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मुंह के कैंसर की स्क्रीनिंग में मददगार बनेगा AI तकनीक से विकसित ऐप, घर बैठे लोगों की होगी मदद

एम्स दिल्ली (AIIMS) व बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (एमआईडीएएस MIDAS) ने मिलकर एक एमआईडीएएस (मेडिकल इमेजिंग डाटासेट्स) वर्चुअल प्लेटफॉर्म तैयार किया है। जिस पर मरीजों की जांच इमेजिंग का डाटा अपलोड किया जा सकेगा। डाटा सुरक्षा के विषय पर एम्स में आयोजित एक कार्यशाला में शनिवार को इस एमआईडीएएस प्लेटफॉर्म को जारी किया गया। इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर ओरल कैंसर की आसानी से स्क्रीनिंग की जा सकती है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Geetarjun Updated: Sat, 11 May 2024 10:21 PM (IST)
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मुंह के कैंसर की स्क्रीनिंग में मददगार बनेगा AI तकनीक से विकसित ऐप, घर बैठे लोगों की होगी मदद

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एम्स दिल्ली (Delhi AIIMS) व बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (एमआईडीएएस, MIDAS) ने मिलकर एक एमआईडीएएस (मेडिकल इमेजिंग डाटासेट्स) वर्चुअल प्लेटफॉर्म तैयार किया है। जिस पर मरीजों की जांच इमेजिंग का डाटा अपलोड किया जा सकेगा। डाटा सुरक्षा के विषय पर एम्स में आयोजित एक कार्यशाला में शनिवार को इस एमआईडीएएस प्लेटफॉर्म को जारी किया गया।

एम्स का कहना है कि इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर ओरल कैंसर की आसानी से स्क्रीनिंग की जा सकती है। आगे इस प्लेटफॉर्म व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई, AI) की मदद से मोबाइल ऐप जैसे टूल विकसित किए जा सकेंगे, जिसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आशा वर्कर या लोग घर में खुद भी ओरल कैंसर की स्क्रीनिंग कर सकेंगे।

एम्स के डेंटल सेंटर की ओरल पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. दीपिका मिश्रा ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर, ICMR) ने इस प्लेटफॉर्म को विकसित करने के लिए फंड जारी किया था। उन्होंने बताया कि देश में मुंह का कैंसर बड़ी समस्या है।

देश में कैंसर से पीड़ित कुल मरीजों से 30 प्रतिशत मरीज मुंह के कैंसर से पीड़ित होते हैं। इसका बड़ा कारण तंबाकू, गुटखे इत्यादि का इस्तेमाल है। देश में ओरल कैंसर से मृत्यु दर 42.5 प्रतिशत है। समस्या यह है कि मुंह के कैंसर से पीड़ित ज्यादातर मरीज एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचते हैं। एडवांस स्टेज में मरीजों के बचने की दर पांच प्रतिशत है।

अगर शुरुआती दौर में बीमारी की पहचान कर ली जाए तो 80 से 90 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते है। स्क्रीनिंग के आसान माध्यम से ही मरीजों की पहचान जल्दी की जा सकती है। एमआईडीएएस प्लेटफॉर्म को तैयार करने एआई तकनीक इस्तेमाल की गई है।

इस प्लेटफॉर्म पर मरीजों का डाटा अपलोड किया जा सकता है। अपलोड किए गए इमेज के माध्यम से ओरल कैंसर की स्क्रीनिंग हो सकेगी। दूसरे अस्पताल भी इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी मदद से ऐसे मोबाइल ऐप विकसित किए जा सकते हैं, जिस पर मोबाइल से मुंह के अंदरूनी हिस्से का फोटो लेकर अपलोड कर देने पर ऐप बता देगा कि ओरल कैंसर हो सकता है या नहीं। एमआईडीएएस प्लेटफॉर्म को अभी ओरल कैंसर को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है। आगे चलकर कई अन्य बीमारियों में इस्तेमाल होगा।

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