मां ने बेटी को बचाने के लिए दी 15 सेमी हड्डी, इसकी वजह जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
आकाश अस्पताल के चिकित्सकों ने आस्टियोमाइलाइटिस को ठीक करने के लिए एलोजेनिक फाइबुला ग्राफ्ट सहित दो स्टेज की सर्जरी की और मरीज की मां के काल्फ की हड्डी का उपयोग करके बच्ची के फीमर शाफ्ट का फिर से निर्माण किया। अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।
By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Tue, 19 Oct 2021 03:20 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कराटे का प्रशिक्षण लेते हुए चोटिल हुई 12 वर्षीय कशिश की पीड़ा को मां की दी हड्डी ने पूरी तरह से खत्म कर दिया। आकाश अस्पताल के चिकित्सकों ने आस्टियोमाइलाइटिस को ठीक करने के लिए एलोजेनिक फाइबुला ग्राफ्ट सहित दो स्टेज की सर्जरी की और मरीज की मां के काल्फ की हड्डी का उपयोग करके बच्ची के फीमर शाफ्ट का फिर से निर्माण किया। अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।
चिकित्सकों ने बताया कि खेल के दौरान लगी चोट के बाद बच्ची की दाहिने जांघ की हड्डी की सर्जरी के दौरान उसके क्रोनिक आस्टियोमाइलाइटिस से ग्रस्त होने का पता चला था, जिसके बाद बच्ची को बुखार के साथ जांघ में दर्द और सूजन की शिकायत हुई। उसे 16 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
बच्ची को दाहिनी जांघ में दर्द और सूजन, बुखार सहित कई अन्य समस्याएं हो रही थीं। सर्जरी के पहले चरण में जांघ की हड्डी के मृत हिस्से को हटा दिया गया और उस जगह पर एक एंटीबायोटिक स्पेसर रखा गया। छह सप्ताह के अंतराल के बाद स्पेसर को हटा दिया गया और सर्जरी के दूसरे चरण में उसकी मां से लिए गए फाइबुला ग्राफ्ट का उपयोग करके उसकी जांघ की हड्डी का पुनर्निर्माण किया गया।
कशिश की मां बनी डोनर: चिकित्सकों ने कहा कि कशिश की मां सबसे अच्छी डोनर थी क्योंकि वह हिस्टोजेनेटिक असंगति की न्यूनतम संभावनाओं के साथ बच्ची की निकटतम रिश्तेदार थी। बिच्ची की मां खुशबू ने काल्फ की 15 सेमी हड्डी अपनी बेटी को दी। अब बच्ची तेजी से ठीक हो सकती है। मां ने इस बारे में कहा कि हम बहुत चिंतित थे। लेकिन अब सब ठीक हो गया। उन्होंने अपनी बेटी के स्वस्थ होने की काफी खुशी है।
हड्डी का गंभीर इंफेक्शन है आस्टियोमाइलाइटिस
ज्वाइंट रिप्लेसमेंट एंड स्पाइन सर्जरी के निदेशक आशीष चौधरी के नेतृत्व में इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि बच्ची को अस्पताल ठीक समय पर लाया गया था। आस्टियोमाइलाइटिस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर इंफेक्शन है, जो दस हजार लोगों में से लगभग दो लोगों को प्रभावित करता है।इसका इलाज न किया जाए तो यह समस्या क्रोनिक हो सकती है और प्रभावित क्षेत्र में ब्लड फ्लो को बाधित करके प्रभावित हड्डी और हड्डी के टिश्यू की नेक्रोसिस (ब्लड की आपूर्ति में कमी) का कारण बन सकती है, जो जीवन के लिए खतरा हो सकता है। हमारे सामने सबसे बड़ी मुश्किल शरीर की सबसे लंबी हड्डी में इंफेक्शन को नियंत्रित करना था। जिसके सफलता पूर्वक कर लिया गया।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।