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REPORT: दिल्ली में मौतों के आंकड़ों ने डराया, संक्रामक बीमारियों ने सबसे ज्यादा छीनी जिंदगियां

दिल्ली में मौतों का आंकड़ा डराने वाला है। 2023 में दर्ज कुल मौतों में से लगभग 24 प्रतिशत मौतें संक्रामक और परजीवी बीमारियों के कारण हुई हैं। सेप्टीसीमिया और तपेदिक प्रमुख कारण थे। कैंसर से होने वाली मौतों में भी वृद्धि हुई है। संचार संबंधी रोगों से होने वाली मौतों में कमी आई है। 45-64 आयु वर्ग में सबसे अधिक मौतें हुई हैं।

By V K Shukla Edited By: Geetarjun Updated: Sun, 10 Nov 2024 06:06 PM (IST)
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संक्रामक बीमारियों ने सबसे ज्यादा छीनी जिंदगियां।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में 2023 में दर्ज कुल 89,000 मौत में से लगभग 24 प्रतिशत मौत हैजा, डायरिया, तपेदिक और हेपेटाइटिस-बी जैसी संक्रामक और परजीवी (वेक्टर जनित) बीमारियों के कारण हुईं। दिल्ली सरकार के आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय द्वारा अगस्त में जारी की गई मृत्यु के कारणों का चिकित्सा प्रमाणन (एमसीसीडी) रिपोर्ट 2023 में कहा गया है कि कुल 88,628 संस्थागत मौतों में से लगभग 21,000 लोगों की मृत्यु संक्रामक और परजीवी रोगों के कारण हुई।

रिपोर्ट पर नजर डालें तो दिल्ली में वर्ष 2023 में मृत्यु का प्रमुख कारण संक्रामक और परजीवी रोग थे, जो संस्थागत मृत्यु का लगभग एक चौथाई हिस्सा थे। सेप्टीसीमिया और तपेदिक प्रमुख कारण थे, और इन रोगों से होने वाली मौत में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि हुई।

कैंसर से होने वाली मौतों में हुई वृद्धि

जबकि सेप्टीसीमिया 15,332 मौत के साथ सबसे बड़ा कारण था, 3,904 मौतें तपेदिक के कारण हुईं। संचार संबंधी रोगों से होने वाली मौतों में कमी आई, कैंसर से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई। 45-64 आयु वर्ग में सबसे अधिक मौतें हुईं। दिल्ली में संक्रामक और परजीवी रोग एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है।

मौतों के और भी कारण

वर्ष 2023 में कैंसर और उससे संबंधित बीमारियों के कारण संस्थागत मौतों की संख्या 6,054 दर्ज की गई, जो वर्ष 2022 में दर्ज 5,409 से लगभग 12 प्रतिशत अधिक है। शिशुओं में संस्थागत मौतों की अधिकतम संख्या भ्रूण के धीमे विकास, भ्रूण के कुपोषण और अपरिपक्वता 1,517 के कारण थी, इसके बाद निमोनिया से 1,373 मौत हुईं।

जन्म के समय श्वासावरोध और अन्य श्वसन संबंधी स्थितियों से 704 मौत हुईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 में इस श्रेणी में कुल 28,611 (32.28 प्रतिशत) पुरुषों और महिलाओं की मृत्यु हुई, इसके बाद 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के 26,096 (29.44 प्रतिशत) लोगों की मृत्यु हुई।

वहीं राष्ट्रीय राजधानी में कैंसर की बीमारी भी बढ़ रही है। इस वजह से पिछले डेढ़ दशक में ही कैंसर से मौत करीब दोगुनी हो चुकी हैं। दिल्ली सरकार के आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय द्वारा इस रिपोर्ट के अनुसार जन्म व मृत्यु पंजीकरण रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।

पिछले वर्ष दिल्ली में 6.83 प्रतिशत मौत का कारण कैंसर की बीमारी बनी। इससे विभिन्न संक्रमण, हृदय रक्तवाहिनियों की बीमारियों व सांस रोग के बाद कैंसर की बीमारी दिल्ली में मौत का चौथा बड़ा कारण साबित होने लगी है। पाचन तंत्र से संबंधित कैंसर से मौत सबसे ज्यादा हो रही हैं।

वर्ष 2009 में दिल्ली में कैंसर से 3936 मरीजों की मौतें हुई थीं। जिसमें से 3227 मरीजों की मौत अस्पतालों में इलाज के दौरान हुई थी। जबकि पिछले वर्ष 7926 मरीज कैंसर से काल के शिकार हो गए। इसमें से 6054 मरीजों की मौत अस्पतालों में हुईं। हर उम्र के लोग कैंसर से जान गंवा रहे हैं लेकिन 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की मौत अधिक हुई।

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