Delhi Pollution: दिल्ली-NCR में GRAP-2 के प्रतिबंध लागू, निजी वाहनों की जगह बस-मेट्रो का करें इस्तेमाल
Delhi Air Pollution दिल्ली- NCR में वायु प्रदूषण (Air Pollution) को लेकर सरकार ने एक कड़ा फैसला ले लिया है। दिल्ली-NCR में अब GRAP-2 (Graded Response Action Plan) के प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। इन प्रतिबंधों के तहत सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के इस्तेमाल पर जोर डाल रही है। सरकार प्राइवेट वाहनों की पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी कर रही है।
एएनआई, नई दिल्ली। Delhi Air Pollution: दिल्ली- NCR में वायु प्रदूषण (Air Pollution) को लेकर सरकार ने एक कड़ा फैसला ले लिया है। दिल्ली-NCR में अब GRAP-2 (Graded Response Action Plan) के प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं।
इन प्रतिबंधों के तहत सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के इस्तेमाल पर जोर डाल रही है। सरकार प्राइवेट वाहनों की पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी कर रही है।
GRAP-2 के तहत ये रहेंगे प्रतिबंध
- ग्रेप-2 के नियमों के तहत केंद्र सरकार दिल्ली और NCR में पार्किंग शुल्क बढ़ा देगी, जिससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए।
- सरकार मेट्रो और इलेक्ट्रिक बसों के फेरे भी बढ़ा रहा है।
- इसके अलावा सड़कों पर धूल के कणों को कम करने के लिए पानी के छिड़काव करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
वाहन चालक प्रदूषण को लेकर नहीं गंभीर
वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु को सबसे ज्यादा प्रदूषित करता है, बावजूद इसके वाहन चालक बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र के अपने वाहनों को राजधानी की सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। दिल्ली यातायात पुलिस द्वारा लगातार इसको लेकर काईवाई की जा रही है।
कार्रवाई के आंकड़ों पर गौर करें तो इस वर्ष गत वर्ष की तुलना में प्रदूषण प्रमाण पत्र बिना चालान किए गए वाहनों की संख्या 46 प्रतिशत अधिक है। गत वर्ष 15 अक्टूबर तक 108100 चालान किए गए थे जबकि इस वर्ष 158762 चालान किए गए हैं।
यातायात पुलिस के विशेष आयुक्त सुरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि यातायात पुलिस शहर में वायु प्रदूषण की जांच के लिए विभिन्न कदम उठा रही है, जिसमें उच्चतम न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय, राष्ट्रीय हरित अधिकरण, पर्यावरण विभाग आदि ने वायु गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जारी निर्देशों का प्रवर्तन शामिल है।
चलने वाले वाहनों के लिए वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र ( पीयूसीसी) होना और इसकी प्रतिलिपि रखना अनिवार्य है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य केवल उन वाहनों को सड़कों पर अनुमति देना है जो भारत सरकार द्वारा विनियमित उत्सर्जन मानदंडों का पालन कर रहे हैं।
वैध पीयूसीसी के बिना चलने वाले वाहनों पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और 115 केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 की धारा 190 (2) के तहत मामला दर्ज किया जाता है और निर्धारित दंड 10,000 रुपये का जुर्माना है, जिसमें पहले अपराध के दौरान तीन महीने के लिए वाहन चालक के लाइसेंस का निलंबन भी शामिल है।
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