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Delhi Pollution: प्रदूषण से फूला दिल्ली का दम, बेहद खराब हुई आबोहवा; AQI में सुधार नहीं होने पर कराई जाएगी कृत्रिम वर्षा

Delhi News एनसीआर की वायु गुणवत्ता अभी भी बेहद खराब स्थिति में है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन जैसी स्थिति का सामना कर पड़ रहा है। दीपावली के बाद इसमें कुछ सुधार की उम्मीद थी लेकिन शुक्रवार को भी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 400 के पार बना हुआ था।

By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Sat, 18 Nov 2023 07:54 AM (IST)
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Delhi Pollution: प्रदूषण से फूला दिल्ली का दम, बेहद खराब हुई आबोहवा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एनसीआर की वायु गुणवत्ता अभी भी बेहद खराब स्थिति में है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन जैसी स्थिति का सामना कर पड़ रहा है।

दीपावली के बाद इसमें कुछ सुधार की उम्मीद थी, लेकिन शुक्रवार को भी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 400 के पार बना हुआ था। इस स्थिति से निपटने के लिए तय योजना के मुताबिक कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारी तेज कर दी गई है।

आइआइटी कानपुर ने इसे लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) दोनों को अलग-अलग प्रस्ताव दिया है। इनमें उड्डयन व गृह मंत्रालय से मंजूरी का प्रस्ताव भी शामिल है। माना जा रहा है कि एक-दो दिनों में वायु गुणवत्ता की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो इसकी मंजूरी दे दी जाएगी।

कृत्रित वर्षा कराने पर खर्च होंगे 50 लाख रुपये

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, कृत्रिम वर्षा कराने पर करीब 50 लाख रुपये खर्च होंगे। इनमें विमान का ईंधन, पायलट की फीस और बादलों के बीच छिड़के जाने वाले रसायन आदि शामिल हैं। कृत्रिम वर्षा में इस्तेमाल किया जाने वाला विशेष तरह का माडीफाइड विमान आइआइटी कानपुर के पास मौजूद है, जिसका वह अपने शोध परीक्षण में इस्तेमाल करता है।

इससे पहले ऐसा विशेष विमान सिर्फ इसरो के पास था। लेकिन अब आइआइटी कानपुर ने खुद ऐसा एक विमान खरीद लिया है। कृत्रिम वर्षा अगर होती है तो इसे आइआइटी कानपुर के विज्ञानी ही अंजाम देंगे। आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों का दल कृत्रिम वर्षा की तैयारियों में जुटा हुआ है। वह दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के ऊपर बादलों की मौजूदगी पर लगातार नजर रख रहा है। कृत्रिम वर्षा तभी होगी, जब बादल रहेंगे। ऐसे में वह मौसम विभाग से भी लगातार संपर्क में है।

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2018 में कराई थी कृत्रिम वर्षा

सूत्रों की मानें तो मौसम विभाग ने 24 नवंबर के आसपास दिल्ली के ऊपर बादलों का जमघट का अनुमान जताया है। ऐसे में एक-दो दिनों में वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं दिखा तो कृत्रिम वर्षा को हरी झंडी दी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा कराने की योजना पांच वर्ष पहले 2018 में भी बनी थी। उस समय इसे लेकर सारी तैयारी कर ली गई थी, लेकिन बाद में बादल ही गच्चा दे गए थे।

ऐसे होती है कृत्रिम वर्षा

आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों के मुताबिक, कृत्रिम वर्षा के लिए आसमान में पहले से मौजूद बादलों में सिल्वर आयोडाइड, नमक और सूखे बर्फ को छिड़का जाता है। इस दौरान रासायनिक क्रिया होने से आसमान में मौजूद बादल बरस पड़ते हैं। चीन सहित कई देशों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ कृत्रिम वर्षा को लेकर लगातार शोध पर जुटा है।

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