा बडगुर्जर, शूटिंग - मोदीनगर के स्कूल की ओर से एनसीसी में एयर .22 शूटिंग चैंपियनशिप से शुरुआत करने वाली स्नेहा बडगुर्जर ने मई वर्ष 2008 से शुरुआत की, और सधा हुआ निशाना लगाते हुए अक्टूबर 2008 में नेशनल शूटिंग के लिए क्वालीफाई किया। परिवार की ओर से शुरुआती दौर में साथ नहीं मिला, जिसके पीछे शूटिंग गेम का महंगा होना भी बड़ी वजह था।
अंतिमा तेवतिया, क्रिकेट - शहर के नंदग्राम की अंतिमा तेवतिया ने घर की छत और गलियारे से क्रिकेट का ककहरा सीखा, जिसमें रुचि को देखते हुए परिवार का साथ मिला और महामाया स्पोर्ट्स स्टेडियम में क्रिकेट कोच मनीष गिरी से विकेट कीपिंग और बल्लेबाजी की बारीकियां सीखी। यूपी में मौका नहीं मिला तो उन्हें नगालेंड क्रिकेट एसोसिएशन ने उनकी प्रतिभा को भांपते हुए अपनी अंडर-19 प्रदेशीय क्रिकेट टीम में शामिल किया। जिले की अंतिमा भले ही यूपी टीम का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन नगालैंड में विकेट कीपिंग और बल्लेबाजी में जिले का नाम रशन कर रही हैं। स्नेहा का निशाना है अचूक
स्नेहा बडगुर्जर, शूटिंग - मोदीनगर के स्कूल की ओर से एनसीसी में एयर .22 शूटिंग चैंपियनशिप से शुरुआत करने वाली स्नेहा बडगुर्जर ने मई वर्ष 2008 से शुरुआत की, और सधा हुआ निशाना लगाते हुए अक्टूबर 2008 में नेशनल शूटिंग के लिए क्वालीफाई किया। परिवार की ओर से शुरुआती दौर में साथ नहीं मिला, जिसके पीछे शूटिंग गेम का महंगा होना भी बड़ी वजह था।
वहीं, बेटी होने के नाते असुरक्षा की भावना भी। इसके बाद पढ़ाई की ओर रूझान किया और मोदीनगर से ही बायोटेक कर रही हैं। पांच साल बाद वर्ष 2013 में अपनी दोस्त के कहने पर परिवार का भरोसा जीतने के साथ ही मेरठ में शूटिंग रेंज में फिर तैयारी शुरू की। इसके बाद 2014 से 2017 तक नेशनल के लिए क्वालिफाई किया। वह शूटर के साथ कोच भी हैं।
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