दिल्ली में मृतप्राय यमुना की सफाई में डीडीए बंटाएगा हाथ, जानें-क्या है प्राकृतिक एसटीपी
यमुना बायो डायवर्सिटी पार्क का फेज-1 कुल 157 एकड़ में फैला है। इसमें दो वेटलैंड का निर्माण किया गया है। एक सात एकड़ का है जबकि दूसरे की लंबाई लगभग डेढ़ किलोमीटर है। फेज-2 कुल 300 एकड़ जमीन में फैला है और इसमें 100 एकड़ का वेटलैंड बनाया गया है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। मृतप्राय यमुना की सफाई में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) भी हाथ बंटाएगा। इसके लिए वह दिल्ली में चार जगह प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाएगा। डीडीए की ओर से दक्षिणी दिल्ली के बायो डायवर्सिटी पार्क समेत चार इलाकों में ये एसटीपी बनाने के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। लगभग ढाई करोड़ रुपए की लागत से यह एसटीपी महारानी बाग ड्रेन, खिजराबाद डेयरी, नूरजहां मस्जिद और मोती मस्जिद में में बनाए जाएंगे।
गौरतलब है कि यमुना के पानी में बिना शोधित किए मिल रहे सीवेज को रोकने के लिए सेंटर फॉर एन्वायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इकोसिस्टम की ओर से दिल्ली में प्राकृतिक एसटीपी बनाने की सिफारिश की गई है। इसी के मद्देनजर सफाई के लिए प्राकृतिक एसटीपी का उपयोग किया जा रहा है।
क्या है प्राकृतिक एसटीपी
यह एसटीपी विभिन्न चरणों में काम करता है। तकनीकी भाषा में इसे कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड कहा जाता है। इसमें पानी को इस तरह से अलग-अलग गुजारा जाता है, जिससे उसकी गंदगी काफी हद तक साफ हो जाती है। छोटे कंकड़, बालू और पानी को साफ करने वाली वनस्पतियां भी इसमें मदद करती हैं। इसकी शुरुआत में बांस का एक छोटा पुल बनाया जाता है, जिससे मोटा कचरा यमुना में जाने से रुक जाता है। दूसरे चरण में वनस्पतियां लगाई जाती हैं जो पानी में ऑक्सीजन को बढ़ावा देती हैं।
इसी माह चालू होंगे चार एसटीपी
दक्षिणी दिल्ली स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क में इसी माह चार एसटीपी चालू हो जाएंगे। इनसे प्रतिदिन 200 से 250 मिलियन लीटर सीवेज शोधित होगा। सेंटर ऑफ एनवायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डीग्रेडेड इकोसिस्टम के प्रमुख प्रोफेसर सीआर बाबू ने कहा कि अगले 15-20 दिनों में चार कंस्ट्रक्टेड वैटलेंड कार्यात्मक हो जाएंगे, जबकि शेष पर काम चल रहा है। वेटलैंड बनाने के लिए अतिरिक्त जगह का उपयोग नहीं किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि वे वेटलैंड्स के माध्यम से साफ किए गए पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी करने की भी योजना बना रहे हैं।
प्रमुख लाभ
1. यमुना में जाने वाला बिना शोधित सीवेज शोधित किए जाने के बाद ही यमुना में जाएगा।
2. यमुना के पानी में ऑक्सीजन समेत अन्य आवश्यक तत्वों की मात्र में वृद्धि होगी।
3. यमुना के नजदीक रहने वाले लोगों को इस्तेमाल करने योग्य पानी मिल सकेगा।
4. देसी-विदेशी पक्षियों के लिए यमुना नदी बेहतर आशियाना बन सकेगी।
5. बेहद कम बजट में यमुना की सफाई का प्रमुख काम हो सकेगा।
यमुना बायो डायवर्सिटी पार्क में भी तीन वेटलैंड
यमुना बायो डायवर्सिटी पार्क का फेज-1 कुल 157 एकड़ में फैला है। इसमें दो वेटलैंड का निर्माण किया गया है। एक सात एकड़ का है, जबकि दूसरे की लंबाई लगभग डेढ़ किलोमीटर है। फेज-2 कुल 300 एकड़ जमीन में फैला है और इसमें 100 एकड़ का वेटलैंड बनाया गया है। वहीं, दक्षिणी दिल्ली बायो डायवर्सिटी पार्क लगभग 110 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसके 80 फीसद हिस्से में वेटलैंड का निर्माण किया जा रहा है।