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Delhi Air Pollution: दिल्ली को अगले तीन सालों में मिल जाएगी पराली से मुक्ति, मोदी सरकार ने तैयार किया सॉलिड प्लान

Delhi Air Pollution केंद्र सरकार के प्रयासों से पराली खेतों से उठाकर उसका भंडारण करने और फिर उससे ईंधन बनाने की पुख्ता व्यवस्था की जा रही है। चूंकि योजना के क्रियान्वयन को लेकर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी गंभीर है और इसकी लगातार निगरानी कर रहा है तो जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद भी नजर आ रही है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 25 Oct 2023 06:45 AM (IST)
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Delhi Air Pollution: दिल्ली को अगले तीन सालों में मिल जाएगी पराली से मुक्ति, सरकार ने कर लिया है सॉलिड प्लान तैयार
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। जिस पराली के धुएं से एक बार फिर दिल्ली वासियों की सांसे फूलने लगी है, उससे अगले तीन चार साल में पूर्णतया निजात मिल सकती है। केंद्र सरकार के प्रयासों से पराली खेतों से उठाकर उसका भंडारण करने और फिर उससे ईंधन बनाने की पुख्ता व्यवस्था की जा रही है। चूंकि योजना के क्रियान्वयन को लेकर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी गंभीर है और इसकी लगातार निगरानी कर रहा है तो जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद भी नजर आ रही है।

पंजाब और हरियाणा में लगाए जाएंगे कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट

पराली के निदान के लिए पंजाब में 200 जबकि हरियाणा में लगभग 120 बायोगैस प्लांट लगाए जाने हैं। यह प्लांट अपने आसपास के 10 किमी का एरिया कवर करेंगे। यहां उस एरिया की सारी पराली इकट्ठी करके लाई जाएगी। हर रोज करीब 300 टन पराली की खपत करने की योजना है। इसके साथ इतनी ही मात्रा में अन्य मैटीरियल भी प्रोसेस किया जाना है। इससे 200 टन कोयला व 250 टन कैटल फीड बनेगी।

इस तरह सुलझेगी पराली की समस्या

प्लांट के कवर एरिया की सारी पराली गांठों में तब्दील करके वहां पर लाई जाएगी। इन गांठों से बायोगैस बनाई जाएगी। किसानों को इस पराली के बदले नकद राशि दी जाएगी। किसानों को भी जब जलाने के बजाए इसमें फायदा नजर आएगा तो वे खुद ही इस ओर उन्मुख होंगे।

यह आ रही समस्या

बेलर मशीन के जरिये पराली को लकड़ी की गांठों में तब्दील कर और फिर इसे गठ्ठर में बांधकर उसका भंडारण करने तथा उसे प्लांट तक लाने की कारगर व्यवस्था नहीं बन सकी है। लेकिन इस दिशा में हाल ही में उक्त दोनों राज्योें में केंद्र सरकार के साथ साथ पीएमओ के भी कुछ अधिकारियों ने बैठक ली है। सभी समस्याओं को सुलझाने और कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया को रफ्तार देने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

कुछ ही साल में समस्या सुलझने का दावा

केंद्र सरकार और पीएमओ के अधिकारी बताते हैं कि अगले दो से तीन साल में पंजाब एवं हरियाणा दोनों ही जगह बायागैस प्लांट लगा दिए जाएंगे। बेलर मशीनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इसके बाद उम्मीद है कि अगले एक दो वर्ष में सारी पराली जलने की बजाए इन प्लांटों में आने लगेगी।

यहां उत्पन्न बायोगैस और कोयला मौजूदा कोयले से भी सस्ता पड़ेगा। कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाने के साथ- साथ पराली खपाने केे लिए सभी थर्मल पावर प्लांटों में भी पांच से 10 प्रतिशत तक इनका अनिवार्य इस्तेमाल करने का आदेश जल्द ही जारी कर दिया जाएगा।

पंजाब का पुराना अनुभव

वर्ष 2018 में बठिंडा के गांव मेहमा सरजा से इसकी शुरुआत हुई थी। राज्य के तत्कालीन वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने इसका नींव पत्थर रखा था, लेकिन यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। इस प्लांट में पराली से सल्फर मुक्त कोयला व कैटल फीड बनाई जानी थी।

बायोगैस प्लांट को चलाने के लिए पंजाब सरकार ने चेन्नई की नैवे रिन्यूएबल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के साथ टाईअप किया था। कंपनी ने पूरे राज्य से प्लांट के लिए 10 हजार करोड़ रुपये निवेश करना था। नींव पत्थर रखने के बाद पंजाब सरकार की दिलचस्पी नहीं होने के कारण यह प्रोजेक्ट फेल रहा।

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