दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने मुख्य सचिव सहित चार अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की
Delhi News दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने गुरुवार को सदन में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों ने अस्पतालों के ओपीडी काउंटरों मोहल्ला क्लीनिकों और वृद्धावस्था पेंशन से संबंधित अपनी रिपोर्टों पर एटीआर प्रस्तुत करने में जानबूझकर रोक लगाई। देरी करने के प्रयास पर इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।
By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Fri, 18 Aug 2023 12:58 AM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने गुरुवार को सदन में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों ने अस्पतालों के ओपीडी काउंटरों, मोहल्ला क्लीनिकों और वृद्धावस्था पेंशन से संबंधित अपनी रिपोर्टों पर एटीआर प्रस्तुत करने में जानबूझकर रोक लगाई। देरी करने के प्रयास पर इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। जांच के लिए इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया है।
विधानसभा के चालू सत्र में सत्तारूढ़ आप और विपक्षी भाजपा विधायकों के बीच इस मामले पर तीखी बहस हुई। बहस के दौरान आप विधायकों ने भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता के आचरण और रिपोर्ट के तथ्यों को कथित रूप से तोड़-मरोड़कर पेश करने के आरोप को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने के साथ-साथ उनके निलंबन की भी मांग की।
सत्र की अध्यक्षता कर रही उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने कहा कि गुप्ता जान-बूझकर सदन की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्होंने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका समिति के अध्यक्ष और आप विधायक राजेश गुप्ता ने सदन में रिपोर्ट पेश करते हुए निगम चुनाव से पहले अस्पतालों से कर्मचारियों को हटाने, मोहल्ला क्लीनिकों का फंड और वृद्धावस्था पेंशन रोके जाने के मामलों में समिति की पहली, दूसरी, तीसरी रिपोर्ट के मुताबिक कार्रवाई न करने पर बृहस्पतिवार को सदन पटल पर चौथी रिपोर्ट रखी।
उन्होंने कहा कि समिति की राय है कि मुख्य सचिव द्वारा प्रधान सचिव (वित्त), सचिव (स्वास्थ्य) और सचिव (समाज कल्याण) को विधानसभा में जानबूझकर एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने से रोकने और देरी करने का प्रयास किया है। इसके अलावा, जैसा कि मुख्य सचिव के नोट की भाषा से स्पष्ट है अध्यक्ष के निर्देशों और सदन के निर्णय की अवहेलना की है।समिति की सिफारिश है कि एटीआर जमा न करने का मामला विस्तृत जानकारी के लिए विधानसभा को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाना चाहिए, समिति जांच कर रिपोर्ट दें ताकि दोषी अधिकारियों की पहचान कर उन्हें दंडित किया जा सके जैसा उचित समझा जाए। इस मामले पर भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने सदन में कहा कि समिति की सिफारिशें प्रशासनिक प्रणाली को पंगु बनाने के इरादे से अपने ही पाले में गोल दागने की तरह हैं। उन्होंने विधानसभा में याचिका समिति को भंग करने की भी मांग की।
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज सहित आप नेताओं द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने गुप्ता को विधानसभा के सामने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश नहीं करने की चेतावनी दी। आप विधायक राजेश गुप्ता ने कहा कि भाजपा विधायक एक पुरानी रिपोर्ट पढ़ रहे थे।इस पर चर्चा शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य विजेंद्र गुप्ता ने तथ्यात्मक तौर पर बताया कि नौ सदस्यों की समिति में सिर्फ आम आदमी पार्टी के विधायकों को शामिल किया गया और इससे इसका गठन ही गलत है। यह कैसे न्याय कर सकेगी। समिति की सिफारिशों को निर्देश के तौर पर बताते हुए उन्होंने कहा कि यह समिति राष्ट्रपति, गृह मंत्री एवम गृह मंत्रालय को निर्देश देते हुए प्रतीत होती है।
गुप्ता ने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक और अस्पताल की जिम्मेदारी मंत्री की होती है जवाबदेही भी उन्हें लेनी चाहिए। उन्होंने समिति की सिफारिशों को विरोधाभासी बताया। इस पर आप विधायक मदनलाल ने भी चर्चा की। उधर स्वास्थ्य मंत्री ने गुप्ता के सभी आरोप खारिज कर दिए।
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