Delhi Air Pollution: मामूली सुधार के बाद भी सांस लेने लायक नहीं है दिल्ली की हवा, गंभीर से बहुत खराब श्रेणी में पहुंचा AQI
दिल्ली और आसपास के इलाके में शनिवार सुबह हवा की गुणवत्ता मामूली सुधार के साथ गंभीर से बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है। दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह 398 दर्ज किया गया है जो कि बहुत खराब श्रेणी में आता है जबकि शुक्रवार सुबह 461 दर्ज किया गया था। हालांकि वायु गुणवत्ता सूचकांक में गिरावट से दिल्लीवासियों को थोड़ी राहत मिलेगी।
एएनआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाके में शनिवार सुबह हवा की गुणवत्ता मामूली सुधार के साथ गंभीर से बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह 398 दर्ज किया गया है जो कि बहुत खराब श्रेणी में आता है, जबकि शुक्रवार सुबह 461 दर्ज किया गया था। हालांकि, वायु गुणवत्ता सूचकांक में गिरावट से दिल्लीवासियों को थोड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि शहर में घनी जहरीली धुंध छाई हुई है।
हवा की गुणवत्ता में हुआ मामूली सुधार
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर-इंडिया) के अनुसार, शनिवार सुबह 7.15 बजे गाजीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 398 दर्ज किया गया।
एएनआई से बात करते हुए कर्तव्य पथ पर सुबह की सैर करने वाले एक व्यक्ति ने कहा, हमें सांस लेने में कठिनाई हो रही है। वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों को विशेष रूप से शहर में प्रचलित खराब हवा का सामना करना पड़ रहा है।
एक अन्य मॉर्निंग वॉकर ने एएनआई को बताया कि मौजूदा जहरीली हवा श्वसन संबंधी समस्याओं को जन्म दे रही है। उन्होंने कहा, 'हवा में काफी प्रदूषण है जो हमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दे रहा है।'
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गोपाल राय की केंद्र के हस्तक्षेप की मांग
वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को लेकर व्याप्त चिंताओं के बीच, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को शहर की गिरती वायु गुणवत्ता को उलटने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति पूरे उत्तर भारत में बनी हुई है। दिल्ली के अलावा, पड़ोसी राज्य हरियाणा के 12 जिलों में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की जा रही है। राजस्थान में भी 14 स्थान हैं जहां हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी ऐसी ही स्थिति की बनी हुई है। अब वक्त आ गया है केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के साथ बैठक करनी चाहिए।
इससे पहले, गुरुवार को राय ने कहा कि ग्रेप की पाबंदियों को सख्ती से लागू कराने के लिए विशेष सचिव के नेतृत्व में 6 सदस्यीय विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया था।
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