प्रोफेसर स्तर के वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा दिल्ली AIIMS, दस डिपार्टमेंट सिर्फ एक के सहारे
एम्स की पहचान उसके वरिष्ठ चिकित्सकों और इलाज की उच्च गुणवत्ता से है। एम्स को विश्वस्तरीय बनाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इस बीच एम्स में एक बड़ी समस्या दस्तक देती दिख रही है। वह है प्रोफेसर स्तर के वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी की। स्थिति यह है कि लेबोरेट्री मेडिसिन जेरियाट्रिक मेडिसिन सहित चार विभागों में प्रोफेसर स्तर के एक भी डॉक्टर नहीं हैं।
By Ranbijay Kumar SinghEdited By: GeetarjunUpdated: Sun, 08 Oct 2023 11:15 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एम्स की पहचान उसके वरिष्ठ चिकित्सकों और इलाज की उच्च गुणवत्ता से है। एम्स को विश्वस्तरीय बनाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इस बीच एम्स में एक बड़ी समस्या दस्तक देती दिख रही है। वह है प्रोफेसर स्तर के वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी की। स्थिति यह है कि लेबोरेट्री मेडिसिन, जेरियाट्रिक मेडिसिन सहित चार विभागों में प्रोफेसर स्तर के एक भी डॉक्टर नहीं हैं।
पल्मोनरी मेडिसिन, रुमेटोलाजी, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी, मेडिकल आंकोलाजी सहित दस विभाग प्रोफेसर स्तर के सिर्फ एक फैकल्टी के सहारे हैं। कई विभागों में प्रोफेसर स्तर के सिर्फ दो ही डॉक्टर हैं। ऐसे में एम्स प्रोफेसर स्तर के वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा हैं।
तीन विभागाध्यक्षों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली
दूसरी ओर हाल ही में तीन विभागाध्यक्षों ने एम्स से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। जिसमें आर्थोपेडिक विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. राजेश मल्होत्रा व मेडिकल आंकोलाजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अतुल शर्मा शामिल हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद दोनों वरिष्ठ डॉक्टर एम्स छोड़कर जा चुके हैं।डॉ. अतुल शर्मा के जाने के बाद 16 फैकल्टी वाले मेडिकल आंकोलाजी विभाग में अभी एक ही प्रोफेसर है। अब न्यूरोलाजी की विभागाध्यक्ष प एमवी पद्मा ने भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। 16 अक्टूबर को एम्स में उनका अंतिम कार्य दिवस है। बताया जा रहा है कि प्रोफेसर स्तर के कुछ और वरिष्ठ फैकल्टी भी मौजूदा व्यवस्था के प्रति नाराज चल रहे हैं।
प्रोफेसर की नियुक्ति के दो तरीके
संस्थान के डॉक्टर बताते हैं कि एम्स में प्रोफेसर की नियुक्ति के दो तरीके हैं। पहला पदोन्नति के माध्यम से और दूसरा सीधी नियुक्ति। सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति होने के बाद पदोन्नति से प्रोफेसर बनने में करीब दस वर्ष समय लगता है। वहीं, प्रोफेसरों की सीधी नियुक्ति तकनीकी अड़चनों के कारण वर्षों से रुकी पड़ी है।एम्स में सीधी नियुक्ति योग्य प्रोफेसर के कुल 125 पद हैं, जिसमें से 105 खाली बताए जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य पद भी जल्द खाली होने वाले हैं। इमरजेंसी मेडिसिन जैसे महत्वपूर्ण विभाग में भी प्रोफेसर स्तर के सिर्फ दो फैकल्टी हैं। जिसमें से एक ट्रामा सेंटर में नियुक्त हैं। ऐसे में मुख्य अस्पताल की इमरजेंसी मेडिसिन में एक ही प्रोफेसर हैं।
हरियाणा के झज्जर में बने एम्स के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) में अभी प्रोफेसर स्तर के एक भी डॉक्टर नहीं हैं। इसके असर एनसीआई के संचालन के लिए गठित पांच सदस्यीय कालेजियम में भी दिखता है। एनसीआइ के प्रमुख डॉ. आलोक ठक्कर को छोड़कर अन्य चार सदस्य सहायक प्रोफेसर स्तर के फैकल्टी हैं।
दक्ष डाक्टरों की कमी के कारण लाइव डोनर लिवर प्रत्यारोपण के लिए एम्स को बाहर से डॉक्टर बुलाना पड़ता है। संस्थान के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि चिकित्सा गुणवत्ता सुनिश्चित करने और कोई नई सुविधा शुरू करने के लिए जरूरी है कि प्रोफेसर पर पर भी सीधी नियुक्ति हो। प्रोफेसर स्तर के वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो इसका असर संस्थान की चिकित्सा गुणवत्ता, शोध और मेडिकल शिक्षा पर भी पड़ेगा। इस मामले पर एम्स प्रशासन से पक्ष मांगा गया है लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
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1. एम्स के चार विभाग जिसमें नहीं है एक भी प्रोफेसर-लेबोरेटरी मेडिसिन, जेरियाट्रिक मेडिसिन, न्यूरो बायोकेमिस्ट्री व बायोस्टेटिस्टि विभाग।2. दस विभाग जिसमें प्रोफेसर स्तर के हैं सिर्फ एक फैकल्टी-पल्मोनरी मेडिसिन, रुमेटोलाजी, इमरजेंसी मेडिसिन, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी, मेडिकल आंकोलाजी, कार्डियो रेडियोलाजी, आइआरसीएच का रेडियोडायग्नोसिस विभाग, बायोटेक्नोलाजी, ट्रांसप्लांट इम्युनोलाजी व रिप्रोडक्टिव बायोलाजी विभाग शामिल है।
3. चार विभाग जिसमें प्रोफेसर स्तर के हैं सिर्फ दो फैकल्टी-यूरोलाजी, हेमेटोलाजी, न्यूरो पैथोलाजी, न्यूरो रेडियोलाजी।
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