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Delhi News: एम्स में 15 मिनट से ज्यादा ऑटो-कैब रोकी तो होगी दिक्कत, हर घंटे के हिसाब से लगेगा इतना चार्ज

दिल्ली एम्स के परिसर में ऑटो व कैब जैसे व्यवसायिक वाहन अब 15 मिनट से अधिक देर तक नहीं रुक पाएंगे। 15 मिनट से ज्यादा टैक्सी को परिसर में रोका तो 50 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से देना होगा। साथ ही यदि कोई ऑटो या कैब चालक एक घंटे के बीच दूसरी बार मरीज लेकर एम्स पहुंचता है तो उसे प्रवेश नहीं मिलेगा।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Fri, 10 Nov 2023 07:52 PM (IST)
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एम्स में 15 मिनट से ज्यादा ऑटो-कैब रोकी तो होगी दिक्कत

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एम्स के परिसर में ऑटो व कैब जैसे व्यवसायिक वाहन अब 15 मिनट से अधिक देर तक नहीं रुक पाएंगे। 15 मिनट से अधिक देर रुकने पर एम्स व्यवसायिक वाहन चालकों से प्रति घंटे 50 रुपये की दर से शुल्क वसूल करेगा। इसके अलावा व्यवसायिक वाहनों को एम्स में एक घंटे में एक बार से अधिक प्रवेश नहीं मिलेगा।

ऑटो व कैब के आवागमन को कम करने का मकसद

इसका मकसद एम्स में ऑटो व कैब का आवागमन कम करना है। ताकि संस्थान के परिसर में यातायात जाम की समस्या न होने पाए। एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने 31 दिसंबर तक इस आदेश पर अमल सुनिश्चित करने के लिए संस्थान के यातायात प्रबंधन कमेटी को निर्देश दिया है। एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 13 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।

एम्स में नि:शुल्क चलती है शटल सेवा 

मेट्रो स्टेशन और एम्स के नए ओपीडी ब्लाक के बीच करीब डेढ़ किलोमीटर दूरी है। इस वजह से बड़ी संख्या में मरीज मेट्रो स्टेशन से ओपीडी ब्लाक के बीच आवागमन के लिए ऑटो का इस्तेमाल करते हैं। ऑटो चालक मरीजों से मनमाना किराया वसूल करते हैं। एम्स में नि:शुल्क शटल सेवा भी चलती है।

बहुत मरीज जानकारी के अभाव में शटल सेवा का इस्तेमाल न करके ऑटो का इस्तेमाल करते हैं। एम्स निदेशक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि एम्स के प्रवेश व निकास गेट पर कैमरा आधारित टिकट सिस्टम की सुविधा होगी। निकास के दौरान वाहन का नंबर प्लेट देकर स्वत: टिकट जारी हो जाएगा।

एक घंटे के अंदर दोबारा नहीं मिलेगी एंट्री

यदि कोई ऑटो या कैब चालक एक घंटे के बीच दूसरी बार मरीज लेकर एम्स पहुंचता है तो उसे प्रवेश नहीं मिलेगा। मरीज को गेट के पास उतारना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में मरीज एम्स के शटल सेवा से नए ओपीडी ब्लाक पहुंच सकते हैं। एम्स को उम्मीद है कि इस पहल से संस्थान के परिसर में आटो व कैब का प्रवेश कम होगा और संस्थान द्वारा संचालित शटल सेवा का इस्तेमाल बढ़ेगा।

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