Air Pollution: दिवाली से पहले दिल्ली में सांसों पर संकट... समाधान का रास्ता भी तैयार
Delhi Air Pollution सुपरसाइट के जरिये आसपास के तीन से चार किमी का दायरा कवर किया जा रहा है। इसी तरह मोबाइल एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशन को भी अलग अलग हाट स्पाट पर उतारा जा रहा है। उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है और साप्ताहिक आधार पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को इसकी रिपोर्ट भी भेजी जा रही है।
नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। प्रदूषण से जंग में राउज एवेन्यू स्थित सर्वोदय स्कूल में रियल टाइम बेसिस पर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान के लिए स्थापित सुपरसाइट पिछले तकरीबन आठ माह से प्रदूषण के कारकों पर नजर रख रही है। दिल्ली के वायु प्रदूषण की तस्वीर भी काफी हद तक साफ होने लगी है। यह बात अलग है कि मौसम के अनुरूप वायु प्रदूषकों की हिस्सेदारी घटती बढ़ती रहती है। जनवरी के अंत में शुरू हुई इस सुपरसाइट के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाहनों के धुएं, मिट्टी एवं धूल प्रदूषण, घरेलू प्रदूषण, निर्माण कार्य, उद्योग, खुले में आग जलाना व प्लास्टिक कचरा जलाने जैसे और भी अनेक कारक हैं, जो हवा को काला करते हैं।
जानकारी के मुताबिक इस सुपरसाइट के जरिये आसपास के तीन से चार किमी का दायरा कवर किया जा रहा है। इसी तरह मोबाइल एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशन को भी अलग अलग हाट स्पाट पर उतारा जा रहा है। उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है और साप्ताहिक आधार पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को इसकी रिपोर्ट भी भेजी जा रही है। इसी रिपोर्ट के आधार पर डीपीसीसी को प्रदूषण के कारकों की रोकथाम के लिए विभागीय स्तर पर जिम्मेदारी तय करनी है।
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इस तरह हो रहा प्रदूषण के कारकों का विश्लेषण
अधिकारियों के अनुसार इस सुपरसाइट से रियल टाइम (प्रति घंटा) के आधार पर वाहनों, कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल, बायोमास जलाने आदि तमाम कारकों के योगदान का पता चल रहा है। यह विभिन्न इलाकों में प्रदूषण की अधिक विस्तृत जानकारी देने में मदद करेगा। इसके बाद प्रदूषण को रोकने के लिए यथोचित कादम उठाए जाएंगे। उदाहरण के लिए यदि पता चलता है कि धूल के कारण किसी विशेष वार्ड का भारी योगदान है, ऐसे में वहां हरियाली बढ़ाने पर काम किया जाएगा। यदि किसी विशेष वार्ड का मुख्य योगदान उद्योग है तो हम टीम भेजेंगे कि उद्योगों की वजह से तो प्रदूषण नहीं हो रहा हैं। साथ ही अगले तीन दिनों में पीएम-2.5 के स्तर के साथ-साथ अन्य स्रोतों का पूर्वानुमान भी लगाया जाएगा, ताकि सरकार समय रहते पूर्व कार्रवाई कर सके।
समाधान का रास्ता
प्रदूषण के रियल टाइम प्रदूषण के स्त्रोत को जाना जा सके और उसके अनुसार समाधान का रास्ता बनाया जा सके, इसी के लिए यह स्टेशन बनाया गया है। साथ ही मोबाइल वैन लांच की गई है, जो अलग-अलग हाटस्पाट पर जाकर वहां के प्रदूषण के कारणों का पता लगा रही है। भविष्य में आईआईटी कानपुर व आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की सलाह और निर्देशन के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे। चूंकि, इसमें रियल टाइम के आधार पर वाहन, धूल, बायोमास बर्निंग एवं लोकल प्रदूषण आदि की जानकारी मिलेगी, इससे हमें वैज्ञानिक डाटा मिलेगा। इसी के आधार पर हम एनसीआर की सरकारों के साथ बातचीत कर वहां पर भी प्रदूषण को नियत्रित करने के लिए प्लान करेंगे। (गोपाल राय, पर्यावरण मंत्री, दिल्ली सरकार)
कार्रवाई की रुपरेखा तैयार
अभी प्रदूषक तत्वों पर निगरानी और अध्ययन दोनों जारी हैं। अलग अलग मौसम के हिसाब से भी सारी स्थिति परखी जा रही है। मोबाइल वैन को भी कुछ- कुछ दिन के लिए अलग अलग इलाकों में तैनात कर प्रदूषक तत्वों की जानकारी ली जा रही है। रिपोर्ट आ रही है किंतु उसका भी विश्लेषण किया जा रहा है। एक बार पूरी तरह वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाए तो फिर कार्रवाई की रुपरेखा तैयार कर आगे कदम बढ़ाया जाएगा। फिलहाल तो वैसे भी स्थिति नियंत्रण में है और दिल्ली का प्रदूषण भी कम ही चल रहा है। (अश्विनी कुमार, चैयरमेन, डीपीसीसी)