पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के घरों पर बुलडोजर चलने का खतरा, जमीन खाली करने को DDA ने भेजा नोटिस
डीडीए का नोटिस मिलने पर दिनभर लोग चिंता में नजर आए कुछ लोगें ने अपना सामान भी पैक किया कि अगर कोई कार्रवाई हो तो कम से कम अपना सामान तो बचा सके। यह परिवार भारत में नागरिकता की आस लेकर शरणार्थी के तौर पर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 2011 से यहां पर पाकिस्तान के सिंघ से यह परिवार आए थे। तब से यहां पर रह रहे हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। प्रताड़ना और उत्पीड़न होने के चलते पाकिस्तान से आकर मजनू का टीला कैंप में रह रहे 180 परिवार पर बुलडोजर का खतरा मंडरा रहा है। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इन परिवारों को एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए बुधवार को भूमि को खाली करने की चेतावनी दी थी।
कुछ ने पैक किया अपना सामान
इससे यहां पर दिनभर लोग चिंता में नजर आए, कुछ लोगें ने अपना सामान भी पैक किया कि अगर कोई कार्रवाई हो तो कम से कम अपना सामान तो बचा सके। यह परिवार भारत में नागरिकता की आस लेकर शरणार्थी के तौर पर रहे हैं। डीडीए द्वारा जारी सार्वजनिक सूचना के अनुसार सात और आठ मार्च को यहां पर अतिक्रमण विरोध अभियान चलाने की बात लिखी है।
सूत्रों के अनुसार, फिलहाल पुलिस बल की अनुपलब्धता के कारण फिलहाल यह अभियान स्थगित कर दिया गया है, लेकिन यहां हिंदू शरणार्थियों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं। कैंप में रह रहे कन्हैया लाल ने कहा कि बताया कि कुछ अधिकारी मंगलवार को यहां आए और हमारे घरों के बाहर नोटिस चिपका दिया। इस क्षेत्र के लगभग सभी को नोटिस मिल गया है।
बड़ी मुश्किल से गुजारा कर रहे लोग
उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किल से तमाम सुविधाओं के अभाव में हम यहां पर गुजर बसर कर रहे हैं। मजदूरी करके परिवार चला रहे हैं। नागरिकता न होने की वजह से हमें यहा नौकरी भी नहीं मिल रही है। ऐसे में पटरी आदि लगाकर बच्चों को पाल रहे हैं। एक अन्य व्यक्ति मनोज ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारे साथ कुछ गलत नहीं होगा, लेकिन नोटिस चिपकाए जाने से बच्चें चिंता में है वह पूछ रहे हैं आगे क्या होगा।
उन्होंने कहा कि समय-समय पर लोग हमें हमारी समस्याओं के समाधान का वादा करके जाते रहे हैं। ऐसे में जब घर नहीं रहेगा तो हम कहा रहेंगे। उन्होंने कहा कि अगर, हमें यहां से इसलिए जगह खाली कराई जा रही है कि यहां पर बाढ़ आ जाती है तो हमें उचित स्थान पर जगह देनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि 2011 से यहां पर पाकिस्तान के सिंघ से यह परिवार आए थे। तब से यहां पर रह रहे हैं।
डीडीए ने रेन बसेरों में रहने का दिया विकल्प
डीडीए द्वारा दिए गए नोटिस में एनजीटी के 13 जनवरी 2015 के आदेश का हवाला दिया है। इसके साथ ही 2 अगस्त 2022 के आदेश का हवाला भी दिया है। इसके तहत यमुना डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटाए जाने की बात है। डीडीए ने कहा कि नागरिक यहां स्थानांतरित होकर आश्रय गृह, गीता कालोनी, रेन बसेरा, द्वारका और रेन बसेरा द्वारका सेक्टर 1 में रह सकते हैं। हालांकि हिंदू शरणार्थियों ने इसे ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि वहां पर रह लेंगे काम उपलब्ध नहीं होगा। यहां पर आस-पास अब काम मिल जाता है। मजदूरी करके जैसे घर चला रहे हैं वहां पर लोग काम नहीं देंगे।
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