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Delhi Zoo News: बीमार दो शावकों की हालत नाजुक, देखभाल में जुटा चिड़ियाघर प्रबंधन

Delhi Zoo News हाल ही में एक सफेद टाइगर शावक की मौत से चिड़ियाघर प्रबंधन चिंतित है। चिकित्सकों की टीम शावकों की निगरानी कर रही है। पैथालाजिकल जांच रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है। वर्ष 1963 से अब तक दिल्ली के चिड़ियाघर में कुल 15 सफेद टाइगर ही रहे।

By Ramesh MishraEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 22 Dec 2022 12:43 PM (IST)
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Delhi Zoo News: बीमार दो शावकों की हालत नाजुक, देखभाल में जुटा चिड़ियाघर प्रबंधन
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली चिड़ियाघर में हाल ही में एक सफेद टाइगर शावक की मौत से चिड़ियाघर प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है। शावक की मौत के बाद प्रबंधन बीमार दो अन्य शावकों की हिफाजत में काफी एहतियात बरत रहा है। उन्हें मादा टाइगर के बेड़े में चिकित्सकों की कड़ी निगरानी में रखा गया है। साथ ही चिड़ियाघर में आने वाले आगंतुक उन्हें देख नहीं सकेंगे।

बताया गया कि चिड़ियाघर में दोनों शावकों की हालत भी नाजुक बनी हुई है। मृत शावक की मौत का कारण जानने के लिए पैथोलाजिकल जांच कराई गई, फिलहाल अभी जांच रिपोर्ट चिड़ियाघर प्रबंधन को नहीं मिली है।

पहली बार मध्य प्रदेश के रीवा से आए थे ‘राजा’ और ‘रानी’

1963 में रीवा से सफेट टाइगर राजा और रानी दिल्ली चिड़ियाघर लाए गए थे। 1964 में राजा और रानी का वंश आगे बढ़ा। रानी मादा से कृष्णा और राधा का जन्म हुआ। राजा की 24 वर्ष की उम्र में मौत हो गई। 1965 में चिड़ियाघर में एक अन्य शावक का जन्म हुआ था। हालांकि, एक वर्ष बाद ही इसकी मौत हो गई।

2015 में विजय और कल्पना से पैदा हुए चार शावक

वर्ष 2015 में विजय और कल्पना ने चार शावकों ने जन्म दिया। इन शावकों का नाम टीपू, गीता, सीता और निर्भया रखा गया। हाल में विजय तब सुर्खियों में आया था, जब उसने अपने बाड़े मे एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया था। हाल में चिड़ियाघर में मादा सफेद टाइगर ने तीन शावकों को जन्म दिया था। इसमें एक शावक की मौत हो गई है।

जानवरों का पोस्टमार्टम के बाद होता है अंतिम संस्कार

चिड़ियाघर में किसी भी जानवर की मौत के बाद कमेटी के समक्ष उसका पोस्टमार्टम किया जाता है। मृतक पशुओं की कई पहलुओं से जांच की जाती है। चिड़ियाघर के अंदर ही उनके मृत शरीर को जलाया जाता है।

जिराफ और जेब्रा को लाने की तैयारी

अभी दिल्ली चिड़ियाघर में आंगुतकों को जिराफ और जेब्रा नजर नहीं आते हैं। चिड़ियाघर प्रशासन इनकों लाने की योजना बना रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो कुछ महीनों में चिड़ियाघर के बेड़ों में ये नए मेहमान भी दिखेंगे।

1963 से अब तक आए कुल 15 सफेद टाइगर

वर्ष 1963 से अब तक दिल्ली के चिड़ियाघर में कुल 15 सफेद टाइगर ही रहे। मौजूदा समय में इनकी संख्या चार है, इसमें दो मादा और दो नर टाइगर हैं। शावक इससे अलग हैं। यहां से सफेद टाइगरों को या तो अन्य चिड़ियाघरों को भेज गया है या फिर उनकी यहां पर प्राकृतिक मौत हो गई।

1963 से अब तक आठ सफेद टाइगरों की मौत

वर्ष 1963 से अब तक करीब आठ सफेद टाइगरों की मौत हो चुकी है। इसमें शावकों की संख्या शामिल नहीं है। इसमें ज्यादातर मौत नैसर्गिक हुई। सफेद टाइगर की उम्र करीब 15 से 20 वर्ष होती है। मध्य प्रदेश के रीवा से आया सफेद टाइकर ‘राजा’ करीब 24 वर्ष तक जीवित रहा था।

दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक आकांक्षा महाजन ने बताया कि सफेद टाइगर के तीन शावकों में एक की मौत हो गई है। दो अन्य शावक भी इसी बीमारी से ग्रसित हैं। उनके पैरों के पिछले हिस्से में दिक्कत है। मृतक शावक के रक्त की जांच कराई गई है। इसकी रिपोर्ट बुधवार को आनी थी, लेकिन नहीं आ पाई। रिपोर्ट के बाद यह तय हो सकेगा कि शावक की मौत पैथोलिजिकल कारण से हुई या कोई जेनेटिक समस्या है।

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