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Delhi Pollution: DPCC की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, हवा में फैले प्रदूषण रोकने में बेअसर हैं स्मॉग टावर

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्मॉग टावर को शुरू पर जोर दिया लेकिन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि दिल्ली में लगाए गए स्मॉग टावर प्रदूषण को रोकने में प्रभावी नहीं है। डीपीसीसी ने कहा है कि एक स्मॉग टावर 100 मीटर में महज 17 प्रतिशत प्रदूषण को ही कम करता है।

By Vineet TripathiEdited By: Nitin YadavUpdated: Thu, 16 Nov 2023 08:35 AM (IST)
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Delhi Pollution: DPCC की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गंभीर स्थिति में पहुंचे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्मॉग टावर को शुरू पर जोर दिया, लेकिन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि दिल्ली में लगाए गए स्मॉग टावर प्रदूषण को रोकने में प्रभावी नहीं है।

प्रदूषण रोकने को 47 हजार से ज्यादा टावर की होगी जरूरत  

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल अपनी रिपोर्ट में डीपीसीसी ने कहा है कि एक स्मॉग टावर 100 मीटर में महज 17 प्रतिशत प्रदूषण को ही कम करता है। इसे देखते हुए 1,483 वर्ग किलोमीटर में फैली दिल्ली में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 47,229 टावरों की आवश्यकता होगी। इन टावरों पर 11.80 करोड़ रुपये की पूंजी खर्च होगी और प्रति टावर 15 लाख रुपये प्रति माह का खर्च होगा।

एनजीटी के 22 अक्टूबर के निर्देश पर दाखिल रिपोर्ट में डीपीसीसी ने अप्रभावी स्माग टावर को लेकर यहां तक कहा कि टावर स्थापित करना व्यावहारिक नहीं है, इसलिए मौजूदा टावरों को संग्रहालयों में बदला जा सकता ह। डीपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि दिल्ली के बड़े क्षेत्रफल को देखते हुए मौजूदा समय में लगाए गए स्माग टावर समुद्र में एक बूंद भी नहीं हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, कनॉट प्लेस में स्मॉग टावर की प्रभावशीलता पर अपने अध्ययन में आइटी-बाम्बे ने पाया था कि करीब दो वर्षों से पीएम-10 के लिए 100-199 मीटर, 200-399 मीटर और 400 मीटर से अधिक की दूरी पर क्रमशः 17 प्रतिशत, 16 प्रतिशत और 16 प्रतिशत पाया गया था।

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प्रयोग के रूप में लगे हैं टावर: डीपीसीसी

डीपीसीसी ने कहा कि दोनों टावर एक प्रयोग के रूप में लगाए गए थे और इस पर सार्वजनिक धन से भारी व्यय उचित नहीं है। अगर 100 मीटर के दायरे में 17 प्रतिशत तक प्रदूषण को कम करने अनुकूल माना भी जाए तो दिल्ली की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए 40 हजार से अधिक स्माग टावर की आवश्यकता होगी।

डीपीसीसी ने कहा कि यह एक व्यावहारिक समाधान नहीं हो सकता है, लेकिन इस प्रयोग से सामने आने वाले परिणाम को स्वीकार किया जाना चाहिए।

स्मॉग टावर लगने के बावजूद भी बढ़ा PM-10

रिपोर्ट के अनुसार, डीपीसीसी के एक विश्लेषण से पता चला है कि स्मॉग टावर कनॉट प्लेस और आनंद विहार में प्रदूषण को रोकने में प्रभावी नहीं रहे हैं। मंदिर मार्ग पर वर्ष 2019-20 की तुलना में 2022-23 में पीएम-10 बढ़कर नौ प्रतिशत हो गया।

वहीं, आनंद विहार में वर्ष 2019-20 की तुलना में पीएम-10 बढ़कर 37 प्रतिशत हो गया, जबकि पीएम 2.5 बढ़कर 2 प्रतिशत हो गया। एक विश्लेषण से पता चला है कि टावरों की स्थापना के बाद मंदिर मार्ग और आनंद विहार में वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ।

डीपीसीसी ने कहा कि यह भी देखा गया है कि सीएएक्यूएमएस से सिर्फ 30 मीटर की दूरी पर एक टावर होने के बावजूद भी यह लगातार शीर्ष पांच हाटस्पाट में बना है। इसमें कहा गया है कि डीपीसीसी ने कहा कि स्मॉग टावर के अप्रभावी होने के संबंध में दिल्ली सरकार को जानकारी दी गई थी, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • दिल्ली का क्षेत्रफल-1,483
  • पूरे क्षेत्र के लिए स्माग टावर की आवश्यकता-47,229
  • 47,229 स्माग टावर की कीमत- 11,80,725 करोड़
  • प्रति माह प्रति टावर टावर के रखरखाव संचालन पर खर्च-15 लाख

स्माग टावर की विशिष्टता

  • कनॉट प्लेस में अगस्त 2021 और आनंद विहार में सितंबर 2021 में लगा टावर
  • एक टावर में -40 पंखे
  • एक टावर में 10 हजार फिल्टर
  • वायु प्रवाह दर:- 25 घन मीटर प्रति सेकंड
  • पंखे की गति: - 660 रोटेशन प्रति मिनट
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