Delhi Air Pollution: 27 हजार नवजातों की सांसों पर संकट का जिम्मेदार कौन, वायु प्रदूषण शारीरिक विकास में बाधक
Delhi Air Pollution डॉक्टरों की मानें तो इतनी प्रदूषित हवा में सांस लेना 24 घंटे में 40 से 50 सिगरेट पीने के बराबर है। अब अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर किसी नवजात के शरीर में प्रतिदिन 50 सिगरेट के बराबर जहर पहुंच रहा हो तो उसके जीवन पर कितना संकट है। विशेषज्ञ बताते हैं कि वायु प्रदूषण से दिल्ली की ये हालत एक दिन में नहीं हुई है बल्कि तमाम सरकारों और विभागों की नाकामी का नतीजा है।
अजय राय, नई दिल्ली। मां बनने की खुशी से ज्यादा महज कुछ घंटे पहले शुक्रवार को जन्मे अपने बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता इकरा को सता रही है। शुक्रवार को जब उनकी संतान ने दुनिया में पहली बार सांस ली, तो शुद्ध आक्सीजन की जगह जहरीली हवा मिली। नवजात वयस्कों की तुलता में तेजी से सांस लेता है, ऐसे में अधिक प्रदूषक कण उसके शरीर में जाते हैं। फेफड़े, मस्तिष्क और अन्य अंग विकसित हो रहे होते हैं, ऐसे में सीधा असर शिशु के शारीरिक विकास पर पड़ता है। लोक नायक अस्पताल में भर्ती मां इकरा कहती हैं कि कोई बीमारी हो तो इलाज भी कराएं, प्रदूषण का क्या करें। बच्चे को इसी जहरीली हवा में सांस लेनी होगी।
गैस चैंबर बनी दिल्ली
गैस चैंबर बन चुकी दिल्ली की हवा सिर्फ एक मां इकरा की चिंता ही नहीं है। अस्पताल में एक और मां बबिता कहती हैं कि परिवार की इतनी आमदनी नहीं है कि बच्चे को लेकर एक-दो महीने के लिए किसी दूसरे शहर चले जाएं। गांव या मायके भी नहीं जा सकती, क्योंकि पति की नौकरी यहीं हैं। उसी से परिवार चलता है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के करीब
इसी तरह वर्षा, जेबा और भी कई मां हैं, जिन्हें प्रदूषित हवा की वजह से बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता सता रही है। नगर निगम में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक बीते एक माह में राजधानी में 27,222 शिशुओं ने जन्म लिया है। बृहस्पतिवार को लोकनायक अस्पताल में करीब 35 शिशुओं का जन्म हुआ और इस दौरान राजधानी में स्माग की चादर छाई हुई थी। वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के करीब है।
नवजातों के जीवन पर संकट
ये बच्चे इसी हवा में सांस ले रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो इतनी प्रदूषित हवा में सांस लेना 24 घंटे में 40 से 50 सिगरेट पीने के बराबर है। अब अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर किसी नवजात के शरीर में प्रतिदिन 50 सिगरेट के बराबर जहर पहुंच रहा हो तो उसके जीवन पर कितना संकट है। विशेषज्ञ बताते हैं कि वायु प्रदूषण से दिल्ली की ये हालत एक दिन में नहीं हुई है, बल्कि तमाम सरकारों और विभागों की नाकामी का नतीजा है।
बच्चे के फेफड़े को नुकसान
जन्म के तीन महीने तक शिशु के फेफड़े का विकास चलता है। इस दौरान प्रदूषित हवा लेने से बच्चे के फेफड़े को नुकसान पहुंचेगा। कमजोर होगा, सांस फूलने व हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। निमोनिया का खतरा भी रहेगा। बच्चा बड़ा होगा तो कमजोर रह सकता है। नवजात में प्रतिरक्षा तंत्र के विकसित होने में समय लगता है। ऐसे में प्रदूषित हवा उसे कई बीमारियां दे सकती हैं। (डा. विनय राय, बाल रोग विशेषज्ञ, क्लाउड नाइन अस्पताल)
पिछले वर्ष हुई 7,155 शिशुओं की मौत हो गई
सिविल पंजीकरण सर्वे (जन्म मृत्यु पंजीकरण) के मुताबिक 2021-2022 में 7,155 शिशुओं की मौत हो गई। इसके कई कारण हैं। इनमें से 4,726 नवजात तो अपनी उम्र एक माह भी पूरा नहीं कर सके। रिपोर्ट के अनुसार सांस की परेशानियों और आक्सीजन की कमी के कारण सबसे अधिक 13.79 प्रतिशत (983) शिशुओं की मौत हुई। शारीरिक विकास नहीं हो पाने और कुपोषण के कारण 12.98 प्रतिशत (925) और निमोनिया (5.77 प्रतिशत) से शिशुओं की मौत हो गई।
सख्त उत्सर्जन मानक तय कर लागू करने की जरूरत
रामानुजन कालेज के पर्यावरण विज्ञान विभाग में अस्सिटेंट प्रोफेसर गौरव बरहुडिया ने कहा कि ये वक्त वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने का है। सरकार को वाहन, कारखानों और बिजली संयंत्र के लिए सख्त उत्सर्जन मानकों तय कर लागू कराने की जरूरत है। पड़ोसी राज्यों के साथ सहयोग की जरूरत है। शोधित हरित आवरण विकास में निवेश की जरूरत है। वायु गुणवत्ता निगरानी व अनुसंधान में निवेश के साथ उपचारात्मक शोधों में फंडिंग बढ़ाने की जरूरत है।