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ब्लड जांच से आंख की बीमारी यूवाइटिस की पहचान कर हो सकता है जल्दी इलाज, दिल्ली AIIMS ने किया शोध

यूवाइटिस एक ऑटोइम्यून की बीमारी है। ऑटोइम्यून की बीमारी में अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता शरीर की कोशिकाओं को ही नुकसान पहुंचाने लगती हैं। इससे आंखों में दर्द सूजन और दृष्टि धुंधली होने लगती है। अगर जल्दी इलाज किया जाए तो इस बीमारी से छुटाकारा पाया जा सकता है। एम्स के बायोटेक्नोलॉजी व आरपी सेंटर के डाक्टरों व विशेषज्ञों ने मिलकर यह शोध किया है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 09 Jul 2024 12:54 AM (IST)
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ब्लड जांच से आंख की बीमारी यूवाइटिस की पहचान कर हो सकता है जल्दी इलाज।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए अहम माने जाने वाले टीएच 17 व टी-रेग सेल सिर्फ ब्लड ही नहीं बल्कि आंखों की जेल (एक्विअस ह्यूमर) में भी होते हैं। इसलिए ब्लड में टीएच 17 व टी-रेग सेल का असंतुलन आंखों की घातक बीमारी यूवाइटिस का कारण हो सकती है।

इसलिए ब्लड में टीएच 17 व टी-रेग सेल में असंतुलन की जांच कर आंखों की बीमारी यूवाइटिस की पहचान की जा सकती है। इससे यूवाइटिस का इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है। इससे आंख की रोशनी बचाने में मदद मिल सकती है।

दिल्ली एम्स ने किया शोध

एम्स के बायोटेक्नोलॉजी व आरपी सेंटर के डाक्टरों व विशेषज्ञों ने मिलकर यह शोध किया है, जो हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल इम्युनोलाजी लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। इस शोध में अहम भूमिका निभाने वाले एम्स के बायोटेक्नोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रूपेश के श्रीवास्तव ने बताया कि ब्लड में टीएच17 व टी-रेग सेल के बीच असंतुलन से सूजन व आटोइम्यून की कई अन्य बीमारी होने की बात पहले कुछ शोधों में सामने आ चुकी है लेकिन आंखों के तरल पदार्थ में होते हैं, यह बात पहले किसी शोध में सामने नहीं आई थी।

डॉक्टर बताते हैं कि यूवाइटिस एक ऑटोइम्यून की बीमारी है। ऑटोइम्यून की बीमारी में अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता शरीर की कोशिकाओं को ही नुकसान पहुंचाने लगती हैं। यूवाइटिस होने पर आंख की कार्निया व लेंस के बीच की परत पर सूजन होने लगती है। इससे आंखों में दर्द व लाली आने लगती है।

इसके अलावा आंखों की दृष्टि धुंधली होने लगती है। जल्दी इलाज शुरू नहीं करने पर आंखों की रोशनी चली जाती है। समस्या यह है कि इस बीमारी की जल्दी पहचान के लिए कोई जांच नहीं है। इसलिए यह शोध शुरू किया गया। इस शोध में इस बीमारी से पीड़ित दस मरीज और दस स्वस्थ लोग शामिल किए गए।

शोध में पाया गया कि आंखों की जेल (एक्विअस ह्यूमर) टीएच17 व टी-रेग सेल थे। यूवाइटिस से पीड़ित मरीजों की आंखों से लिए गए सैंपल में टीएच17 बढ़ा हुआ था और टी-रेग सेल कम हो गया था। इसके बाद ब्लड से सैंपल लेकर उसका तुलनात्मक अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि यूवाइटिस से पीड़ित मरीजों के ब्लड़ में भी टीएच17 बढ़ गया था और टी-रेग सेल कम हो गया था।

इसलिए ब्लड के सैंपल से यूवाइटिस की जल्दी जांच की जा सकती है। जांच कर जितना जल्दी इलाज शुरू होगा उसका फायदा उतना ही बेहतर होगा। इस शोध में एम्स के आरपी सेंटर के एडिशनल प्रोफेसर डा. रोहन चावला ने भी अहम भूमिका रही।

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