Air Pollution: BS-3 और BS-4 वाहनों के प्रतिबंध से दिल्ली के व्यापारियों को लगा आर्थिक झटका, अब उबरने की चुनौती
दिल्ली में इस सर्दी में व्यावसायिक और पर्यटन वाहनों को कोहरे के साथ प्रतिबंध की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि ठंड के साथ बढ़े प्रदूषण के मद्देनजर पिछले वर्ष नवंबर से अब तक बीएस-4 डीजल वाहनों पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इस सर्दी में व्यावसायिक व पर्यटन वाहनों को कोहरे के साथ प्रतिबंध की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि ठंड के साथ बढ़े प्रदूषण के मद्देनजर पिछले वर्ष नवंबर से अब तक बीएस-4 डीजल वाहनों पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है। यहीं स्थिति बीएस-3 पेट्राेल वाहन भी इस प्रतिबंध की जद में है। इसके चलते 30 हजार के करीब व्यावसायिक वाहन तथा 20 हजार के करीब पर्यटन गाड़ियाें के चलने पर रोक है।
कुल 25 दिनों तक लगा प्रतिबंध
जानकारों के मुताबिक यह प्रतिबंध कुल मिलाकर 25 दिन तक का हो चुका है। यह स्थिति तब है जब कोहरे के चलते पहले से ही वाहनों की रफ्तार धीमी है, जिसका नुकसान भी इन व्यावसायिक वाहन मालिकों को ही उठाना पड़ रहा है। इसके चलते दोनों वर्ग के वाहन मालिकों को करीब 1,300 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हो चुका है।
दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर कहते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन औसतन 60 हजार व्यावसायिक वाहनों का आवागमन होता है। इसमें से तकरीबन आधी गाड़ियां प्रतिबंध के दायरे में आती हैं। दिक्कत यह है कि चालकों का खर्च, वाहन का किस्त, रोड टैक्स जैसे मामलों पर कोई राहत नहीं मिलती है।
एक अनुमान के मुताबिक प्रदूषण के चलते प्रतिबंधों के चलते अब तक 1000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान ट्रांसपोर्टरों को उठाना पड़ा है। उनके मुताबिक यह प्रतिबंध दोहरी मार है, क्योंकि कोहरे के कारण वैसे ही व्यावसायिक वाहनों की प्रतिदिन औसत रफ्तार आधी रह गई है, अब ऊपर से यह प्रतिबंध। उन्होंने कहा कि ग्रीन टैक्स के नाम पर अब तक हजारों करोड़ रुपये राजस्व में जमा हो चुका है। उसके इस्तेमाल को लेकर सरकार की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
डीटीटीटीए के अध्यक्ष ने लगाए आरोप
डीटीटीटीए के अध्यक्ष संजय सम्राट ने आराेप लगाते हुए कहा कि प्रदूषण के नाम पर दिल्ली वालों का ध्यान भटकाने के लिए वाहनों पर प्रतिबंध को हथियार बना दिया गया है, जबकि इससे लाखों लोगों का जीवन और कारोबार प्रभावित होता है। इन प्रतिबंधो की वजह से तकरीबन 20 हजार टूरिस्ट गाड़ियां जिसमें टेंपो ट्रैवेलर से लेकर कारें और एसयूवी शामिल हैं, रोड पर नहीं चल सकती हैं। अगर चलती है तो उन्हें 20 हजार रुपये का जुर्माना भरना होता है।
यह स्थिति तब है जब दूसरे राज्यों को गई गाड़ियां दिल्ली में वापस लौट रही हैं। वे अब इस प्रतिबंध के चलते कैसे वापस आ पाएंगी। इसके साथ ही भेदभाव का आरोप लगाते हैं कि दिल्ली सरकार के साथ ही दिल्ली पुलिस की हजारों गाड़ियां भी इस प्रतिबंध के दायरे में आती हैं। इसी तरह दूसरे राज्यों से सैकड़ाें बसें आ जा रही है, लेकिन उनपर रोक नहीं है।
विरोध प्रदर्शन
इस प्रतिबंध के विरोध में दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसाेसिएशन (डीटीटीटीए) समेत कुछ और संगठनों द्वारा एक बार फिर विरोध दर्ज कराने की तैयारी है। यह विरोध प्रदर्शन दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित आम आदमी पार्टी (आप) कार्यालय के नजदीक बृहस्पतिवार को होगा।