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दमघोंटू हवा से 18 साल में साढ़े तीन गुना तक बढ़ीं Cancer से होने वाली मौतें, प्रदूषण से होते हैं ये 11 कैंसर

देश में कैंसर से हर वर्ष करीब 14.50 लाख लोग पीड़ित होते हैं और नौ लाख मरीजों की मौतें होती हैं। दिल्ली में पिछले 18 वर्षों में कैंसर से होने वाली मौतें साढ़े तीन गुना तक बढ़ गई हैं। डॉक्टर इसका एक कारण प्रदूषण भी मानते हैं। आंकड़े बताते हैं कि फेफड़े के कैंसर के कारण होने वाली मौतें भी बढ़ी हैं।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 07 Nov 2023 11:50 AM (IST)
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18 साल में साढ़े तीन गुना तक बढ़ीं Cancer से होने वाली मौतें
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। कैंसर के मामले बढ़ने के साथ यह बड़ा जानलेवा साबित हो रहा है। दिल्ली में पिछले 18 वर्षों में कैंसर से होने वाली मौतें साढ़े तीन गुना तक बढ़ गई हैं। डॉक्टर इसका एक कारण प्रदूषण भी मानते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण से फेफड़े का कैंसर तो होता ही है। इसके दुष्प्रभाव से ब्रेन ट्यूमर, बच्चों में ब्लड कैंसर, आंखों का कैंसर, पेट और यूरिन से संबंधित कैंसर होने का खतरा रहता है।

प्रदूषण कुल 11 तरह के कैंसर का कारण बन सकता है। दिल्ली के सिविल पंजीकरण के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2005 के आसपास के वर्षों में दिल्ली में कैंसर से दो हजार से ढाई हजार मरीजों की मौतें होती हैं। जबकि पिछले वर्ष 7400 से अधिक मरीजों की कैंसर से मौत हुई।

बच्चे भी हो रहे कैंसर के शिकार

बच्चे और युवा भी कैंसर के शिकार हो रहे हैं। पिछले वर्ष कैंसर से मरने वाले वालों में करीब एक चौथाई मरीजों की उम्र 44 वर्ष से कम थी। आंकड़े बताते हैं कि फेफड़े के कैंसर के कारण होने वाली मौतें भी बढ़ी हैं।

कैंसर का एक कारण प्रदूषण भी है। इससे फेफड़े के कैंसर के अलावा स्तन कैंसर होने का खतरा भी रहता है।

-डॉ. पीके जुलका, मैक्स अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ 

कैंसर से हर वर्ष करीब 14.50 लाख लोग होते हैं पीड़ित

एम्स के कैंसर सेंटर के रेडिएशन आंकोलाजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शंकर ने बताया कि देश में कैंसर से हर वर्ष करीब 14.50 लाख लोग पीड़ित होते हैं और नौ लाख मरीजों की मौतें होती हैं।

दुनिया भर में हुए विभिन्न शोधों में यह पाया गया है कि प्रदूषण होने से शरीर के विभिन्न हिस्सों में धीरे-धीरे सूजन (इन्फ्लेमेशन) होता है। जिससे कैंसर होने का खतरा रहता है। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को ब्लैडर का कैंसर, किडनी का कैंसर, ओवरी का कैंसर, बच्चों में ब्लड कैंसर व आंखों का कैंसर होने का जोखिम रहता है।

एक अध्ययन में पाया गया है कि वातावरण में पीएम 2.5 का स्तर 2.5 मिलीग्राम प्रति घन मीटर अधिक होने पर स्तन कैंसर होने का जोखिम 28 प्रतिशत बढ़ जाता है। वैसे कैंसर के कई अन्य कारण भी होते हैं, जिसमें खराब जीवन शैली, धूमपान , तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन इत्यादि शामिल है।

इसके अलावा पहले की तुलना में जांच की सुविधा भी बढ़ी है। अधिक मरीजों में कैंसर की पहचान का यह भी एक कारण है, लेकिन कैंसर के ऐसे मरीज भी देखे जा रहे हैं जो धूमपान, तंबाकू व शराब का सेवन नहीं करते। जीवनशैली भी ठीक होती है। ऐसे प्रदूषण के दुष्प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

कैंसर से पिछले वर्ष अस्पतालों में हुई मौतें

प्रदूषण के कारण हो सकता है ये कैंसर

1. फेफड़े का कैंसर

2. ब्रेन ट्यूबर

3. रेटीनोब्लास्टोमा

4. ल्यूकेमिया

5. स्तर कैंसर

6. ओवरी का कैंसर

7. लिवर का कैंसर

8. गैस्ट्रिक कैंसर

9. कोलोरेक्टल कैंसर

10. ब्लैडर कैंसर

11. किडनी का कैंसर

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