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Delhi AIIMS ने बनाया रिकॉर्ड, एक साल में पौने तीन लाख से ज्यादा सर्जरी; अस्पताल के निदेशक ने गिनाई उपलब्धियां

देश भर में नए-नए एम्स बनने के बावजूद Delhi AIIMS में मरीजों का दबाव कम होता नहीं दिख रहा है। बीते एक साल में दिल्ली एम्स में रिकॉर्ड पौने तीन लाख से ज्यादा मरीजों की सर्जरी हुई। वहीं पर ओपीडी में भी मरीजों का दबाव बढ़ गया। पांच लाख 34 हजार से ज्यादा मरीज आए। स्वतंत्रता दिवस समारोह पर अस्पताल के निदेशक डा. एम श्रीनिवास ने हॉस्पिटल की उपलब्धियां गिनाईं।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Fri, 16 Aug 2024 01:23 PM (IST)
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Delhi AIIMS Update: दिल्ली एम्स में लगातार बढ़ रही मरीजों की भीड़। फाइल फोटो

 राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। देश भर में नए-नए एम्स बनने के बावजूद दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS News) में मरीजों का दबाव कम नहीं हो रहा है। बल्कि एक वर्ष में एम्स की ओपीडी में पांच लाख 34 हजार बढ़ गए। यह हाल तब है जब एम्स के ज्यादातर विभागों ने ओपीडी में प्रतिदिन देखे जाने वाले मरीजों की संख्या निर्धारित कर रखी है।

निर्धारित संख्या से अधिक मरीज नहीं देखे जाते। वहीं एक वर्ष में एम्स में पौने तीन लाख से अधिक मरीजों की सर्जरी की गई, जो अब तक रिकॉर्ड है। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान संस्थान के डॉक्टरों व कर्मचारियों को संबोधित करते हुए एम्स के निदेशक डा. एम श्रीनिवास ने एक वर्ष में संस्थान की उपलब्धियां बताईं।

करीब दो लाख 79 हजार मरीजों की हुई सर्जरी 

एक वर्ष में एम्स की ओपीडी में करीब 47 लाख 90 हजार मरीज देखे गए। करीब तीन लाख 21 हजार मरीज अस्पताल में भर्ती हुए और करीब दो लाख 79 हजार मरीजों की सर्जरी की गई। जबकि वर्ष 2022-23 में एम्स की ओपीडी में 42 लाख 55 हजार 801 मरीज देखे गए गए थे। दो लाख 80 हजार 770 मरीज भर्ती हुए थे। वहीं दो लाख 48 हजार 826 सर्जरी हुई थी। इसके मुकाबले एक वर्ष में करीब 30 हजार मरीजों की सर्जरी अधिक हुई।

ओपीडी में करीब पांच लाख 34 हजार अधिक मरीज देखे गए और अस्पताल में करीब 40 हजार अधिक मरीज भर्ती हुए। एम्स का कहना है कि राष्ट्रीय वृद्धजन केंद्र, मातृ एवं शिशु ब्लॉक, सर्जिकल ब्लॉक शुरू होने से संस्थान में 825 बेड बढ़ गए हैं। इसके अलावा तीसरा प्राइवेट वार्ड शुरू हुआ जिसमें 111 कमरे हैं। इससे एम्स की बेड क्षमता चार हजार से अधिक हो गई है।

बोन मैरो प्रत्यारोपण की बढ़ी सुविधा

नए प्राइवेट वार्ड के नौवीं मंजिल पर एक समर्पित बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट शुरू की गई है। इससे बोन मैरो प्रत्यारोपण की सुविधा बढ़ी है। इससे थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर इत्यादि मरीजों के इलाज के लिए बोन मैरो प्रत्यारोपण की सुविधा बढ़ी है।

इसके अलावा रेजिडेंट डॉक्टरों, मेडिकल व नर्सिंग की छात्रों के लिए 900 करोड़ की लागत से नया हॉस्टल बनाने की एम्स को स्वीकृति मिली है। जिसमें 2200 कमरे होंगे। इससे रेजिडेंट डॉक्टरों व छात्रों को राहत मिलेगी।

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