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Bawana accident: मलबे में जिंदगी तलाशते रहे लोग, किसी ने बेटी खोई तो किसी ने मां

शुक्रवार दोपहर इमारत अचानक धमाके के साथ ढह गई तो सिर्फ फातिमा ही थी जो इमारत से कुछ दूर पर थी। जमींदोज होती इमारत के मलबे में मां रुकैया को दबे देख फातिमा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Sat, 12 Feb 2022 12:55 PM (IST)
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3164 फ्लैट में से अब तक करोड़ों रुपये का सरिया चोर बेच चुके हैं।
नई दिल्ली [सोनू राणा]। तीन मंजिला इमारत गिरने से किसी ने बेटी खोई तो किसी ने मां। शुक्रवार दोपहर इमारत अचानक धमाके के साथ ढह गई तो सिर्फ फातिमा ही थी जो इमारत से कुछ दूर पर थी। जमींदोज होती इमारत के मलबे में मां रुकैया को दबे देख फातिमा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। फातिमा ने हिम्मत दिखाते हुए फ्लैटों के अंदर से भागकर करीब छह सौ मीटर दूर बैठकर मोबाइल में फिल्म देख रहे अपने भाई अली इमाम व उसके दोस्तों को इमारत गिरने के बारे में बताया।

पहले तो लोगों को समझ में ही नहीं आया कि क्या हुआ है। कुछ दूरी पर मौजूद अन्य लोग बदहवास हो कर अपने जानने वालों को मलबे के बीच ढूंढ़ने लगे। इस दौरान फातिमा व अली इमाम अपनी मां को तो नहीं ढूंढ पाए, पर शहनाज को मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया। फातिमा को भी चोट लगी थी। वह भी अस्पताल चली गई। तब तक राहत व बचाव दल के लोग पहुंच गए।

अली बचाव दल के लोगों से उनकी मां को ढूंढने की गुहार लगाता रहा। करीब तीन घंटे के बाद जब मलबा हटाया तो मां रुकैया को मृत देख अली बेहोश हो गया। दोस्तों ने उसे संभाला, तब तक स्वास्थ्यकर्मी रुकैया को अस्पताल लेकर पहुंच गए। कुछ देर बाद हालत ठीक होने पर अली इमाम ने बताया कि उसका एक भाई और सात बहने हैं। पिता लकवाग्रस्त हैं व मां बकरी पालन से मिलने वालों पैसों से घर चलाती थी। वह अकसर बकरियां चराने यहीं आती थीं।

दरअसल, राजीव रतन आवास योजना के तहत बवाना-नरेला रोड पर वर्षो पहले 3164 फ्लैट बनाए गए थे। इन फ्लैटों में ईंटों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सभी इमारतों को सीमेंट और सरियों से बनाया गया है। इन इमारतों को जर्जर बनाने में जितना कसूरवार संबंधित विभाग है उतने ही कसूरवार आसपास के असामाजिक तत्व हैं। इस इमारत से अब तक करोड़ों रुपये के सरिये चोरी कर बेचे जा चुके हैं।

आसपास के लोग इन सरियों को निकालकर बेचते रहे और इमारत को खोखला करते रहे। दरअसल यहां पर सैकड़ों इमारतें बनी हुई हैं। शुक्रवार को तो सिर्फ एक ही इमारत गिरी थी, लेकिन सभी खोखली हो चुकी हैं। कोई नहीं कह सकता कि कौन सी इमारत कब गिर जाए। एक फ्लैट से मात्र दस हजार रुपये का भी लोहा निकालकर बेचा हो तो 3164 फ्लैट में से अब तक करोड़ों रुपये का सरिया चोर बेच चुके हैं। राहगीरों का कहना है कि कई बार आसपास के असमाजिक तत्वों को इमारतों से सरियों को लेकर भागते देखा गया है।

पहली बार फ्लैटों की ओर गया था दानिश

दानिश की मौसी अनबरी ने बताया कि दानिश पहली बार फ्लैटों की ओर गया था। वह धूप की वजह से उधर गया था। महर्षि वाल्मीकि अस्पताल के बाहर रोते-रोते अनबरी ने बताया कि दानिश समेत उनकी बहन अंगुरी के तीन बच्चे थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके बेटे के साथ ऐसा हादसा होगा।

मां के सामने बेटी की हुई मौत

शहनाज अपनी बेटी आफरीन के साथ बकरियां चराने आई थी। जब हादसा हुआ तो आफरीन अपनी मां से थोड़ी दूरी पर थी। वह मलबे के दो हिस्सों के बीच में फंस गई थी इस वजह से ऊपर जो भी मलबा गिरा वह उसकी कमर या शरीर पर जोर नहीं डाल पाया। चूंकि शहनाज बाहरी हिस्से में दबी थी तो उसे लोगों ने निकाल लिया, लेकिन आफरीन को शाम साढ़े छह बजे के बाद निकाला गया।

कालोनी में पसरा सन्नाटा

एक साथ चार मौत होने से बवाना जेजे कालोनी में सन्नाटा पसर गया। देर रात तक मृतकों के शव स्वजन को नहीं मिले थे तो सभी अस्पताल के बाहर खड़े रहे। 

  • बवाना नरेला रोड स्थित राजीव रत्न आवास योजना के तहत बनाई गई इमारत की दीवारें तोड़ कर चोरी के लिए उखाड़े गए सरिये जिसके कारण इमारत कमजोर हो गई। हरीश कुमार
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