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Delhi Pollution: मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है प्रदूषण, जल्दी दिखने लगता है बुढ़ापा

Delhi Pollution शरीर के हर महत्वपूर्ण हिस्से पर प्रदूषण का दुष्प्रभाव होता है। यह समय से पहले बुढ़ापे की वजह बन सकता है। चिकित्सकों का मानना है कि प्रदूषण त्वचा आंख सांस की नली फेफड़ा हृदय व मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sat, 12 Nov 2022 08:09 AM (IST)
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Delhi Pollution: मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है प्रदूषण, जल्दी दिखने लगता है बुढ़ापा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी की आबोहवा इन दिनों सांस लेने के योग्य नहीं है। यहां के लोग पिछले कई सालों से प्रदूषण की यह मार झेल रहे हैं। डॉक्टर बताते हैं कि प्रदूषण त्वचा से लेकर शरीर के सभी महत्वपूर्ण हिस्से को प्रभावित करता है। फेफड़े और दिल के अलावा मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है।

हो सकती है सिर दर्द की समस्या

इस वजह से प्रदूषण बढ़ने पर लकवा होने का खतरा रहता है। इसके अलावा विदेश में हुए शोध में यह बात भी सामने आई है कि लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने पर बुढ़ापा का असर जल्दी दिख सकता है। इसलिए प्रदूषण समय से पहले बुढ़ापे का असर दिखने का वजह बन सकता है। डॉक्टरों के अनुसार प्रदूषण त्वचा, आंख, सांस की नली, फेफड़ा, हृदय व मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसके दुष्प्रभाव से सिर दर्द की समस्या हो सकती है।

धमनियों में ब्लाकेज होने से लकवा की आशंका

शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलाजी विभाग के निदेशक डा. जयदीप बंसल ने कहा किप्रदूषण के कारण मस्तिष्क के नसों में प्रेशर पड़ता है। इस वजह से सिर दर्द की समस्या होती है। इसके अलावा प्रदूषण के कारण धमनियों में ब्लाकेज होने से लकवा की आशंका बढ़ जाती है। आरएमएल अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. कबीर सरदाना ने कहा कि वैसे तो प्रदूषण का गंभीर तात्कालिक असर सबसे पहले फेफड़े पर पड़ता है। इसके बाद दिल की बीमारी होती है।

चेहरे पर मुहासे की समस्या

वहीं प्रदूषण के दुष्प्रभाव से त्वचा पर शुरुआत में एलर्जी, एक्जिमा व चेहरे पर मुहासे की समस्या होती है। लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने पर त्वचा ड्राई हो जाती है। इससे त्वचा की रंगत खोने लती है। इस वजह से पीड़ित व्यक्ति अपने वास्तविक आयु से अधिक उम्र का दिखने लगता है।

चीन में पिछले साल एक अध्ययन हुआ है। जिसमें यह पाया गया है कि प्रदूषण भरे वातावरण में लंबे समय तक रहने वाले लोग समय से पहले बूढ़े दिखने लगे। इसका कारण यह है कि प्रदूषण बढ़ने पर पीएम-10, पीएम- 2.5, सल्फर डाइआक्साइड सांस के जरिये शरीर में पहुंचने पर इंफ्लामेट्री मार्कर बढ़ जाते हैं। इसका त्वचा पर भी नुकसान होता है।

फेफड़े के कैंसर का बन सकता है कारण

फोर्टिस अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ विकास मौर्या ने कहा कि प्रदूषण फेफड़े को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इसलिए ब्रोंकाइटिस, अस्थमा व निमोनिया जैसी बीमारियां बढ़ जाती हैं। पीएम-2.5 फेफड़े के जरिये ब्लड में पहुंच जाता है, जो धमनियों में ब्लाक का करण बन सकता है।

इससे हार्ट अटैक का खतरा रहता है। लंबे समय तक प्रदूषण भरे वातावरण में रहने पर फेफड़े का कैंसर होने का खतरा रहता है। इसके अलावा बच्चों के फेफड़े का विकास प्रभावित होता है। इसलिए प्रदूषण से बचाव के लिए एन 95 मास्क पहनकर ही बाहर निकलना चाहिए।

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